वाराणसी। निकाय चुनाव 2023 (Nikay Chunav) में प्रथम चरण के लिए गुरुवार को मतदान होना है। जो उम्मीदवारों के लिए अग्निपरीक्षा से कम नहीं है। इस बार के चुनाव में कई उम्मीदवारों का राजनीतिक कॅरिअर भी दांव पर लगा है। इसमें जहां महापौर पद के लिए भाजपा जीत का सिलसिला बरकरार रखना चाहती है तो वहीं सपा, कांग्रेस और बसपा खाता खोलने को उत्सुक है। देखा जाए तो करीब तीन दशक से महापौर के पद पर भाजपा काबिज है। वहीं अन्य दल दूसरे ओर तीसरे स्थान पर ही जगह बना पाई है। आज होने वाले निकाय चुनाव में महापौर पर सभी दावेदारों की किस्मत ईवीएम में कैद हो जाएगी और मतगणना के बाद ये तय हो जाएगा की काशी की जनता ने जीत की झोली किस दल को सौंपी है।
चुनावी वैतरणी पार करने के लिए नामांकन के बाद से ही सभी उम्मीदवारों ने एड़ी जोटी का जोर लगा दिया। जिसमें सूबे के मुख्यमंत्री तक ने जनसभाओं को संबोधित कर भाजपा उम्मीदवारों के पक्ष में समर्थन मांगा है। तो वहीं कांग्रेस के स्थानीय दिग्गजों और सपा के पूर्व मंत्री ने भी जोर आजमाइश में कोई कसर नहीं छोड़ी। वहीं इस चुनाव में बसपा सुप्रीमो ने भी अपनी पार्टी के उम्मीदवारों को मैदान में उतार दिया। जबकि स्थानीय पार्टी के रूप में सुभासपा और अपना दल कमेरावादी ने भी अपने-अपने प्रत्याशी मैदान में उतारे हैं।
इस चुनावी रण में आम आदमी पार्टी ने उम्मीदवारों को टिकट देकर मुकाबले को और भी दिलचस्प बना दिया है। इन दलों के अलावा निर्दल उम्मीदवारों ने भी पूरी दमखम के साथ चुनाव प्रचार में कोई कसर नहीं छोड़ा। बता दें कि इस बार के निकाय चुनाव में महापौर पद के लिए जहां 11 उम्मीदवार मैदान में हैं तो वहीं 100 वार्डों में कुल 636 उम्मीदवार मौदान में हैं। जबकि गंगापुर नगर पंचायत में अध्यक्ष के लिए चार और सदस्य के लिए 30 उम्मीदवार चुनाव में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। जिनकी किस्मत गुरुवार को इवीएम मशीन में कैद हो जाएगी। बहरहाल 13 मई को मतगणना के उपरांत नतीजे आएंगे। जिसके बाद उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला होगा।
खूब लगे नारे और निकाले गए जुलूस
महापौर सहित सभी 100 वार्डों में पार्षद पद के लिए चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों ने प्रचार में कोई कसन नहीं छोड़ी। सभी ने सड़क से लेकर गली और मुहल्लों में जुलूस निकाले। इस दौरान समर्थकों के ओर से उम्मीदवार के पक्ष में नारेबाजी भी की गई। राजनीतिक दलों ने नुक्कड़ सभाओं के साथ जनसभाओं का भी आयोजन किया। इस दौरान ध्वनी विस्तारक यंत्रों और माइक के माध्यम से भोजपुरी लोक गीतों से भी मतदाताओं को लुभाने का प्रयास किया गया।