- निकाय चुनाव में काशी विद्यापीठ के वीसी द्वारा मतदान किये जाने का मामला
- निर्वाचन आयोग को भेजी जांच रिपोर्ट, कार्रवाई को आयोग के निर्देश का इंतजार
वाराणसी। निकाय चुनाव (Nikay Chunav) में वोटर लिस्ट में नाम न होने के बावजूद महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के कुलपति द्वारा किये गये मतदान प्रकरण में सेक्टर मजिस्ट्रेट और पीठासीन अधिकारी पूर्ण रूप से दोषी पाए गये हैं। मामले के जांच अधिकारी एडीएम प्रशासन एवं उप जिला निर्वाचन अधिकारी रणविजय सिंह की रिपोर्ट डीएम एवं जिला निर्वाचन अधिकारी एस. राजलिंगम ने निर्वाचन आयोग को भेज दी है। अब कार्रवाई के लिए आयोग के निर्देश का इंतजार है। नगरीय निकाय निर्वाचन के प्रथम चरण के तहत बीते चार मई को वाराणसी मतदान हुआ था।
पोलिंग बूथ पर नियम पालन कराने की जिम्मेदारी पीठासीन अधिकारी की : DM
कलेक्ट्रेट स्थित जिला रायफल क्लब सभागार में बुधवार को आयोजित एक पत्रकार-वार्ता के दौरान इस मामले को लेकर पूछे गये सवाल के जवाब में जिलाधिकारी ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि पोलिंग के दौरान बूथ पर नियमों का पालन करने व कराने की जिम्मेदारी पीठासीन अधिकारी की है। यदि किसी व्यक्ति को मतदान प्रक्रिया (Nikay Chunav( की जानकारी नहीं है तो पीठासीन अधिकारी का दायित्व है कि वह संबंधित नियमों के बारे में उस व्यक्ति को बताए। इस प्रक्रिया में किसी भी प्रकार के दबाव में नहीं आना चाहिए। सो, इस प्रकरण में संबंधित पीठासीन अधिकारी दोषी पाया गया है।
मतदान करने का प्रकरण मताधिकार का दुरुपयोग नहीं
एक अन्य प्रश्न के उत्तर में जिलाधिकारी ने कहा कि वोटर लिस्ट में नाम न होने के बाद भी मतदान करने का प्रकरण मताधिकार का दुरुपयोग नहीं है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि यदि मैं जनपद में नहीं रहता हूं और यहां का जिलाधिकारी हूं और वोट डालना मेरा अधिकार है तो नियम फॉलो करने की जिम्मेदारी भी मतदेय स्थल के पीठासीन अधिकारी की है। संबंधित बूथ पर वहां का पीठासीन अधिकारी ही सर्वोच्च है। उसको फैसना लेना चाहिए। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के कुलपति के प्रकरण में सेक्टर मजिस्ट्रेट ने पीठासीन अधिकारी को गलत नियम समझाया और पीठासीन अधिकारी ने दबाव में आकर वीसी से मतदान करा दिया। इसलिए सेक्टर मजिस्ट्रेट भी दोषी है। इस मामले में कुलपति दोषी नहीं हैं।

लिस्ट में नाम न होने पर भी कुलपति ने किया था वोट
गत चार मई को कुलपति प्रो. आनंद कुमार त्यागी ने वोटर लिस्ट में नाम न होने के बावजूद संस्थान परिसर स्थित मानविकी संकाय में स्थापित बूथ पर मतदान किया था। जब वह वोटिंग के लिए पहुंचे तो मौके पर बूथ लेवल अफसर ने उन्हें बताया था कि मतदाता सूची में नाम न होने के कारण आप वोट नहीं डाल सकते। इस पर वीसी ने वोटर आई-कार्ड दिखाते हुए कहा था कि विधानसभा चुनाव में मतदान कर चुके हैं तो निकाय चुनाव में मेरा नाम कैसे कट गया। इस पर बीएलओ ने लल्लापुरा मतदान केंद्र की वोटर लिस्ट में उनका नाम शामिल होने की संभावना व्यक्त की। तब प्रो. त्यागी ने कहा कि इस विश्वविद्यालय प्रांगण के बूथों पर संस्थान के सभी स्टाफ का नाम है तो मेरा नाम कैसे दूसरे पोलिंग सेंटर पर चला गया। उसके बाद कुलपति ने सेक्टर मजिस्ट्रेट को बुलाकर अपनी आपत्ति दर्ज करायी। इस पर सेक्टर मजिस्ट्रेट ने वीसी को वोट डालने की इजाजत दी और पीठासीन अधिकारी ने मतदान करा दिया।