मनुस्मृति में कुल 8 प्रकार के विवाह माने गए हैं जिनमे से ब्रह्म विवाह को सबसे श्रेठ विवाह की संज्ञा दी गयी है तो वही पैशाच विवाह को सबसे निम्न स्तर का विवाह माना गया हैं। हिंदू धर्म में कुल आठ प्रकार के विवाहों में अंतिम तीन प्रकार के विवाह निम्न स्तर के माने गए हैं जिनमे से पैशाच विवाह सबसे निम्न हैं क्योंकि इसमें कन्या के साथ जोर-जबरदस्ती की जाती हैं। आइए इसके बारे में जाने।
पैशाच विवाह के बारे में जानकारी
पैशाच विवाह क्या है?
अन्य सभी प्रकार के विवाह में या तो कन्या की अनुमति ली जाती है या उसके परिवारवालो की या दोनों की। कोई भी ऐसा विवाह नही जिसमें दोनों में से किसी एक की भी अनुमति ना ली जाए लेकिन पैशाच विवाह में इनमे से दोनों की ही अनुमति नही ली जाती। कन्या के साथ जोर-जबरदस्ती करके या उसे बेहोश करके किया गया विवाह पैशाच विवाह की श्रेणी में आता है।
पैशाच विवाह कैसे होता है?
इसमें पुरुष या वर पक्ष के लोग कन्या का जबरदस्ती अपहरण कर ले या उसे बहला-फुलसाकर अपने साथ ले जाए या किसी भी वजह से उसे अपने साथ मिला ले। इसके पश्चात यदि पुरुष उस कन्या को बेहोश करके या उसकी गहरी नींद में या उससे जोर-जबरदस्ती करके या नशीला पदार्थ खिलाकर उसके साथ अग्नि को साक्षी मानकर विवाह कर लेता हैं तो उस विवाह को संपन्न माना जाता हैं।
हालाँकि यह एक अनुचित विवाह हैं लेकिन फिर भी इसे विवाह की संज्ञा दी गयी है। इसमें जब तक कन्या होश में आती हैं तब तक उसका विवाह हो चुका होता हैं।
पैशाच विवाह का उदाहरण
इसका सर्वश्रेष्ठ उदाहरण महाभारत काल के समय में मिलता हैं। उस समय भीष्म पितामह ने हस्तिनापुर के राजा के अधीन रहकर ही काम करने का वचन लिया था। उसी वचन का पालन करने के लिए भीष्म पितामह ने हस्तिनापुर के सम्राट के साथ विवाह करवाने के लिए काशी नरेश की तीनो पुत्रियों का अपहरण कर लिया था। इसमें ना ही काशी नरेश की अनुमति थी तथा ना ही उन तीनो कन्याओं की लेकिन कोई भी भीष्म पितामह की शक्ति के कारण उनका विरोध नही कर पाया था। फिर भी शास्त्रों के अनुसार वह विवाह पैशाच विवाह की श्रेणी के अंतर्गत ही आता है।
Anupama Dubey