Varanasi: मकर संक्रांति के अवसर पर वाराणसी का आकाश रंग-बिरंगी पतंगों से सज गया। हर गली, मोहल्ले और छत से “वो काटा… भा कट्टे… हुर्रेर्रेर्रे!” की आवाजें सुनाई देती रहीं, और शहर का वातावरण पतंगबाजी के जोश से गूंज उठा। इस पारंपरिक खेल में न केवल बच्चे, बल्कि युवा और बुजुर्ग भी शामिल हुए और पूरे शहर में उत्साह का माहौल बना।

सुबह की पहली किरण के साथ ही वाराणसी में मकर संक्रांति की तैयारियां शुरू हो गईं। स्नान और पूजा के बाद लोग अपने छतों और मैदानों पर इकट्ठा हुए और पतंगबाजी का आनंद लेने लगे। शीतल वातावरण में शुरू हुई पतंगबाजी के साथ, जैसे-जैसे सूरज की किरणें तेज होती गईं, वैसे-वैसे पेंच लड़ाने का उत्साह भी बढ़ता गया।

Varanasi: हर गली में पतंगबाजी का रंग
वाराणसी के हर इलाके में पतंगों के रंग-बिरंगे दृश्य देखने को मिले। बच्चों और युवाओं ने अपनी पसंदीदा पतंगों के साथ एक-दूसरे को चुनौती दी। युवाओं में खासकर पतंगों के बीच पेंच लड़ाने का जोश साफ दिखाई दे रहा था। हर बार एक पतंग कटने पर “भक्काटा” की आवाज गूंज उठती, जिससे उत्साह और बढ़ जाता।
संगीत और पतंगबाजी का उत्सव
दिनभर पतंगबाजी के साथ डीजे और ढोल की धुनों ने माहौल को और भी जीवंत बना दिया। हर छत से संगीत की आवाजें आ रही थीं, और लोग डीजे की धुनों पर थिरकते हुए पतंग उड़ाने का आनंद ले रहे थे। इस उत्सव में पतंगबाजी और संगीत का संगम था।

धूप के साथ बढ़ी जोश की तीव्रता
दोपहर होते-होते जैसे ही मौसम खुला और हल्की धूप खिली, काशीवासियों का जोश और भी बढ़ गया। आसमान में रंग-बिरंगी पतंगें तितलियों की तरह उड़ती नजर आईं। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक, सभी ने इस रोमांचक खेल में भाग लिया। छोटे मैदानों और गंगा के घाटों पर भी लोग अपने परिवार और दोस्तों के साथ पतंग उड़ाने का लुत्फ ले रहे थे।

दिनभर की पतंगबाजी के बाद, शाम होते-होते शहर में उत्सव का माहौल और भी जीवंत हो गया। मकर संक्रांति के इस खास दिन ने वाराणसी को रंगों और खुशी से भर दिया।
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