PHD Entrance Exam: बीएचयू पीएचडी प्रवेश परीक्षा के लिए जारी नए त्रुटिपूर्ण नियमों के खिलाफ छात्रों का धरना 12वें दिन भी जारी रहा। छात्रों ने आन्दोलन के 12वें दिन शुक्रवार को भूख हड़ताल करके प्रशासन के खिलाफ आक्रोश व्यक्त किया। इसी बीच सेंट्रल ऑफिस पर एक लड़के के आत्मदाह करने की कोशिश की खबर आग की लहर की तरह फ़ैल गई। जिसके बाद अफरा तफरीमच गई।
दरअसल, बारह दिनों से धरनारत एक छात्र पेट्रोल लेकर आत्मदाह करने के इरादे से कुलपति कार्यालय पहुंच गया। इतना ही नहीं, उसने अपने ऊपर पेट्रोल डाल भी लिया। तभी प्रॉक्टोरिअल बोर्ड के सिक्यूरिटी गार्ड्स ने बीच बचाव करते हुए उसे वहां से हटाया। जिसके बाद माहौल सामान्य हुआ। हालांकि कुछ समय तक सेंट्रल ऑफिस पर स्थिति तनावपूर्ण बनी रही। बावजूद इसके स्टूडेंट्स का आंदोलन जारी रहा।
इस दौरान छात्रों ने विश्वविद्यालय प्रशासन PHD Entrance Exam के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और कुलपति से मिलने की जिद पर अड़े रहे। तनावपूर्ण स्थिति को देखते हुए पुलिस बुलाना पड़ा। काफी मान मनौअल के बाद छात्र वापस धरनास्थल की तरफ लौटे। सूत्रों के मुताबिक, इस घटना के बाद कुलपति ने विश्वविद्यालय के वरिष्ठ अधिकारियों संग हाई प्रोफाइल मीटिंग की।
PHD Entrance Exam: स्टूडेंट्स को मिला पूर्व सांसद का साथ
आत्मदाह की खबर सुनते ही काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के छात्रसंघ के पूर्व पदाधिकारी एवं वाराणसी के पूर्व सांसद रहे राजेश मिश्र धरनास्थल पर पहुंचे व धरनारत छात्रों का हालचाल जाना। उन्होंने मांगपत्र को उचित बताते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन को छात्र विरोधी बताया एवं छात्रों के अनिश्चितकालीन प्रदर्शन को अपना समर्थन दिया। राजेश मिश्रा ने छात्रों को सम्बोधित करते हुए कहा कि पहले के समय के कुलपति छात्र हितों को ध्यान में रखकर फैसले लेते थे। अब के कुलपति छात्र विरोधी फैसला लेते हैं।

पूर्व सांसद ने आगे कहा कि विश्वविद्यालय में छात्रसंघ का न होना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। विश्वविद्यालय में छात्रों से प्रशासनिक अधिकारियों के बातचीत का कोई प्रॉपर चैनल नही है। जिसकी आड़ में विश्वविद्यालय प्रशासन मनमनानी हरकतें करता है। जिसका खामियाजा छात्रों को भुगतना पड़ता है। इसका सीधा सा उदाहरण पीएचडी प्रवेश की नयी त्रुटिपूर्ण नियमावली है।
PHD Entrance Exam: ये है पूरा मामला
बता दें कि पीएचडी प्रवेश के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन ने नई नियमावली PHD Entrance Exam जारी की थी। जिसमें व्याप्त त्रुटियों के खिलाफ छात्रों ने कई बार परीक्षा नियंत्रक से सम्पर्क कर ज्ञापन भी दिया एवं त्रुटियों को सुधारने की बात कही। लेकिन प्रशासन ने छात्रों की मांगों को एकदम नजरअंदाज कर दिया। जिसके खिलाफ आक्रोशित होकर छात्र परीक्षा नियंत्रक कार्यालय के मुख्यद्वार पर अनिश्चितकालिन प्रदर्शन पर बैठ गए।
छात्र प्रतिदिन अलग अलग आयोजनों के माध्यम से विश्वविद्यालय प्रशासन को जगाने की कोशिश करते हैं। इस संदर्भ में छात्रों ने पुतला दहन, सांकेतिक शवदाह, आक्रोश मार्च एव कैंडल मार्च भी निकाला था। इस बाबत प्रशासन के अधिकारियों ने एक बार प्रदर्शनकारियों से बातचीत का न्योता भेजा था। जिसमें छात्रों की कुछ मांगे मान ली गयी थी। वहीँ कुछ मांगो पर प्रशासन ने विचार करने को बोला था।
अनिश्चितकालीन प्रदर्शन पर बैठे छात्र विकास ने बताया कि विश्वविद्यालय प्रशासन इन दिनों तुगलकी रवैया PHD Entrance Exam अपनाया रहा है। छात्रों की मांगों को लेकर विश्वविद्यालय प्रशासन का रवैया असन्तोषजनक है। हमारी कुछ मांगो को मौखिक रूप से जरूर माना गया था, लेकिन हम लोग ग्यारह सूत्रीय मांग पत्र पर नियमावली बनने तक अनिश्चितकालीन प्रदर्शन जारी रखेंगे।
अनिश्चितकालीन प्रदर्शन में विकास, पतञ्जलि पाण्डेय, सूर्याभ, राजकुमार डायमंड, शुभम शुक्ला, सौरभ राय, अभिषेक उपाध्याय, हर्ष, अविनाश, मृत्युंजय तिवारी, भीष्मदेव सिंह, प्रिंस पाण्डेय, श्यामल सिंह, अभिजीत राठौर, क्षितिज उपाध्याय, सामंत, अंकित, अभिषेक राय, रणजीत धानका, सौरभ तिवारी, आदित्य भदौरिया, अक्षत, अविनाश सिंह, धर्मेंद्र गोंड, उत्कर्ष द्विवेदी, आशीर्वाद दुबे, दुर्गेश सिंह, अक्षय तिवारी, शुभम मिश्रा, विपिन सिंह समेत दर्जनों छात्र मौजूद थे।