- रेलवे (Railway) द्वारा बस्ती निवासियों को कई बार इसे खाली करने के लिए दी जा चुकी थी नोटिस
- बुल्डोजर ने दबा दी सवा सौ घरों में रहने वाले लोगों की चीख
- बस्ती की तबाही का नजारा तमाशबीन बनकर देखते रह गए लोग
- लोग अपना अपना घर खाली कर सामानो को सहेज ले जाते नजर आए
- लोग इकठ्ठा होकर बुल्डोजर के आगे खड़े हो गए और नारे बाजी करने लगे
वाराणसी | रोती रही महिलाएं, दूध के लिए बिखलते रहें बच्चें लेकिन प्रशासन (Railway) ने एक ना सुनी। उजड़ गया बस्ती वासियों के रहने का ठिकाना, बुल्डोजर ने दबा दी सवा सौ घरों में रहने वाले लोगों की चीख। हम बात कर रहे हैं वाराणसी के राजघाट स्थित किला कोहनावासियों की जिन्होंने आज अपने आंखों से अपनी बस्ती को उजड़ता हुआ देखा और वह कुछ ना कर पाएं।


यह दृश्य जो आप देख रहें है यह कोई फिल्म का दृश्य नहीं बल्कि यह हकीकत है। चलचित्र के भांति आज असल जिन्दगी में ठिकानों की तलाश के मारे लोग अपनी बस्ती की तबाही का नजारा तमाशबीन बनकर देखते रह गए। लोग अपना अपना घर खाली कर सामानो को सहेज ले जाते नजर आए। महिलाएं रोती रही चिल्लाती रही अपने घर को बचाने के लिए बिखलती रही लेकिन आज उनका छत उनसे छीन गया।


प्रशासन (Railway) के प्रहार से स्थिति कुछ यूं हो गई कि कल तक जिन बच्चों के पास खेलने के लिए छत हुआ करता था आज वह भूख की तड़प से रास्ते पर नजर आ रहें। बस्ती निवासी प्रशासन (Railway) से मोहलत की भीख मांगते रह गए लेकिन अवैध इस जमीन को खाली कराने के नीयत से आयी रेलवे की टीम (Railway), पुलिस, आरपीएफ, पीएससी और थाने की फोर्स ने अपने कानों में तेल डाल उस पूरे इलाके को जमीनदोज कर डाला।


रेलवे (Railway) द्वारा लगातार दी गयी थी नोटिस
हालांकि रेलवे (Railway) द्वारा लगातार बस्ती निवासियों को इसे खाली करने का नोटिस दिया जा रहा था जिसकी अंतिम तिथि आज यानि बुधवार 31 मई थी और तमाम नोटिस के बावजूद जब इलाका नहीं खाली किया गया तो आज पुरी फोर्स कई बुल्डोजर के साथ वहां पहुंची।


उनके पहुंचते ही पूरे बस्ती में हड़कंप मच गया। बुल्डोजर को रोकने के लिए लोग इकठ्ठा होकर उसके आगे खड़े हो गए और नारे बाजी करने लगे। स्थिति कुछ ऐसी हो गयी कि एक महिला वहीं गस्ती खाकर अचानक गिर पड़ी तभी रेलवे (Railway) और आरपीएफ की टीम ने वहां पहुंचकर लोगों का हटाया। इसके बाद भी लोग शांत नहीं हुए लोगों द्वारा लगातार इसका विरोध होता रहा। वहीं इसके खिलाफ किला कोहना पानी टंकी से काशी स्टेशन वाराणसी तक प्रतिवाद मार्च निकाला, व सहायक मण्डल इंजिनियर को सम्बोधित ज्ञापन स्टेशन प्रबंधक को सौंपा।

इन तमाम विरोधों को बाद भी प्रशासन (Railway) ने मानो आज ठान रखी थी जमीन खाली कराने की। बुल्डोजर का वार घरों पर कुछ यूं पड़ रहा मानो कोई ईंट के बने घर नहीं दफती के बने वह सिर्फ एक ढ़ांचा हो। ताश के पत्तों के जैसे एक के बाद एक घर जमीनदोज होते गए और लोगों से उनके छत, उनके सपने, उनके अरमान और सब कुछ छिन गए।


बताते चलें कि आज भी उस इलाके में वह शिलापट्ट मौजूद है जिसपर यह उकेरा है जब 2010-11 में भाजपा के पूर्व विधायक श्याम देव राय चौधरी द्वारा सीवर व गली निर्माण के कार्य का शुभांरभ किया गया था।


अगर बात लोगों की करें तो लोगों का यह भी कहना रहा कि तीन पीढ़ियों से करीब 60-70 सालों से वह यहां निवास कर रहें थें और बिजली से लेकर पानी तक के लिए जो भी टैक्स और बिल होते थे वह उसको भरते थें।


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लोगों की यह स्थिति साफ जाहिर करती है कि वह बेघर तो हुए लेकिन उनके पास और कोई ठिकान भी नहीं। उन्होंने कहा कि अब कहा जाएंगे यह तो राम भरोसे है।

खैर बात अगर वहां के लोगों की करें तो क्या मनोस्थिति होगी इस वक्त्त बस्ती वासियों की, किस प्रकार से वह अपने घर को उजड़ता देख खुद को संभाल रहें होंगे इसका अंदाजा नहीं लगाया जा सकता। इस वीडियों को देखकर आप भी सोच में पड़ ही गए होंगे कि हाय रे बेचारे अब कहां जाएंगे ये अपने परिवार संग।