बाबरी मस्जिद विवाद बीजेपी के लिए हमेशा से फायदेमंद साबित हुआ है। इस विवाद के बाद से बीजेपी की सीटें महज 7 वर्ष में दोगुनी हो गईं। 1989 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को 85 सीटें मिली थी। वहीं 1996 के चुनाव में यह संख्या 161 तक पहुंच गई।
राम मंदिर (Ram Mandir) निर्माण की तैयारियां जोरों पर हैं। देश लोकसभा चुनाव से पहले राम जन्मभूमि के नए उद्घाटन पर सबकी नजरें टिकी है। राम जन्मभूमि बीजेपी के लिए संकटमोचक का काम करेगी। 15 दिसम्बर 2023 को 40 माह के भीतर अयोध्या में भव्य राम मंदिर (Ram Mandir) बनकर तैयार हो जाएगा। ये हिन्दुओं के लिए वर्षों का एक सपना है, जिसे बीजेपी ने पूरा किया है। इस मंदिर में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी करेंगे। इसका ब्लू प्रिंट तैयार किया जा रहा है। प्राण-प्रतिष्ठा के बहाने राम जन्मभूमि ट्रस्ट ने पूरे देश में 7 दिनों तक उत्सव मनाने की बात कही है। जिसकी शुरुआत मकर संक्रांति के तुरंत बाद होने की उम्मीद है।
वैसे सियासी चर्चे में यह बात भी सामने आ रही है कि प्रधानमंत्री इसके उद्घाटन से पूर्व सरयू में डुबकी लगा सकते हैं। उन्होंने काशी विश्वनाथ कोरिडोर उद्घाटन से पहले भी गंगा में डुबकी लगाई थी। धर्म से हटके इस आयोजन के सियासी मायने भी निकाले जा रहे हैं। जिसकी वजह है- राम जन्मभूमि (Ram Mandir) आंदोलन, इसका इतिहास और 2024 का लोकसभा चुनाव। वैसे 1990 के दशक में बीजेपी ने राम जन्भूमि आन्दोलन के जरिये ही भारत की राजनीति में अपनी एक मजबूत पैठ बनाई थी। राजनीति के जानकार यह भी कहते हैं कि बीजेपी का उदय ही रामजन्मभूमि आंदोलन के कारण हुआ था।

बीजेपी को लोकसभा की दो सीट से 302 सीटों पर पहुँचाने में यह मुद्दा काफी अहम रहा था। ऐसे में सियासी चर्चा इस बात की भी हो रही है कि रामलला के प्राण-प्रतिष्ठा से पीएम मोदी बीजेपी का पुराना इतिहास दोहराना चाहते हैं।
1988 में मिला राम मंदिर (Ram Mandir) आंदोलन को बल
राममंदिर (Ram Mandir) का विवाद वैसे तो काफी पुराना है, लेकिन इसे बल मिला वर्ष 1988 में। उस वक़्त जनता दल के साथ होने से बीजेपी इस मुद्दे पर बिल्कुल शांत रही। वीपी सिंह की सरकार में मंडल कमीशन लागू होने के बाद बीजेपी कमंडल (राम मंदिर आंदोलन) के रास्ते पर चल पड़ी। वर्ष 1992 में विश्व हिन्दू परिषद, बजरंग दल ने कारसेवा करने का ऐलान किया। इस मुद्दे पर बीजेपी उनके साथ आ गई। उस मस्य केंद्र में पीवी नरसिम्हा राव प्रधानमंत्री थे और उत्तर प्रदेश में कल्याण सिंह की सरकार थी। कारसेवक पुलिस बैरिकेड को तोड़ते हुए अयोध्या पहुंच गए।
देखते ही देखते अयोध्या स्थित बाबरी मस्जिद को कारसेवकों ने जमींदोंज कर दिया। उस समय कारसेवकों ने नारा दिया था – ‘एक धक्का और दो, बाबरी मस्जिद तोड़ दो’। बाबरी के विध्वंस की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए लाल कृष्ण आडवाणी ने लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष से इस्तीफा दिया। बाद में उन्हें इस मामले में आरोपी भी बनाया गया। यह विवाद (Ram Mandir) बीजेपी के लिए फायदेमंद साबित हुआ। 1989 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को 85 सीटें मिली थी। 1991 में बीजेपी के सीटों की संख्या 120 हो गई। तब 120 सीट लाकर बीजेपी देश की दूसरी बड़ी पार्टी बन गई।
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1996 में बीजेपी देश की सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। बीजेपी को लोकसभा की 161 सीटों पर जीत मिली। पहली बार बीजेपी ने अटल बिहारी वाजपेयी को प्रधानमंत्री बनाया। हालांकि यह उनके लिए अनुकूल समय नहीं रहा। मात्र 13 दिनों में ही वाजपेयी सरकार गिर गई।
1996 में राम मंदिर (Ram Mandir) फैक्टर जबरदस्त काम किया। इस वर्ष बीजेपी को मध्य प्रदेश, बिहार, हरियाणा और महाराष्ट्र समेत 6 राज्यों में जीत मिली। जीत के पीछे राम मंदिर आंदोलन को मुख्य वजह माना गया। बीजेपी ने अपने घोषणापत्र में राम मंदिर निर्माण का वादा किया था।
राम मंदिर (Ram Mandir) आंदोलन के बाद से बीजेपी को जिन सीटों पर जीत मिली थी। उन राज्यों की बात करें तो बीजेपी की वर्तमान स्थिति 2019 के मुकाबले काफी कमजोर है। राजनीतिक जानकर कहते हैं कि लोकसभा चुनाव के जरिये बीजेपी एक साथ दो चीजों को साधने की कोशिश कर रही है।
- राम मंदिर निर्माण, जो कि एक लंबे समय से बीजेपी के घोषणा पत्र में चला आ रहा था।
- लव जिहाद, धर्म परिवर्तन और हिंदुत्व से जुड़े मामलों में किसी भी प्रकार की कोई कोताही न बरतना।