वाराणसी। बाबा श्री काशी विश्वनाथ की रंगभरी एकादशी पालकी यात्रा को लेकर विवाद गहरा गया है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने मौजूदा सरकार पर परंपराओं से छेड़छाड़ और काशी की संस्कृति को इवेंट में बदलने का आरोप लगाया है। उन्होंने 13 मार्च को लहुराबीर स्थित कैंप कार्यालय में पत्रकार वार्ता कर इस मुद्दे पर अपनी नाराजगी जाहिर की।
अजय राय ने कहा कि पहले प्रशासन ने पालकी यात्रा को पूरी तरह रोकने की कोशिश की, लेकिन जब इसका विरोध हुआ तो मूर्ति को ढंककर यात्रा निकालने की अनुमति दी गई। इसके अलावा, मंदिर परिसर में दो मूर्तियों को लेकर भी विवाद खड़ा हो गया है—एक प्राचीन मूर्ति और दूसरी प्रशासन द्वारा स्थापित की गई नई मूर्ति। उन्होंने कहा कि यह स्पष्ट रूप से काशी की धार्मिक परंपरा के साथ खिलवाड़ है।
सरकार पर काशी की परंपराओं को तोड़ने का आरोप
अजय राय ने कहा कि बनारस दुनिया की सबसे प्राचीन सांस्कृतिक और आध्यात्मिक नगरी है। यहां तीन सौ वर्षों से चली आ रही परंपराओं को मोदी-योगी सरकार द्वारा बार-बार तोड़ा जा रहा है। उन्होंने भाजपा को सनातन विरोधी बताते हुए कहा कि यह सरकार केवल धार्मिक आयोजनों को अपने राजनीतिक हितों के लिए इवेंट में बदल रही है।
उन्होंने प्रशासन पर मंदिर को पूरी तरह से अपने नियंत्रण में लेने की साजिश रचने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि शासन की मंशा काशी विश्वनाथ मंदिर का पूरी तरह अधिग्रहण करना है, ताकि हिंदू रीति-रिवाजों और परंपराओं को भी सरकार के नियंत्रण में लाया जा सके।

पालकी यात्रा पर प्रतिबंध: परंपराओं से खिलवाड़?
अजय राय ने कहा कि 2021 में मंदिर सीईओ सुनील वर्मा ने आदेश जारी किया था कि प्रतिमा को मंदिर में लाने पर कोई आपत्ति नहीं। लेकिन 19 अगस्त 2024 को थाना दशाश्वमेध से नया आदेश आया, जिसमें पंचबदन प्रतिमा की शोभायात्रा पर रोक लगाने की बात कही गई ताकि शांतिव्यवस्था बनी रहे।
इसके बाद 6 मार्च 2025 को महंत परिवार को धारा 168 के तहत नोटिस भेजा गया। अजय राय ने कहा कि इस नोटिस की भाषा अपमानजनक थी और यह दर्शाता है कि सरकार काशी की परंपराओं को अराजक गतिविधियों के रूप में दिखाने की कोशिश कर रही है।
उन्होंने यह भी कहा कि प्रशासन ने यह नियम बनाया है कि पूर्व महंत कुलपति तिवारी जी की मृत्यु के बाद कोई बाहरी प्रतिमा मंदिर में नहीं लाई जा सकती। लेकिन इसके बावजूद प्रशासन ने खुद मंदिर में एक नई प्रतिमा स्थापित कर दी, जिससे लोगों की धार्मिक भावनाएं आहत हुईं।
प्रधानमंत्री और भाजपा के स्थानीय नेताओं की चुप्पी पर सवाल
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री और भाजपा के स्थानीय नेताओं पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को अपने संसदीय क्षेत्र में हो रही इस धार्मिक छेड़छाड़ पर जवाब देना चाहिए।
उन्होंने कहा कि काशी की जनता अपनी परंपराओं के साथ खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं करेगी। उन्होंने भाजपा पर काशी की संस्कृति और आस्था को नष्ट करने का आरोप लगाते हुए कहा कि जनता इस षड्यंत्र को सफल नहीं होने देगी।
धार्मिक भावनाओं का उल्लंघन
अजय राय ने इस बात पर भी नाराजगी जाहिर की कि गर्भगृह में दो-दो मूर्तियां रख दी गईं—एक प्राचीन मूर्ति को बगल में रख दिया गया और प्रशासन ने अपनी तरफ से एक नई प्रतिमा रख दी। उन्होंने कहा कि यह काशी की धार्मिक परंपरा को खंडित करने की सोची-समझी साजिश है।
उन्होंने कहा कि मंदिर प्रशासन ने हर साल किसी न किसी बहाने से पालकी यात्रा को रोकने की कोशिश की है, लेकिन इस बार यह विवाद और बढ़ गया है क्योंकि प्रशासन खुद मंदिर के धार्मिक स्वरूप को बदलने की कोशिश कर रहा है।
काशी की जनता विरोध जारी रखेगी
अजय राय ने कहा कि काशीवासियों ने हमेशा अपनी परंपराओं की रक्षा की है, और आगे भी करते रहेंगे। उन्होंने कहा कि यह लड़ाई काशी की अस्मिता, संस्कृति और आस्था को बचाने की लड़ाई है।
उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार एक तरफ हिंदुत्व की राजनीति करती है, लेकिन असल में सनातन परंपरा के खिलाफ फैसले लेती है। उन्होंने जनता से अपील की कि वे अपनी परंपराओं और संस्कृति की रक्षा के लिए आगे आएं।
Highlights
पत्रकार वार्ता में कौन-कौन रहे मौजूद?
इस पत्रकार वार्ता में प्रदेश अध्यक्ष अजय राय, जिलाध्यक्ष राजेश्वर पटेल, महानगर अध्यक्ष राघवेंद्र चौबे, प्रमोद पांडेय, फसाहत हुसैन बाबू, दुर्गा प्रसाद गुप्ता, वकील अंसारी, राजीव राम, अनुभव राय, चंचल शर्मा, रोहित दुबे, आशिष गुप्ता, विकास कौंडिल्य, मोहम्मद उज्जैर और शुभम सिंह समेत कई कार्यकर्ता मौजूद थे।

