आंध्र प्रदेश में तिरुपति बालाजी मंदिर के लड्डू प्रसाद विवाद (Tirupati Prasad) ने राज्य की राजनीति में उथल-पुथल मचा दी है। इस मुद्दे पर अब आध्यात्मिक गुरु और आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने इस विवाद पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि यह घटना हिंदू धर्म के अनुयायियों की भावनाओं को गहरे स्तर पर आहत कर रही है, जिसे किसी भी सूरत में माफ नहीं किया जा सकता। उन्होंने इसे दुर्भावनापूर्ण बताते हुए आरोप लगाया कि इसमें शामिल लोगों की लालच ही इस विवाद की जड़ है और उन्हें कड़ी सजा मिलनी चाहिए।
श्री श्री रविशंकर ने लड्डू प्रसाद (Tirupati Prasad) से जुड़े विवाद की निंदा करते हुए इसे सिर्फ एक खाद्य पदार्थ का मामला नहीं बताया, बल्कि इसे धर्म और आस्था से जुड़ा हुआ एक गंभीर विषय कहा। उन्होंने कहा, “यह घटना सिर्फ एक लड्डू का मामला नहीं है, यह हिंदू धर्म और उसकी परंपराओं पर सीधा हमला है। यह हमारे धार्मिक विश्वासों को ठेस पहुंचाने वाली घटना है और इसमें शामिल लोगों को दंडित किया जाना चाहिए।”
खाद्य सामग्री की जांच (Tirupati Prasad) की मांग
इस विवाद (Tirupati Prasad) को लेकर अपनी चिंता जताते हुए श्री श्री रविशंकर ने सुझाव दिया कि तिरुपति लड्डू के अलावा मंदिर से संबंधित सभी खाद्य सामग्रियों की भी विस्तृत जांच होनी चाहिए। उन्होंने कहा, “लड्डू के साथ-साथ हमें सभी खाद्य सामग्रियों की भी जांच करनी चाहिए। खासतौर पर बाजार में मिलने वाले घी की गुणवत्ता की भी जांच होनी चाहिए। यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि जो घी मंदिर में इस्तेमाल हो रहा है, वह पूरी तरह से शुद्ध और मिलावट रहित है।”
उन्होंने यह भी कहा कि केवल मंदिर के भीतर ही नहीं, बल्कि आम जनता के उपयोग के लिए बाजार में उपलब्ध खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता की भी सख्त जांच (Tirupati Prasad) होनी चाहिए। “जो लोग भोजन में मिलावट करके उसे शाकाहारी बता रहे हैं, ऐसे लोगों को कानून के तहत कड़ी सजा दी जानी चाहिए। यह एक गंभीर अपराध है और इससे हिंदू धर्म की शुद्धता को खतरा पैदा हो रहा है।”
मंदिर प्रबंधन के लिए आध्यात्मिक नेताओं की समिति का सुझाव
श्री श्री रविशंकर ने मंदिर की प्रशासनिक व्यवस्था की भी समीक्षा करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि मंदिर प्रबंधन की देखरेख के लिए एक आध्यात्मिक नेताओं की समिति (Tirupati Prasad) गठित की जानी चाहिए, जो मंदिर की सभी व्यवस्थाओं की निगरानी करे। उन्होंने कहा, “हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि तिरुपति जैसे महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों की देखरेख संतों और आध्यात्मिक गुरुओं की निगरानी में हो। इसके लिए एक समिति बनाई जानी चाहिए, जिसमें उत्तर से दक्षिण तक के आध्यात्मिक नेताओं का समावेश हो।”
उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि इस समिति में सरकार की ओर से भी एक प्रतिनिधित्व हो, लेकिन उसे सिर्फ सीमित भूमिका निभानी चाहिए। मुख्य निर्णय और मंदिर की गतिविधियों पर नियंत्रण (Tirupati Prasad) धार्मिक संगठनों और आध्यात्मिक नेताओं के हाथ में होना चाहिए। उन्होंने एसजीपीसी (शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी) जैसे धार्मिक बोर्डों का उदाहरण देते हुए कहा कि ऐसा मॉडल तिरुपति मंदिर के लिए भी अपनाया जाना चाहिए।
चंद्रबाबू नायडू का आरोप: मिलावटी घी का इस्तेमाल
इस विवाद (Tirupati Prasad) के मूल में आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू द्वारा लगाए गए आरोप हैं। नायडू ने आरोप लगाया था कि पिछली सरकार (वाईएसआरसीपी) के कार्यकाल में तिरुपति लड्डू प्रसाद में मिलावटी घी का इस्तेमाल किया जा रहा था। उन्होंने दावा किया कि जानवरों की चर्बी का इस्तेमाल लड्डू बनाने में किया जा रहा था, जो हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए बहुत बड़ी अपमानजनक बात है।
नायडू ने आगे कहा कि वर्तमान में मंदिर में सभी चीजें सैनेटाइज की गई हैं और शुद्ध घी का उपयोग किया जा रहा है, जिससे तिरुपति बालाजी मंदिर की प्रतिष्ठा और शुद्धता (Tirupati Prasad) को बनाए रखा जा सके। उन्होंने यह भी जोर देकर कहा कि मंदिर से जुड़े सभी खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता की नियमित जांच होनी चाहिए ताकि भविष्य में ऐसे विवाद न उत्पन्न हों।
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