वाराणसी में रोपवे (Ropeway) निर्माण कार्य जोरों पर है। यह देश का पहला अर्बन ट्रांसपोर्ट रोपवे प्रोजेक्ट है, जिसका पहला चरण लगभग पूरा होने वाला है। तीन प्रमुख स्टेशनों— कैंट, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ और रथयात्रा— का निर्माण लगभग 80% तक पूरा हो चुका है। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घोषणा की है कि मई 2024 में इस परियोजना का संचालन शुरू कर दिया जाएगा।
रोपवे (Ropeway) परियोजना की प्रगति
वाराणसी विकास प्राधिकरण और नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) इस महत्वपूर्ण परियोजना पर कार्य कर रहे हैं। इसके पहले चरण में मुख्य रूप से कैंट, भारत माता मंदिर, विद्यापीठ और रथयात्रा स्टेशनों पर निर्माण पूरा किया जा रहा है। इस परियोजना के तहत चौथे और पांचवें स्टेशन पर भी काम जारी है, लेकिन पिलर नंबर 29 पर कानूनी विवाद के कारण कुछ कार्य बाधित हो गया है। यह मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है और 15 अप्रैल को इस पर सुनवाई होनी है।
20% कार्य शेष, अंतिम चरण में निर्माण
रोपवे परियोजना के पहले चरण का 80% कार्य पूरा हो चुका है और केवल फिनिशिंग का 20% कार्य शेष है। नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया की प्रोजेक्ट मैनेजर पूजा मिश्रा के अनुसार, मई के पहले सप्ताह तक इस परियोजना को पूरी तरह से हैंडओवर करने का निर्देश दिया गया है। सभी स्टेशन अपनी अंतिम चरण की ओर बढ़ रहे हैं, जहां अब केवल अंतिम टच दिया जा रहा है।
स्टेशनों की भव्यता और सुविधाएं
रोपवे स्टेशनों की बनावट वाराणसी की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत को ध्यान में रखकर की जा रही है। कैंट स्टेशन पर मंदिर शैली का शिखर, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ स्टेशन पर भगवान शिव की मूर्ति, और रथयात्रा स्टेशन पर त्रिशूल एवं डमरू की थीम आधारित डिज़ाइन तैयार की जा रही है। स्टेशनों की दीवारों और फर्श पर चुनार के प्रसिद्ध पत्थरों का उपयोग किया गया है, जिससे यह स्टेशन ऐतिहासिक और आकर्षक दिखेंगे।
आधुनिक सुविधाओं से लैस होंगे स्टेशन
स्टेशनों को मेट्रो स्टेशनों की तर्ज पर विकसित किया जा रहा है, जहां डिजिटल टिकटिंग और ऑटोमैटिक एंट्री सिस्टम लगाया जाएगा। इसके लिए विशेष स्कैनिंग मशीनें स्थापित की जाएंगी, जो यात्रियों को डिजिटल टिकट या टोकन के माध्यम से प्रवेश की अनुमति देंगी। इस पूरी व्यवस्था को हाईटेक और सुगम बनाने के लिए मुंबई के विशेषज्ञों की टीम कार्य कर रही है।
इसके अतिरिक्त, तीनों प्रमुख स्टेशनों पर कुल 14 एलीवेटर और 13 एस्केलेटर लगाए जाएंगे, जिससे यात्रियों को आवागमन में कोई दिक्कत न हो।
रोपवे यात्रा का किराया
परियोजना के तहत, यात्रियों के लिए किराया भी काफी किफायती रखा गया है। रोपवे में कैंट से गोदौलिया तक यात्रा करने का किराया लगभग 60 रुपये और कैंट से रथयात्रा तक यात्रा करने का किराया लगभग 40 रुपये रखा जाएगा। यह ऑटो रिक्शा के किराए के समान होगा, जिससे स्थानीय यात्रियों को बड़ी राहत मिलेगी।
वेटिंग हॉल और अन्य सुविधाएं
यात्रियों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए स्टेशन परिसरों में वेटिंग हॉल, फूड कोर्ट, किड्स ज़ोन और शौचालय की व्यवस्था की गई है। इसके अलावा, स्टेशनों के पास ही गाड़ियों की पार्किंग की सुविधा भी उपलब्ध कराई जाएगी।
दूसरे चरण में गिरिजाघर और गोदौलिया स्टेशन
रोपवे परियोजना के दूसरे चरण में गिरिजाघर और गोदौलिया स्टेशन का कार्य पूरा किया जाएगा। फिलहाल, पिलर नंबर 29 के विवाद के कारण गोदौलिया स्टेशन के कुछ हिस्सों पर निर्माण कार्य रुका हुआ है। तीन बहनों की जमीन के मुआवजे का मामला अदालत में लंबित है, जिसकी सुनवाई 15 अप्रैल को होगी। इस फैसले के बाद यह स्पष्ट होगा कि वहां निर्माण कार्य जारी रहेगा या नहीं।
परियोजना की कुल लागत
इस पूरे प्रोजेक्ट की लागत लगभग 810 करोड़ रुपये है। कैंट, भारत माता मंदिर, विद्यापीठ और रथयात्रा स्टेशनों को भव्यता प्रदान करने के लिए विशेष रूप से डिज़ाइन किया गया है। कैंट स्टेशन पर छह लिफ्ट और चार एस्केलेटर लगाए जाएंगे, जबकि विद्यापीठ स्टेशन पर चार लिफ्ट और चार एस्केलेटर होंगे। रथयात्रा स्टेशन पर चार लिफ्ट, पांच एस्केलेटर, तीन टिकट काउंटर और पांच वेंडिंग मशीन लगाई जा रही हैं।
Highlights
मई में शुरू होगी रोपवे सेवा
रोपवे परियोजना का पहला चरण मई 2025 में यात्रियों के लिए खोल दिया जाएगा। इससे वाराणसी की यातायात समस्या काफी हद तक सुलझेगी और स्थानीय लोगों के साथ-साथ पर्यटकों को भी एक नया यात्रा अनुभव मिलेगा। रोपवे सेवा शुरू होने के बाद वाराणसी में परिवहन का एक नया अध्याय जुड़ जाएगा, जिससे शहर के पर्यटन और आवागमन में बड़ा बदलाव आएगा।