Rungta Case Update: रुंगटा हत्याकांड के गवाह को धमकाने के मामले में मुख़्तार अंसारी को कोर्ट ने साढ़े पांच साल की सजा सुनाई है। साथ ही दस हजार रुपए जुर्माना भी लगाया है। माफिया की पेशी कोर्ट में शुक्रवार को वीसी के जरिये हुई थी। माफिया ने अपने लिए अदालत में रहम करने की भी बात कही थी।
एक दौर था, जब मुख़्तार अंसारी के दहशत की तूती बोलती थी। उसने अपने अपराधों का दायरा यूपी, दिल्ली और पंजाब तक फैला रखा था। उसके गुर्गे इन राज्यों में कई कोने तक फैले हुए थे। मुख़्तार फ़ोन और अपने गुर्गों के माध्यम से ही अधिकतर घटनाओं को अंजाम देता था। रुंगटा मामले में भी परिजनों बहुत डरते हुए FIR दर्ज किया था।
Rungta Case: अपहरण के बाद हत्या या कुछ और?
भेलूपुर थाना क्षेत्र के जवाहर नगर के रहने वाले कोयला व्यवसायी नंद किशोर रुंगटा का 22 जनवरी 1997 को अपहरण [Rungta Case] कर लिया गया था। इस अपहरण के बाद कोयला व्यापारी व विश्व हिन्दू परिषद के तत्कालीन कोषाध्यक्ष रहे नंद किशोर का क्या हुआ? इसका राज वारदात के 26 साल 24 दिन बाद भी बरकरार है। घटना के बाद से ही रुंगटा के परिजन इतना सहमे हुए हैं कि आज तक सार्वजनिक रूप से उनकी कोई तस्वीर या फिर उनका कोई बयान सामने नहीं आया।
मुख़्तार के दो गुर्गों पर दो-दो लाख का ईनाम घोषित
नंद किशोर रुंगटा के अपहरण और हत्या संबंधित जो मूल मुकदमा [Rungta Case] है, उसमें मुख़्तार समेत अन्य आरोपी निचली अदालतों में बरी हो चुके हैं। मामला अब हाईकोर्ट में लंबित है। इस मामले की पैरवी सीबीआई कर रही है। मुकदमे में नामजद मुख़्तार को दो गुर्गे अताउर रहमान उर्फ़ बाबू उर्फ़ सिकंदर और शहाबुद्दीन अब तक नहीं पकड़े जा सके हैं। सीबीआई ने दोनों पर दो-दो लाख रुपए का ईनाम घोषित किया है।

26 वर्ष पहले दर्ज हुआ था मुकदमा
भेलूपुर थाना अंतर्गत जवाहर नगर एक्सटेंशन निवासी महावीर प्रसाद रुंगटा ने 23 जनवरी 1997 को भेलूपुर थाने में नंद किशोर रुंगटा के अपहरण का मुकदमा [Rungta Case] दर्ज कराया था। जिसमें उन्होना आरोप लगाया था कि 22 जनवरी 1997 को सफ़ेद रंग की मारूति वैन में सवार विजय सिंह और उसके साथियों ने उनके भाई का अपहरण कर लिया। पुलिस ने इस मामले की जांच शुरू की तो सामने आया कि विजय सिंह के रूप में मुख़्तार अंसारी ही झारखण्ड का कोयला व्यापारी बनकर व्यापार के सिलसिले में नन्द किशोर रुंगटा से मिला था। चुनाव के लिए मुख़्तार को पैसा चाहिए था।
उसने कारोबार के सिलसिले में बात करने के लिए रुंगटा को अपनी कार में बैठाया और फिर उनका अपहरण [Rungta Case] कर तीन करोड़ रुपए की फिरौती मांगी थी। पुलिस से शिकायत करने पर परिजनों को बम से उड़ाने की धमकी देकर मुख़्तार अंसारी ने सवा करोड़ रुपए की पहली क़िस्त वसूल भी ली थी। लेकिन उसके बाद रुंगटा का आज तक पता नहीं चला।
दहशत में दर्ज कराया मुकदमा
वादी महावीर प्रसाद रुंगटा ने धमकी देने के मामले में 26 वर्ष पहले मुकदमा दर्ज कराया था। उस दौरान रुंगटा के परिजन डर से सहम गए थे। वादी ने अदालत में अपने बयान में कहा था कि डर के कारण ही हमने डीआईजी रेंज को तहरीर दी और मामले को गोपनीय रखने को कहा था। वादी ने यह भी कहा कि अभियुक्त के खिलाफ पहले से ही अपहरण, हत्या और हत्या के प्रयास समेत कई मुकदमे दर्ज हैं। ऐसे में हमारे पास झूठा मुकदमा दर्ज कराने का कोई कारण नही था।
Highlights
अभियुक्त घटना से पहले राजनीति में था। वर्ष 1996 में विधायक चुना गया। वह जगह-जगह जनसभाओं को संबोधित करता था और सामान्य व्यकित भी उसकी आवाज़ से परिचित था। ऐसे में आवाज़ पहचानने के लिए अभियुक्त से मिलना आवश्यक नहीं तय। वादी ने टेलीफोन पर अभियुक्त की आवाज़ पहचान ली थी। उसने स्वयं अपने नाम से फोन किया था।