वाराणसी। रूस-युक्रेन युद्ध से परेशान और सनातन की भव्यता को जानने के बाद रूस के एंटीव एंड्रिव ने सनातन धर्म अपना लिया। एंड्रिव तंत्र दीक्षा लेकर अनंतानंद बन गए। वाराणसी के शिवाला स्थित वाग्योग चेतना पीठम में गुरुवार को आयोजित एक अनुष्ठान के एंटोन की तंत्र दीक्षा पूरी हुई। अतंदानंद को गुरुमंत्र के साथ ही कश्यप गोत्र मिला। इसके साथ अतंदानंद की सनातन धर्म की यात्रा शुरू हो गई।
तंत्र दीक्षा के दौरान अतंदानंद पीताम्बर धारण किए हुए सनातनी भाव में डूबे हुए नजर आए। तन्त्र दीक्षा की शुरुआत आशापति शास्त्री के नेतृत्व में पं० सत्यम शास्त्री और पं० विनीत शास्त्री ने की। विधि-विधान से दीक्षा की प्रक्रिया पूरी होने के बाद अतंदानंद ने बताया कि उन्होंने परमात्मा की शरण में जाने और उच्च साधना के लिए मंत्र की दीक्षा ली है।

एंटीव एंड्रिव से अतंदानंद बने ने बताया कि वे रूस और युक्रेन के युद्ध से काफी व्यथित हैं। इसकी शांति के लिए वे मां तारा से प्रार्थना करेंगे। एंटोन आचार्य वागीश शास्त्री के सम्पर्क में वर्ष 2015 में आए थे, लेकिन समय के आभाव में साधना पूरी न कर सके। उन्होंने आशापति के सानिध्य में कुंडलिनी साधना की सम्पूर्ण 10 कक्षाएं पूर्ण की।
पंडित आशापति शास्त्री ने बताया कि दुनिया में यूक्रेन और रूस से दीक्षा लेने वालों की संख्या काफी ज्यादा है। गुरु वागीश शास्त्री और मेरे द्वारा अब तक 80 देशों के 15 हजार विदेशी शिष्यों को दीक्षा दी गई है। दीक्षा लेने की परंपरा 1980 में शुरू की गई थी। तब से लगातार यह काम चल रहा है। जो व्यक्ति पात्र है, उसी को दीक्षा दी जाती है।
बता दें कि एंटोन एंड्रिव रूस में क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट हैं। उन्हें रूस में बनारस के वागीश शास्त्री के बारे में पता चला और कुंडलिनी जागृत करने की इच्छा हुई। कुछ कक्षाएं भी लीं लेकिन पूरा नहीं कर पाए।
एंटोन एंड्रिव ने बताया कि वर्ष 2022 में गुरु वागीश शास्त्री का निधन हो गया था। हालांकि 10 दिनों के ध्यान के दौरान मुझे जो अनुभूति हुई है उसको शब्दों में बयां करना नामुमकिन है। यह सनातन धर्म और काशी की मिट्टी की शक्ति है, जिसने मेरी दीक्षा को पूर्ण किया।