Saanga Controversy: राज्यसभा में राणा सांगा को लेकर दिए गए कथित विवादित बयान के मामले में समाजवादी पार्टी के राज्यसभा सांसद रामजी लाल सुमन को वाराणसी की एमपी-एमएलए कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने इस मामले में दाखिल याचिका को पोषणीय न मानते हुए खारिज कर दिया। अदालत ने यह स्पष्ट किया कि संसद के भीतर दिए गए बयानों को संविधान के अनुच्छेद 105 (2) के तहत संरक्षण प्राप्त है, और इस आधार पर सांसद के विरुद्ध मामला दर्ज करने की कोई विधिक गुंजाइश नहीं बनती।
यह मामला राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना के वाराणसी इकाई के जिलाध्यक्ष आलोक कुमार सिंह द्वारा दाखिल परिवाद पर आधारित था। परिवाद में आरोप लगाया गया था कि सपा के राज्यसभा सांसद रामजी लाल सुमन ने 21 मार्च 2025 को राज्यसभा की कार्यवाही के दौरान राणा सांगा को “गद्दार” कहकर संबोधित किया और क्षत्रिय समाज को “गद्दार की औलाद” बताया, जिससे पूरे समाज की भावनाओं को गहरी ठेस पहुंची।
परिवादी आलोक सिंह ने अदालत में यह भी कहा कि सांसद का बयान सदन तक ही सीमित नहीं रहा, बल्कि उन्होंने सदन से बाहर मीडिया में भी इसी प्रकार की टिप्पणियां दोहराईं। इसके समर्थन में तीन वीडियो क्लिप अदालत को सौंपी गईं, जिनमें सांसद की इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को दी गई प्रतिक्रियाएं दर्ज थीं।

Saanga Controversy: वीडियो क्लिप में नहीं था कोई ठोस प्रमाण
हालांकि अदालत ने इन वीडियो क्लिप्स की समीक्षा के बाद कहा कि उनमें ऐसा कोई ठोस प्रमाण नहीं है जिससे भारतीय दंड संहिता (बीएनएस) की धारा 197, 299, 302, 356(2), 356(3) के तहत कोई आपराधिक मामला बनता हो। न्यायालय ने अपने आदेश में यह भी कहा कि सांसद द्वारा सदन में जो वक्तव्य दिया गया है, वह भारतीय संविधान की धारा 105(2) के अंतर्गत सुरक्षित है, अतः उसके लिए उन्हें अदालत में अभियुक्त के रूप में नहीं तलब किया जा सकता।
इस पूरे मामले की सुनवाई अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (चतुर्थ)/एमपी-एमएलए कोर्ट नीरज कुमार त्रिपाठी की अदालत में हुई, जहां सांसद रामजी लाल सुमन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अनुज यादव उपस्थित रहे। अदालत ने याचिका को ग्राह्य न मानते हुए प्रारंभिक स्तर पर ही खारिज कर दिया।