Saawan Purnima: सावन मास में वैसे तो सामान्यत: भगवान शिव की पूजा-अर्चना होती है लेकिन इस बार पुरुषोत्तमी सावनी पूर्णिमा पर शिव के साथ ही भगवान विष्णु की भी पूजा अर्चना की जायेगी। मंगलवार होने के कारण मंगलागौरी तथा हनुमान की भी पूजा की जायेगी। इस बार पूर्णिमा तिथि के साथ भगवान विष्णु की भी पूजा अर्चना का अनुपम संयोग बन रहा है।
पुरुषोत्तम मास में पूर्णिमा तिथि (Saawan Purnima) पड़ने पर इसका महत्व और भी फलदायी हो गया है। प्रसिद्ध ज्योतिषी पं. विमल जैन के अनुसार स्नान-दान व व्रत की पूर्णिमा तिथि एक अगस्त को पड़ रही है। पूर्णिमा तिथि 31 जुलाई सोमवार की रात्रि 3.55 मिनट पर लगेगी जो कि एक अगस्त मंगलवार की रात्रि 12.02 मिनट तक रहेगी। पुरुषोत्तमी सावनी पूर्णिमा के दिन आस्थावान व्रतकर्ता को प्रात:काल सूर्योंदय के समय उठ कर ब्रह्म मुहुर्त में समस्त दैनिक कृत्यों से निवृत्त होकर स्नान करके पूजा अर्चना करनी चाहिए।
व्रतकर्ता को अपने आराध्य देवी-देवता की पूजा अर्चना करके व्रत का संकल्प (Saawan Purnima) लेना चाहिए। इसमें भगवान विष्णु को ऋतुफल, नैवेद्य आदि अर्पित करने का विधान है। पूर्णिमा के दिन सत्यनारायण भगवान की पूजा-अर्चना का महत्व है। भगवान विष्णु के विग्रह के समक्ष शुद्ध देशी घी का दीप प्रज्जवलित कर श्रीमद्भागवत, विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना श्रेयस्कर होता है। धार्मिक व पौराणिक मान्यता के अनुसार स्नान-दान एवं अन्य धार्मिक आयोजन करने से जीवन में भौतिक कष्ट से मुक्ति मिलती है।
Saawan Purnima: पूर्णिमा तिथि चन्द्रदेव को है समर्पित
पूर्णिमा तिथि (Saawan Purnima) चन्द्रदेव को समर्पित है। जिन व्यक्तियों को चन्द्रमा ग्रह की महादशा, अर्न्तदशा चल रही हो या चन्द्रमा जन्म कुंडली में शुभ फल प्रदान न कर रहा हो उन्हें पूर्णिमा तिथि के दिन व्रत उपवास रख कर चन्द्रमा ग्रह की विशेष पूजा-अर्चना करके पुण्य लाभ प्राप्त करना चाहिए। पूर्णिमा तिथि के दिन चावल, देशी घी, सफेद वस्त्र, सफेद मिठाई, सूखे मेवे, ऋतुफल आदि का ब्राह्मण को दान करना लाभकारी रहता है। शास्त्रों में कहा गया है कि सत्यनारायण भगवान की कथा का आयोजन करना फलदायी रहता है।