वाराणसी। काशी में महात्मा गांधी, आचार्य विनोभा भावे और लोकनायक जय प्रकाश नारायण की विरासत की निशानी जमींदोज होगी। यह वह भवन है जिसके बारे में यह कहा जाता है की इसकी नींव देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने रखी थी। महात्मा गांधी की मृत्यु के बाद गांधीवाद के उद्देश्य उनके विचारों को समाज में जीवित रखने के लिए 1948 में सर्व सेवा संघ (Sarv Seva Sangh) की स्थापना की गयी थी।




भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के विराचों को एक अमोल रूप देते हुए उनके विरासता को जिन्दा रखने के लिए डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, लाल बहादुर शास्त्री, जगजीवन राम और आर्चाय विनोभा भावे ने इस संघ (Sarv Seva Sangh) की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। लेकिन इस जमीन को इस वक्त रेलवे की नोटिस मिली है और इस नोटिस के अनुसार 30 जून यानि की आज इस धरोहर (Sarv Seva Sangh) को जमीनदोज करने के लिए रेलवे का बुल्डोजर वहां जाने को है।



ऐसे में इस विरासत, इस धरोहर (Sarv Seva Sangh) को बचाने के लिए सरकार के खिलाफ और रेलवे के बुल्डोजर को रोकने के लिए सर्वदलीय पार्टी के नेता और गांधीवादी से जुड़े लोग राजघाट स्थित सर्व सेवा संघ (Sarv Seva Sangh) व गांधी संस्थान पहुंचे।


आज वह माहौल एक बार फिर से याद आ गया जब सत्याग्रह आंदोलन करने के लिए गांधी संग तमाम लोग सड़क पर उतरे थे। यहां भी कुछ ऐसा माहौल है, एक तरफ रेलवे की नोटिस और आने वाले बुल्डोजर का इंतजार और दूसरी तरफ गांधीवादी लोग व नेता सत्याग्रह करते हुए। वहां मौजूदा लोगों ने सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी भी की।


Sarv Seva Sangh : यदि गिराना है यह विरासत तो बुल्डोजर को लेकर जाएं हमारे ऊपर से
पूर्व सांसद डॉ राजेश मिश्रा ने का कहना रहा कि रेलवे की ओर से इस जमीन को आज ध्वस्त करने की आयी है और हमलोग भी यहां बैठकर बुल्डोजर का इंतजार कर रहें हैं कि बड़े बाबा का बुल्डोजर आएगा या फिर छोटे बाबा का और उसे हम रोकेंगे क्योंकि यह जमीन किसी की निजी जमीन नहीं यह देश के अस्मिता की धरोहर (Sarv Seva Sangh) है। आज हमलोग यहां बैठे हैं और बुल्डोजर आएगा अगर उसे इस धरोहर को गिराना है। तो हमारे ऊपर से बुल्डोजर लेकर जाए और गिराए लेकिन हम नहीं हटने वाले।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व मंत्री अजय राय ने कहा कि आज सर्वाेदय की जमीन को पीएम मोदी अधिग्रहित करने जा रहे हैं। लगभग 60 सालों से यह जमीन इनकी है और यहां कोई गलत कार्य नहीं होता, गांधी के विचारों पर यहां लोग रहते है और अब इस जमीन को जबरजस्ती हड़पने का प्रयास यह सरकार कर रही है। उन्होंने कहा कि जब तक की सरकार इस आदेश को वापस नहीं लेती है तब तक हम यहां ऐसे ही रहेंगे इसे बचाने के लिए हर लड़ाई लडेंगे।

समाजवादी पार्टी के नेता पूर्व मंत्री सुरेंद्र सिंह पटेल ने कहा कि यह सरकार लोकतंत्र की हत्या कर रही है और हमलोग यहां गांधी व विनोभा जयप्रकाश के धरोहर (Sarv Seva Sangh) को बचाने के लिए यहां बैठे हैं। इसी के विरोध में समाजवादी व सर्वदलीय पार्टी के नेता सड़क से लेकर सदन तक पुरी मजबूती के साथ खड़े है। वहीं उन्होंने यह भी कहा कि हम यहां गेट के पास बैठे हैं जो बुल्डोजर आने वाला है उसके स्वागत में, उसे रोकने के लिए बैठे हैं। चाहे कुछ भी हो जाए हमारे उपर से बुल्डोजर चल जाए लेकिन हम यह विरासत ध्वस्त नहीं होने देंगे।

प्रोफेसर आनंद कुमार ने सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा कि देश की जो भी समस्याएं हैं उन्हें सुलझाने का मार्ग गांध्ीावाद देता है और उसे आप खत्म करना चाहते हैं क्यों क्योंकि आप यहां पर रेल के मार्ग का विस्तार करना चाहते हैं। आपका कहना है यह जमीन कब्जे वाली है तो आखिर यह कब्जा किसने कराया डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, लाल बहादुर शास्त्री, जगजीवन राम और आर्चाय विनोभा भावे ने जो कि देश के सबसे ईमानदार व्यक्ति रहें। आपको शर्म नहीं आती है ऐसा कहते हुए। पिछले 71 सालों में ऐसा कुछ नहीं हुआ आज अचानक से ऐसा आरोप लगा दिया।

सर्वाेदय संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष चन्दन पाल ने कहा कि गांधी विचार पर इस प्रकार का हमला बोलना यह हमारे लिए बहुत बड़ी तकलीफ है। गांधी विचारों को खत्म करने और उसे मिटाने के लिए यह कृत्य सरकार के द्वारा किया जा रहा है। इसी का विरोध हम संघ के लोग कर रहे हैं।

सर्व सेवा संघ (Sarv Seva Sangh) से जुड़े रामधीरज ने बताया कि केंद्र की सरकार और यहां के डीएम को 63 साल के बाद यह याद आया है कि यह जमीन रेलवे की है जबकि ऐसा कुछ नहीं है। हमने इस जमीन के सभी कागजात उनको दिखाए है और इसके साथ ही रेलवे ने कभी हमारे खिलाफ यह आरोप नहीं लगया है वह सिर्फ सरकार के कहे में आकर ऐसा कार्य किया है।

वल्लभाचार्य पांडे ने बताया कि सर्व सेवा संघ की स्थापना जेपी और विनोभा भावे की देन है। यह जमीन रेलवे से खरीदी गयी है जिसकी रजीस्ट्री तीन बार में की गयी है जिसका पूरा रिकार्ड हमारे पास है फिर भी सरकार के चक्र में फंसकर यह कार्य किया जा रहा है इस विरासत को मिटाने की योजना बन रही।

सर्व सेवा संघ (Sarv Seva Sangh) एक भारतीय सामाजिक सेवा संगठन है जिसका मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है। यह संगठन 1965 में वाराणसी, उत्तर प्रदेश में स्थापित किया गया था। सर्व सेवा संघ का प्रमुख उद्देश्य भारतीय समाज में सेवा भावना को बढ़ावा देना है और सामाजिक न्याय, स्वास्थ्य, शिक्षा, गरीबी उन्मूलन और विकास के क्षेत्र में कार्य करना है।
धरना प्रदर्शन में डॉ. राजेश मिश्रा, पूर्व सांसद, अजय राय, पूर्व मंत्री व कांग्रेस वरिष्ठ नेता, सुरेंद्र सिंह पटेल, पूर्व मंत्री व समाजवादी पार्टी नेता, प्रोफेसर आनंद कुमार, सर्वाेदय संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष चन्दन पाल, सर्व सेवा संघ से जुड़े रामधीरज, वल्लभाचार्य पांडे, पूर्व एमएलसी अरविन्द सिंह, कांग्रेस प्रवक्ता संजीव सिंह और समाजवादी नेता कुंवर सुरेश सिंह सहित सैकड़ों गाँधीवादी लोग मौजूद रहें।
सर्व सेवा संघ से जुड़ी अन्य महत्वपूर्ण जानकारी
सर्व सेवा संघ (Sarv Seva Sangh) का मूल नाम “स्वयंसेवी संघ” था, लेकिन 1977 में इसे “सर्व सेवा संघ” में परिवर्तित कर दिया गया। संगठन के सदस्य नियमित रूप से समाज के विभिन्न क्षेत्रों में सेवा कार्य करते हैं और गरीब, निराश्रित, बेघर और सामाजिक रूप से पिछड़े व्यक्तियों की सहायता करने के लिए सक्रिय रहते हैं।

वाराणसी में स्वयंसेवी संघ (Sarv Seva Sangh) की स्थापना विभिन्न सामाजिक सेवा कार्यों के लिए की गई थी। संगठन के सदस्य स्वयंसेवी कार्यकर्ता और स्वयंसेवी मित्र नामक दो गट में संगठित होते हैं। इनका मुख्य कार्य स्वयंसेवी कार्य, जैसे मुफ्त चिकित्सा सेवाएं, शिक्षा, वृद्धाश्रम की देखभाल, गरीबी उन्मूलन, पर्यावरण संरक्षण, विधवा सहायता, अकाली मरीज़ों की देखभाल आदि करना होता है।
सर्व सेवा संघ (Sarv Seva Sangh) ने अपने अधिकांश कार्यकर्ताओं को स्वयंसेवी जीवन जीने के लिए प्रेरित किया है और समर्पित लोगों की सेवा में लगातार समय देने के लिए प्रोत्साहित किया है। संगठन विभिन्न सेवा पुरस्कारों से सम्मानित हुआ है और उनकी सेवाएं देश भर में व्यापक रूप से प्रशंसा प्राप्त कर रही हैं।

महात्मा गांधी की विरासत (Sarv Seva Sangh) को आगे बढ़ाते हुए, जय प्रकाश ने गांधी संस्थान की स्थापना की। जय प्रकाश भारतीय स्वतंत्रता सेनानी, समाजसेवी और राष्ट्रीय नेता थे। उन्होंने विभिन्न समाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर अपने समर्पण और संघर्ष के माध्यम से अपनी पहचान बनाई।
जय प्रकाश ने वाराणसी में गांधी संस्थान की स्थापना की और इसे महात्मा गांधी के संदेशों, विचारधारा और आदर्शों को बढ़ावा देने के लिए स्थापित किया। उन्होंने संस्थान को गांधीवादी सोच को प्रचारित करने और स्वतंत्रता संग्राम से संबंधित मामलों पर जागरूकता फैलाने का केंद्र बनाया। उनका उद्देश्य था भारतीय समाज को गांधीवादी आदर्शों, स्वावलंबीता, अहिंसा, और सामरिकता की महत्वपूर्णता को समझाना और विश्वासित नेतृत्व में जोड़ना।

जय प्रकाश ने संस्थान में गांधी चिंतन के प्रचार के लिए कई गतिविधियों का आयोजन किया, जिनमें संगोष्ठियां, संदर्भ विद्यालय, पुस्तकालय, विचार-विमर्श और समारोह शामिल थे। उन्होंने अपने समय और योगदान से गांधी संस्थान को गरिमामय बनाया और इसे एक प्रमुख सामाजिक संस्था बनाने में सहायता की।
गांधी संस्थान, वाराणसी, अब भी गांधीवादी आदर्शों और महात्मा गांधी के संदेशों को प्रचारित करता है और उनके आदर्शों को जनता में जागरूकता फैलाता है।