देहरादून। जोशीमठ में जमीन धंसने का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका है। ज्योतिषपीठ के जगद्गुरु शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद महाराज ने इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है।
उत्तराखंड में भूस्खलन से स्थिति गंभीर होती जा रही है। इस घटना ने कई घरों को अपने चपेट में ले लिया है। बताया जा रहा है कि लगभग 600 घर इसकी जद में आ चुके हैं। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए पीएमओ लगातार इसपर अपनी पैनी नजर जमाए हुए है। इस संबंध में सीएम पुष्कर धामी ने शुक्रवार को उच्चस्तरीय बैठक की। वहीँ शनिवार को वे जोशीमठ ग्राउंड जीरो हालात का जायजा लेने पहुंचे। इस दौरान उन्होंने यहां प्रभावितों से बातचीत भी किया। इस दौरान उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि प्रभावितों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाना उनकी पहली प्राथमिकता है।
पहले के मुकाबले बढ़ा खतरा
गेटवे ऑफ़ हिमालय के नाम से मशहूर जोशीमठ भूस्खलन के कठिन दौर से गुजर रहा है। दिसंबर के महीने में क्षेत्र में कई जगहों पर भूस्खलन की ख़बरें आई थीं। स्थानीय नागरिकों की मानें, तो खतरा पहले के मुकाबले और बढ़ गया है। जोशीमठ में लगातार पानी का रिसाव हो रहा है। हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं। 50 हजार से ज्यादा आबादी वाले शहर के लोग दिन किसी तरह काट लेते हैं, रात बीताना इनके लिए बड़ा मुस्किल हो जाता है। पहाड़ों पर हो रही बर्फबारी से ठंड ने भी अपना सितम ढाना शूरू कर दिया है। ऐसे में यहां के नागरिकों के लिए समय बड़ा मुस्किल होता जा रहा है। लोग प्रचंड ठंड में अपने घरों से बाहर रहने को मजबूर हैं। कब कोई अनहोनी घटना हो जाए, कब किसी का घर ढह जाए, ये कोई नहीं जानता। सबसे ज्यादा डर जोशीमठ के रविग्राम, गांधीनगर और सुनील वार्डों में है। यह शहर पूरे 4,677 वर्ग किमी में फैला है।