नई दिल्ली। इतिहास स्वयं को दोहराता है। महाराष्ट्र की राजनीति में अजीत पवार जिस तरह से बागी होकर शरद पवार (Sharad Pawar) का साथ छोड़ा, ठीक उसी तरह 45 साल पहले शरद पवार (Sharad Pawar) ने रेड्डी कांग्रेस को तोड़ा था। तब पवार बगावत के बाद महज 37 साल की उम्र में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने थे, अब अजीत उपमुख्यमंत्री बने हैं। अजीब संयोग है कि पवार ने भी सीएम पद की शपथ जुलाई महीने में ही ली थी।
दरअसल, आपातकाल के बाद महाराष्ट्र में कांग्रेस दो फाड़ हो गई थी। तब वर्ष 1978 में विधानसभा चुनाव से पहले पवार इंदिरा कांग्रेस की जगह रेड्डी कांग्रेस में शामिल हुए। त्रिशंकु जनादेश के बाद कांग्रेस के दोनों धड़ों ने मिलकर सरकार बनाई और रेड्डी कांग्रेस के वसंत दादा पाटिल को मुख्यमंत्री तो पवार को उद्योग मंत्री बनाया गया।
हालांकि, इसी साल पवार ने 40 विधायकों के साथ बगावत करते हुए समाजवादी कांग्रेस बनाई और पाटिल की सरकार गिराने के कुछ दिनों बाद जनता पार्टी, कम्युनिस्ट पार्टी, शेतकरी कामगार पार्टी के साथ सरकार बनाई। साल 1980 में केंद्र में सत्ता परिवर्तन के बाद इंदिरा गांधी सरकार ने पवार (Sharad Pawar) सरकार को बर्खास्त कर दिया था। हालांकि, पवार ने कार्यकर्ताओं और मतदाताओं के समर्थन का दावा किया है, लेकिन इस बार उनकी राह कठिन है।
साल 1967 से बतौर विधायक राजनीतिक सफर की शुरुआत करने वाले पवार (Sharad Pawar) को उनके 55 साल के कॅरिअर के दौरान पहली बार मुंह की खानी पड़ी। इससे पहले सही समय पर सही सियासी दांव लगाने के कारण उन्हें महाराष्ट्र की राजनीति का चाणक्य कहा गया। समाजवादी कांग्रेस बनाकर कांग्रेस से दूरी बनाने वाले पवार 1987 में राजीव गांधी से नजदीकी बढ़ाकर फिर कांग्रेस में शामिल हुए, लेकिन नब्बे के दशक के उत्तरार्ध में सोनिया गांधी के विदेशी मूल का मुद्दा उठाते हुए एनसीपी बनाई। हालांकि, साल 2004 में जब कांग्रेस की अगुवाई में यूपीए की सरकार बनी तो पवार इस सरकार में शामिल हो गए।
Sharad Pawar: एनसीपी का मैं भी भूत और भविष्य हूं
शरद पवार ने इस बाबत कहा कि मैं पार्टी का अध्यक्ष हूं और पार्टी का चुनाव चिह्न हमारे पास ही रहेगा। पार्टी और चिह्न के लिए कोर्ट नहीं, जनता की अदालत में जाऊंगा और पार्टी को फिर खड़ी करूंगा। मुझे राज्य की जनता और युवा पीढ़ी पर पूरा विश्वास है। सोमवार को मैं कराड (सतारा) जाऊंगा। यशवंतराव चव्हाण की समाधि का दर्शन कर एक जनसभा को संबोधित करूंगा और पार्टी को आगे बढ़ाऊंगा।
शिंदे बोले – महाराष्ट्र में अब ट्रिपल इंजन सरकार…
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा, डबल इंजन की सरकार में एनसीपी (Sharad Pawar) के शामिल होने से एक इंजन और जुड़ गया है। अब ट्रिपल इंजन की सरकार बुलेट ट्रेन की रफ्तार से विकास के पथ पर दौड़ेगी। अजीत पवार राज्य के सर्वांगीण विकास के लिए हमारे साथ आए हैं। उनका स्वागत करता हूं। किसी नेता के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार किया जाता है, तो इस तरह की उठापटक स्वाभाविक है।
अजीत दे रहे थे बार-बार बगावत के संकेत
इस बगावत के पीछे पवार परिवार में चल रही राजनीतिक उत्तराधिकार की लड़ाई है। अजीत बीते दो दशक से पवार के साथ पार्टी संगठन की देखरेख कर रहे थे। अनदेखी से नाराज जब अजीत की ओर से बार-बार बगावत के संकेत मिले तो पवार ने उन्हें किनारे करना और सुले को अचानक आगे बढ़ाना शुरू किया। इस क्रम में उन्होंने अजीत को संगठन से दूर कर दिया, जबकि सुप्रिया को कार्यकारी अध्यक्ष बनाकर अपने इरादे साफ कर दिए थे।