वाराणसी। श्री सतुआ बाबा गौशाला डोमरी में आयोजित सात दिवसीय शिवमहापुराण कथा के दूसरे दिन पं. प्रदीप मिश्रा (सीहोर वाले) ने शिवभक्ति की अनूठी गाथाओं और भगवान शिव की सरलता का वर्णन किया। “मेरा शंकर केवल देना जानता है, लेना कुछ भी नहीं,” इस भावपूर्ण वक्तव्य से उन्होंने भक्तों को शिव के त्याग और दान की महिमा समझाई।
रान्तिदेव बनिया की कथा से प्रेरणा
कथा में पं. मिश्रा ने काशी के रान्तिदेव बनिया की प्रेरक कहानी सुनाई। उन्होंने बताया कि कैसे रान्तिदेव ने अपनी कंजूसी के बावजूद भगवान शिव की सच्ची भक्ति की और केवल एक लोटा जल चढ़ाकर भोलेनाथ को प्रसन्न किया। हालांकि अन्य भक्त दूध अर्पित करते थे और उसकी भक्ति का उपहास उड़ाते थे, लेकिन शिव उसकी भावना को महत्व देते थे।

जब रान्तिदेव का बेटा बेलपत्र लेने गया और माली ने उसे कंजूसी का ताना देकर बेलपत्र देने से मना कर दिया, तो यह घटना रान्तिदेव को झकझोर गई। इसके बाद उसने ठान लिया कि वह जो भी है, उसी से भगवान शिव को अर्पित करेगा और उधार या मांगकर कुछ नहीं चढ़ाएगा।
शिव महापुराण में भक्ति और हास्य का अनोखा संगम
पं. मिश्रा ने कथा के दौरान भक्ति को हास्य से जोड़ते हुए कहा, “अगर हमने अपने भोलेनाथ को दिल दे दिया, तो वह हमारे जीवन की सांसों और सुख-समृद्धि को ‘रिचार्ज’ कर देंगे।” उनकी इस अनूठी शैली ने कथा को आनंदमय बना दिया।

भजन जैसे “अपन नगरी हमरा ले ले चल हो बाबा अपन नगरी” और “मैं तो पड़ी थी गंगा किनारे” पर श्रद्धालु झूम उठे। महिलाओं ने नृत्य करते हुए भक्ति की धारा में खुद को डुबो दिया।
देसी गाय के दूध और शुद्ध जल का महत्व
पं. मिश्रा ने श्रद्धालुओं से अनुरोध किया कि बाबा को शुद्ध देसी गाय का दूध और स्वच्छ जल ही अर्पित करें। उन्होंने बताया कि पैकेट का दूध शिवलिंग के लिए हानिकारक हो सकता है। “चाहे एक बूंद दूध चढ़ाएं, लेकिन वह शुद्ध और सच्चे मन से होना चाहिए,” उन्होंने कहा।
दूसरे दिन की मुख्य बातें
- लाखों श्रद्धालुओं ने शिवमहापुराण कथा में भाग लिया।
- मां गंगा और आयोजन स्थल को स्वच्छ रखने का आग्रह किया गया।
- महामंडलेश्वर सतुआ बाबा और आयोजन समिति के सदस्य मंच पर उपस्थित रहे।
- दिन का समापन भक्तिमय आरती के साथ हुआ।
Highlights
शिवमहापुराण: भक्ति की गहराई का संदेश
यह कथा भक्तों को न केवल शिव की सरलता और भक्ति की महिमा सिखा रही है, बल्कि जीवन में सच्ची निष्ठा और समर्पण का महत्व भी समझा रही है। पं. मिश्रा की मधुर वाणी और प्रेरक कहानियां शिवभक्तों को शिव की करुणा और दयालुता का अनुभव करा रही हैं।