Sonbhadra के रेणुकूट रेलवे स्टेशन से तीन दिन पहले सुबह 3:19 बजे खुली एक ट्रेन के जनरल कोच (GN-3) में उत्तर प्रदेश पुलिस की वर्दी पहने दो जवानों की गतिविधियों को लेकर यात्रियों में हड़कंप मच गया। यात्रियों ने आरोप लगाया कि दोनों जवान रिवॉल्वर से लैस थे और उनकी हरकतें संदिग्ध लग रही थीं। यह पूरा मामला वीडियो सहित सोशल मीडिया पर वायरल हो चुका है।
Sonbhadra टॉयलेट के बाहर रोका गया रास्ता, मिली संदिग्ध चीजें
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, एक वर्दीधारी जवान टॉयलेट के बाहर खड़ा होकर यात्रियों को अंदर जाने से रोक रहा था। कुछ देर बाद वह स्वयं अंदर गया, जहां पहले से दूसरा जवान मौजूद था। इसके बाद दोनों ने टॉयलेट से बाहर आकर ट्रेन का गेट खुलवाया और लगातार फोन पर बातचीत करते रहे।
चोपन स्टेशन (Sonbhadra) पहुंचने से पहले दोनों जवान फिर टॉयलेट में गए और अपने कपड़ों व हाथों में कुछ सामान भरते हुए देखे गए। एक जवान के पास काला बैग था, जबकि दूसरे के हाथ में कपड़े का बड़ा गट्ठर था। चोपन स्टेशन (Sonbhadra) पर उतरते समय उन्होंने सामान्य दरवाजे का उपयोग न कर उल्टी दिशा वाले गेट से उतरना पसंद किया, जिससे यात्रियों का संदेह और बढ़ गया।
उतरने के बाद यात्रियों ने टॉयलेट की जांच की, जहां नल के पास गांजा जैसी सामग्री बिखरी हुई मिली। इसके बाद यात्रियों द्वारा बनाया गया वीडियो वायरल हो गया, जिसमें जवानों के कपड़ों में भरा सामान स्पष्ट नजर आ रहा है।
पुलिस को गश्त के दौरान मिला गांजा
वीडियो वायरल होने के बाद बुधवार को सोनभद्र पुलिस ने ट्वीट कर पूरे मामले पर स्पष्टीकरण दिया। पुलिस (Sonbhadra) के अनुसार, आरक्षी अर्जुन सिंह और आरक्षी रामानंद यादव की स्कोर्ट ड्यूटी विण्डमगंज स्टेशन से चोपन स्टेशन तक निर्धारित थी। वापसी के लिए उनकी ट्रेन विलंबित होने की वजह से वे टाटा-मूरी एक्सप्रेस से लौट रहे थे।
यात्रा के दौरान यात्रियों द्वारा सामान्य कोच के टॉयलेट में संदिग्ध कपड़े के गट्ठर की सूचना दी गई। पुलिस (Sonbhadra) ने बताया कि जांच के दौरान 8 पैकेट बरामद किए गए, जो पॉलिथीन और ब्राउन टेप में लिपटे हुए थे। इन्हें खोलने पर अंदर गांजे जैसा बुरादा मिला।
पुलिस के अनुसार, सभी पैकेटों को चोपन स्टेशन पहुंचकर जीआरपी चौकी में लावारिश माल के रूप में दर्ज कर मालखाने में जमा करा दिया गया।
हालांकि पुलिस (Sonbhadra) ने बरामदगी को लेकर आधिकारिक बयान जारी कर दिया है, लेकिन यात्रियों का कहना है कि जवानों ने उस समय किसी को भी स्थिति के बारे में नहीं बताया। उनकी चुप्पी और टॉयलेट में बार-बार जाना संदिग्ध लग रहा था।

