वाराणसी (varanasi) में सोरहिया मेले का शुभारंभ हो चुका है, जिसमें माता लक्ष्मी की आराधना की जा रही है। सोरहिया का मेला लक्सा के लक्ष्मीकुंड पर लगता है। लक्ष्मीकुंड पर स्थित महालक्ष्मी मंदिर में 16 दिनों तक पूजा पाठ के लिए भीड़ उमड़ी रहती है। इस मेले में भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी है और मंदिर परिसर के पास सैकड़ों दुकानें सज गई हैं। भक्त माता के दर्शन कर रहे हैं और महिलाएं 16 दिनों तक व्रत रखकर माता की उपासना करेंगी। मंदिर प्रांगण में मां की जय-जयकार से पूरा इलाका गुंजायमान हो रहा है।
इस मेले का महत्व बहुत अधिक है, क्योंकि यह काशी के लक्खा मेला में शुमार है। भक्तों को उम्मीद है कि माता की आराधना से उन्हें सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलेगा। मंदिर में माता लक्ष्मी के दर्शन-पूजन के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी है। मंदिर परिसर (Varanasi) के पास मूर्ति, माला-फूल बेचने वाली सैकड़ों दुकानें सज गई हैं। भक्त लाइन में लगकर माता के दर्शन कर रहे हैं। मां की जय-जयकार से मंदिर प्रांगण के साथ ही पूरा इलाका गुंजायमान हो रहा है।
क्यों पड़ा व्रत का नाम सोरहिया
महालक्ष्मी के पूजन और व्रत का नाम सोरहिया (Varanasi) इसीलिए पड़ा, क्योंकि यहां 16 अंक का विशेष महत्व है। 16 दिन के व्रत और पूजन में स्नान और 16 आचमन के बाद देवी विग्रह की 16 परिक्रमा की जाती है। माता को 16 चावल के दाने, 16 दूर्वा और 16 पल्लव अर्पित किए जाते हैं। व्रत के लिए 16 गांठ का धागा धारण किया जाता है। जो कथा सुनी जाती है, इसमें 16 शब्द होते हैं। 16वें दिन जीवितपुत्रिका या ज्यूतिया के निर्जला व्रत के साथ अनुष्ठान का समापन होता है।
16 दिनों तक व्रत रखकर माता की जाती है उपासना
महिलाएं 16 दिनों तक व्रत रखकर माता की उपासना करेंगी। यह मेला भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है, जब वे माता की आराधना कर सकते हैं और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं। इस मेले में भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी है और मंदिर परिसर के पास सैकड़ों दुकानें सज गई हैं। 16 दिनों तक चलने वाले इस सोरहिया मेले का महाअनुष्ठान आश्विन कृष्ण अष्टमी जीवितपुत्रिका व्रत तक चलेगा। इसमें काशी के साथ ही आसपास के जिलों और दूरदराज की महिलाएं मां के दर्शनार्थ आती हैं।
जीवित पुत्रिका (Varanasi) का व्रत, महाअनुष्ठान व जियुतिया माता के दर्शन-पूजन का विशेष महात्व है। वहीं भक्त माता के दर्शन कर रहे हैं और महिलाएं 16 दिनों तक व्रत रखकर माता की उपासना करेंगी। मंदिर प्रांगण में मां की जय-जयकार से पूरा इलाका गुंजायमान हो रहा है।
Varanasi: आराधना से घर-परिवार में बनी रहती है सुख-समृद्धि
मंदिर के महंत ने बताया कि 16 दिनों तक व्रत रहकर माता की आराधना (Varanasi) से घर-परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है। वहीं व्रती महिलाओं ने कहा कि इस पूजन को करने से पति पुत्र का जीवन सुखमय रहता है परिवार में खुशहाली आती है। माता लक्ष्मी की मूर्ति की विधिविधान से पूजा की जाती है। इसे एक साल तक अपने घर में रखा जाता है। दूसरे वर्ष विसर्जन करके दूसरी मूर्ति स्थापित करते हैं। इससे माता प्रसन्न होती है और भक्तों पर अपनी कृपा बरसाती हैं। भक्तों को मन चाहा वरदान देती है।