- बोले प्रह्लाद सिंह
- उत्तर प्रदेश में फूड प्रोसेसिंग आधारित उद्योगों की अपार संभावनाएं, करें निवेश
- क्रिएटिंग वाइब्रेंट फूड प्रोसेसिंग सेक्टर पर नेशनल कांफे्रंस का हुआ आयोजन
जितेन्द्र श्रीवास्तव
वाराणसी। केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग व जल शक्ति राज्यमंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल ने कहा कि दुनिया में भारतीय खाद्यान्न का अपना विशेष महत्व है। इसका लाभ भारत के लोगों को उठाना चाहिए। इसके लिए खाद्यान्न उत्पादन की गुणवत्ता, पैकेजिंग, ब्रांडिंग और मार्केटिंग पर ध्यान देने की जरुरत है। वह इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन, द एसोसिएटेड चेंबर आॅफ कॉमर्स एण्ड इंडस्ट्री आॅफ इंडिया, एसोचैम व इंडो अमेरिकन चेंबर आॅफ कॉमर्स के संयुक्त बैनर तले शनिवार को छावनी क्षेत्र स्थित एक होटल में क्रिएटिंग वाइब्रेंट फूड प्रोसेसिंग सेक्टर पर आयोजित नेशनल कांफे्रंस में मुख्य अतिथि थे।
केंद्रीय राज्यमंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल ने कहा कि उत्तर प्रदेश में फूड प्रोसेसिंग आधारित उद्योगों की अपार संभावनाएं हैं। वजह, देश में खाद्यान्न के उत्पादन में उत्तर प्रदेश का प्रमुख स्थान है। विशाल बाजार, कम उत्पादन लागत, मानव संसाधन और कच्चे माल की पर्याप्त उपलब्धता को देखते हुए यूपी में उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण आधारित उद्योगों के स्थापना की पर्याप्त संभावनाएं हैं। इसलिए भारत सरकार राज्य में नए सुधार और नीतियां ला रही है और इसे फूड पार्क के रूप में विकसित कर रही है। उन्होंने खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए सरकार की नीतियों के साथ-साथ इस सेक्टर में निवेश की संभावनाओं की भी चर्चा की।
केंद्रीय राज्यमंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल ने उद्योगपतियों से मंत्रालय की विभिन्न एजेंसियों से भयमुक्त होकर खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में निवेश का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि यह स्वर्णिम अवसर है और उद्योगपतियों को इसका लाभ उठाना चाहिये। उन्होंने ‘मोटे अनाज’ के क्षेत्र में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को बढ़ावा देने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि दुनिया में मोटे अनाज का जितना उत्पादन होता है, उसमें से 40 प्रतिशत मोटा अनाज भारत में होता है। संयुक्त राष्ट्र संघ ने 2023 को अंतरराष्ट्रीय मिलेट वर्ष घोषित किया है। दुनियाभर में मोटे अनाज के नये नये उत्पादों को बढ़ावा दिया जा रहा है। क्योंकि इसकी मांग बढ़ रही है और हम फिर से पुरानी पद्धतियों की तरफ अग्रसर हो रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी यहीं विजन है।
उद्योगपतियों को निवेश के लिये शुरू की गई अनेक योजनाओं को गिनाते हुये उन्होंने कहा कि यदि कच्चा माल प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है, आपूर्ति शृंखला मजबूत है तो मेरा मानना है कि इससे उद्योग को मजबूती मिलेगी। उन्होंने कहा कि हम गुणवत्ता के बजाय मात्रा बढ़ाने की तरफ बढ़ गये हैं। यह नहीं होना चाहिए। उत्पाद की गुणवत्ता को लेकर विचार बनाने की जरूरत है। हमें अपने मानदंड तय करने होंगे। जिन लोगों ने हमें मोटे अनाज से दूर धकेला था, आज वही इसकी मांग कर रहे हैं। उन्होंने देश में उपलब्ध जल संसाधनों के तेजी से होते दोहन की तरफ भी उद्योगपतियों का ध्यान आकृष्ट किया। उन्होंने कहा कि हमारा मूल खानपान मोटे अनाज ही था। लेकिन हमने गेहूं, धान और गन्ने की अधिक पानी वाली फसलों को तेजी से अपनाया। उद्घाटन सत्र समेत तीन सत्रों में विविध आयामों पर चर्चा हुई। इसमें सूरज नांगिया, धु्रव शर्मा, शुभांगी निगम, डॉ. यशवंत सिंह, डॉ. सुप्रीया सिंह, रितेश सिंह, शक्ति सिंह शेखावत, अनुज सिंह, विजय मिश्रा आदि ने संबोधित किया।
ब्रांडिंग पर ध्यान देने की आवश्यकता
केंद्रीय राज्यमंत्री ने कहा कि भारतीय उद्योगों को खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में अपनी ब्रांडिंग करनी चाहिये। बाहर की कंपनियां भारत में आकर अपना ब्रांड चलाती हैं लेकिन कोई भी भारतीय कंपनी ऐसा नहीं कर पाई है। सरकार ब्रांड मार्केटिंग में धन देने को तैयार है, उत्पाद की गुणवत्ता और स्वच्छता की गारंटी के लिये खाद्य प्रयोगशालायें सुलभ होनी चाहिये, जिसकी रिपोर्ट दो दिन के भीतर मिलनी चाहिये। उन्होंने कहा कि हम शक्कर, चावल और आटे के निर्यातक बन गये, जिनकी फसलों में पानी का इस्तेमाल अधिक होता है, लेकिन आप मिलेट, सेमी-मिलेट की किसी भी फसल को देखेंगे तो उसमें पानी कम लगता है। यानि हमने अपने जल संसाधनों का दोहन अधिक किया। भारत में दुनिया की कुल आबादी के 18 प्रतिशत लोग हैं, जबकि पीने योग्य कुल पानी का मात्रा चार प्रतिशत ही उपलब्ध है। इस दिशा में भी हमें सोचना होगा। हमें खेती का पैटर्न बदलना होगा। प्राकृतिक संसाधनों को बचाना होगा। आने वाली पीढ़ी का भी इन पर अधिकार है।
55 प्रतिशत आबादी कृषि व फूड प्रोसेसिंग पर आधारित
इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएसन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष आरके चौधरी ने कहा कि उत्तर प्रदेश में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के लिहाज से प्रचुर मात्रा में संसाधनों की उपलब्धता है और विविध प्रकार का उत्पादन यहां होता है, यही वजह है कि राज्य निर्यात के लिहाज से सबसे आगे है। उन्होंने कहा कि देश का 55 प्रतिशत से अधिक आबादी कृषि एवं फूड प्रोसेसिंग पर आधारित है। इसे बढ़ावा देने की आवश्यकता है। उदाहरण देते हुए बताया कि जलालाबाद मूंगफली का बड़ा उत्पादक है, लेकिन तेल गुजरात व अन्य राज्यों में निकाला जाता है। यहां से मक्का पंजाब जाती है और वहां उसकी प्रोसेसिंग होती है। यूपी गेहूं में देश का सबसे बड़ा और चावल व गन्ना उत्पादन में दूसरे स्थान पर है। जरुरत है यूपी में फूड प्रोसेसिंग यूनिटों को बढ़ावा देने की। प्रोसेसिंग व उत्पाद तैयार करने की मशीन लग जाए तो रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।
इन लोगों भी किया संबोधित
कांफे्रंस को संबोधित करते हुए जिलाधिकारी एस. राजलिंगम ने कहा कि उत्तर प्रदेश खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में पूंजी निवेश के लिये तमाम अवसर उपलब्ध कराता है। राज्य में उद्यमियों को खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में बेहतर परियोजनायें खड़ी करने के लिये सहायता उपलब्ध कराई जा रही है। एसोचैम की एफएमसीजी परिषद के सह-अध्यक्ष सीके शर्मा ने यूपी को खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में नेतृत्व की भूमिका में लाकर राज्य को आर्थिक लिहाज से मजबूत बनाया जा सकता है। एपीडा के क्षेत्रीय प्रमुख डॉ. सीबी सिंह ने कहा कि यूपी में अनाज उत्पादन में 20 प्रतिशत भागीदारी के साथ कच्चे माल की व्यापक उपलब्धता है। इंडो-अमेरिकन चैंबर आफ कामर्स की वाराणसी चैप्टर के चेयरमैन राजेश तिवारी ने कहा कि विभिन्न योजनाओं के जरिये खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को तकनीकी तौर पर आधुनिक बनाने, प्रौद्योगिकी उन्नयन और उपलब्ध क्षमता के अनुरूप विस्तार पर जोर दिया जाना चाहिये।