मराठा योद्धा दूरदर्शी राजा छत्रपति शिवाजी महाराज के जीवन और उपलब्धियों पर आधारित महानाट्य ‘जाणता राजा’ का मंचन {Staging of Mahanatya Janta Raja} 21 नवंबर से प्रारंभ हो गया है जो 26 नवंबर तक वाराणसी के काशी हिंदू विश्वविद्यालय के एमपी थियेटर में मंचित होता रहेगा। यह नाटक प्रख्यात इतिहासकार और पद्म विभूषण से सम्मानित प्रसिद्ध लेखक शिव शाहिर बाबासाहेब पुरंदरे द्वारा लिखा गया है।

नाटक {Staging of Mahanatya Janta Raja} में पात्रों ने कड़ी मेहनत के बाद मंच पर इसका जीवंत अभिनय बखूबी निभाया। इस नाटक में मचान कर रहे सभी कलाकार पुणे, महाराष्ट्र के हैं। वहीं नाटक में कुछ कलाकर वाराणसी शहर के भी शामिल किए गए हैं।

डिप्टी सीएम ने की नाटक के सभी पात्रों की सराहना
वहीं नाटक के मंचन {Staging of Mahanatya Janta Raja} के दुसरे दिन इसका साक्षी बनाने के लिए उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम वाराणसी के BHU पहुंचे। नाटक का मंचन देख उन्होंने नाटक का मंचन कर रहें सभी पत्रों की खूब सराहना की। इस दौरान बातचीत में उन्होंने कहा कि देश की पुनः छत्रपति शिवाजी महाराज जैसा नेतृत्व की आवश्कता है।


इसके साथ ही उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने वाराणसी के डीएम एस. राजलिंगम और शहर के मेयर अशोक तिवारी से यह आग्रह किया कि वह वीर योद्धा छत्रपति शिवाजी और पंडित गंगा भट्ट की प्रतिमा एक साथ लगवाए जाने के लिए जमीन तलाश करें।

हिंदुत्व की भावना को जगाने वाली भावना के साथ हुआ मंचन
महाराज छत्रपति शिवाजी के युग को फिर से जीवंत बनाने और हिंदुत्व की भावना को पुनः जगाने वाली भावना को उस समय के एतिहासिक दृश्यों सहित हाथी, ऊंट, घोड़े जैसे जानवरों को भी नाटक के मंचन में शामिल किया गया है ताकि हर पल दर्शकों के बीच महानाट्य जाणता राजा रोचकता बनी रहे।

शानदार आतिशबाजियों के बीच 17वीं शताब्दी के घटनाओं को मनोरंजन के तौर पर सबके समक्ष रखने में नाटक के बखूबी सफल होते नजर आयें वहीं इस नाटक के मंचन {Staging of Mahanatya Janta Raja} में जिसमें शिवाजी के जन्म से पहले के युग से लेकर उनके जन्म, उनके शिक्षण-परीक्षण की शैली, आगरा से पलायन, अफजल खान की हत्या और महाराज शिवाजी के राज्याभिषेक जैसे तमाम दृश्य इस नाटक को बेहतरीन बनाते हैं।

Staging of Mahanatya Janta Raja : मंचन देख दर्शक ताली बजाने के लिए हो जाते हैं मजबूर
इस नाटक में छत्रपति शिवाजी का अपने छत्रपों और सेना संग मिलकर अपने शत्रु औरंगजेब के साथ युद्ध का जिस तरह से विवरण किया गया है कि हर एक घडी की प्रस्तुति देखकर दर्शक ताली बजाने के लिए मजबूर हो जाते हैं। वहीं नाटक के प्रस्तुति में पात्रों द्वारा गागा भट्ट का वाराणसी से महाराष्ट्र जाना और शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक को बहुत ही उम्दा ढंग से प्रदर्शित किया गया है।

हिंदू ध्वज के प्रति सम्मान भाव की भी बखूबी दिख रही झलक
बाल शिवाजी के व्यक्तित्व को निखारने में उनकी मां जीजाबाई की क्या भूमिका है, नाटक {Staging of Mahanatya Janta Raja} को देखकर आसानी से इसे समझा जा सकता है। हिंदू ध्वज के प्रति सम्मान भाव से लेकर हिंदवी स्वराज की स्थापना को इस नाटक में बहुत खूबसूरती से दर्शाया गया है।

वाकई में हिंदुत्व की भावना को जगाने के लिए इस नाटक में को जिस प्रकार से चित्रित किया गया है वह नाटक के एक-एक कड़ी में देखा जा सकता है।