Sucide Case in VNS (वाराणसी): लोहता थाना क्षेत्र के अलाउद्दीनपुर में एक विवाहिता ने पति की नोंकझोंक से तंग आकर पंखे के सहारे फांसी लगाकर जान दे दी। सूचना पर पहुंची पुलिस व फ़ॉरेंसिक टीम ने शव को कब्जे में लकर पोस्टमार्टम के लिए भिजवाया। मायके वालों की शिकायत पुलिस परिजनों को हिरासत में लेकर पूछताछ कर रही है।
जानकारी के मुताबिक, अलाउद्दीनपुर के राहुल यादव की शादी डेढ़ वर्ष पहले कछवां थाना क्षेत्र के परहियाही गांव की खुशबू यादव (25 वर्ष) के साथ हुई थी। मंगलवार की सुबह उसके पति से उसकी किसी बात को लेकर कहासुनी हुई। जिसके बाद खुशबू ने आक्रोशित मन से अपने कमरे में जाकर साड़ी के सहारे पंखे से लटककर फांसी (Sucide Case in VNS) लगा ली।
परिजन जब उसे ढूंढते हुए उसके कमरे के पास गए तो दरवाजा अंदर से बंद था। काफी आवाज़ देने पर भी जब दरवाजा नहीं खुला, तो परिजनों को शक हुआ। जिसके बाद उन्होंने धक्का देकर दरवाजा खोला, तो देखा कि खुशबु पंखे के सहारे लटक (Sucide Case in VNS) रही है। परिजनों ने फोन कर पुलिस को इसकी सूचना दी। जिसके बाद मौके पर पहुंचकर पुलिस और फ़ॉरेंसिक टीम ने शव को पंखे से उतरवाकर कब्जे में लिया और पोस्टमार्टम के लिए भिजवाया। मायके के लोगों ने दहेज़ हत्या का आरोप लगाकर थाने पर तहरीर दी। पति सहित तीन लोगों को पुलिस ने हिरासत में लिया है।
Sucide Case in VNS: निराशा नहीं, मन में आशा लाइए
आंकड़ों की मानें तो, इस समय वाराणसी समेत पूरे पूर्वांचल में ऐसे केसेज बढे हैं। जहां जरा सी बात से आहत होकर महिलाएं अथवा कम उम्र के लड़के सुसाइड (Sucide Case in VNS) कर ले रहे हैं। जिसका खामियाजा उनके परिजनों को भुगतना पड़ जा रहा है।
मनोवैज्ञानिक बताते हैं कि आजकल समाज में माता-पिता का अपने बच्चों पर नियंत्रण नहीं रह गया है, जिसके कारण उनमें सोचने व समझने की शक्ति क्षीण होती जा रही है। उन्हें स्वयं इस बात का आभास नहीं होता कि वे कर क्या रहे हैं। जरा सी बात से आहत होकर टीनएजर्स फांसी लगा ले रहे हैं। आज से 15-20 वर्ष पूर्व जहां लोग संयुक्त परिवार में रहते हैं, वहीँ अब परिवार में सदस्यों की संख्या कम होने से इसका सीधा असर कम उम्र के लड़के-लड़कियों की मनोदशा पर पड़ रहा है।
माता-पिता को चाहिए कि अपने बच्चों पर नियंत्रण रखें। उन्हें समय-समय पर अच्छी और बुरी चीज़ों (Sucide Case in VNS) से अवगत कराएं, जिससे कि समाज में भविष्य में होने वाली ऐसी घटनाओं पर पूरी तरह से नकेल कसी जा सके। पेरेंट्स को चाहिए कि अपने बच्चों के मनोभाव को समझें, अन्यथा वह दिन दूर नहीं, जब एक-एक करके लोग समाज में अपनों से दूर होते जाएंगे।