Sugarcane: गन्ना त्योहारों की शान कहा जाता है। एकादशी पर गन्ने के कारोबार में काफी वृद्धि हुई है। वैसे तो यूपी और बिहार में गन्ने का कारोबार छठ से ही शुरू हो जाता है, लेकिन पूर्वांचल में इसकी सबसे ज्यादा खपत एकादशी पर ही होती है। मान्यताओं के अनुसार, एकादशी पर भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए भगवान और तुलसी के विवाह का मंडप बनाया जाता है।
एकादशी के दिन बनारस समेत पूर्वांचल के कई जिलों में गन्ने [Sugarcane] के व्यापार में काफी वृद्धि हो जाती है। इस दिन भगवान विष्णु और तुलसी के विवाह में गन्ने का मंडप बनाया जाता है। यूपी के किसान भी इसी दिन से गन्ने की नई फसल की कटाई का काम शुरू करते हैं। इसी कारण इस दिन गन्ने का विशेष महत्व होता है।

दरअसल, मौसम बदलने के साथ ही लोग गुड़ के सेवन को लाभकारी मानते हैं। गुड़ का निर्माण भी गन्ने के रस से होता है। सनातन धर्म में मान्यता है कि किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले मीठे का सेवन अत्यनत आवश्यक होता है। गन्ने को मीठे का स्रोत माना जाता है। इसलिए इस दिन गन्ने की पूजा का महत्त्व काफी बढ़ जाता है।
बनारस की फल व सब्जियों की मंडियां गन्ने [Sugarcane] से लबालब भरी हुई हैं। आमतौर पर 10-15 रुपए में बिकने वाला गन्ना मंगलवार को 25-30 रुपए में बिक रहा है। बीते वाढ की अपेक्षा इस बार गन्ना काफी महंगा है। व्यापारियों का अनुमान है कि बनारस में गन्ने का व्यापार गुरुवार को 25-30 लाख रुपए तक पहुंच सकता है। देवउठनी एकादशी के लिए गन्ने के बाजार सज गए हैं। वाराणसी के विश्वेश्वरगंज, पहड़िया, कज्जाकपुरा, पंचक्रोशी, चौकाघाट, लंका, रामनगर, राजातालाब, लमही आदि जगहों पर गन्ने की बिक्री के लिए मार्केट तैयार हैं।

Sugarcane: पिछले साल की अपेक्षा बढ़ा गन्ने का दाम
गन्ना बेचने वाले दुकानदार अरुण सोनकर ने बताया कि इस बार गन्ने का दाम पिछले साल की अपेक्षा थोडा बढ़ा है। हालांकि बढ़े रेट के बावजूद लोग इसे खरीद रहे हैं। इस बार गन्ना फुटकर में 20-25 रुपए प्रति पीस के हिसाब से बिक रहा है।