Varanasi: काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय में अखिल भारतीय व्याकरण प्रबोध कार्यशाला का भव्य आयोजन किया गया। इस अवसर पर जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित रहे। काशी की पावन धरती पर उनके आगमन पर “हर हर महादेव” और “जय श्री राम” के उद्घोष से संकाय परिसर गूंज उठा।
कार्यशाला के उद्घाटन से पहले सभागार में जगद्गुरु रामभद्राचार्य का पारंपरिक माल्यार्पण से स्वागत किया गया। इसके बाद वैदिक स्वास्तीवाचन के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। कार्यक्रम के दौरान 500 से अधिक छात्रों ने एक साथ मंत्रोच्चार कर संकाय को आध्यात्मिक ऊर्जा से भर दिया।
मनुस्मृति पर दिया बड़ा बयान
पत्रकारों से वार्ता करते हुए जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने मनुस्मृति पर उठ रहे विवादों पर दो-टूक जवाब दिया। उन्होंने कहा, “यदि किसी ने शुद्ध दूध पिया है, तो वह मुझसे आकर मनुस्मृति पर चर्चा करे। इसका एक भी अक्षर राष्ट्रविरोधी नहीं है। मैंने महाकुंभ में 30 दिन तक इस पर व्याख्यान दिया है।” इसके साथ ही उन्होंने हरियाणा में यज्ञ के दौरान ब्राह्मणों पर हुए हमले की कड़ी निंदा की और कहा कि दोषियों को उचित दंड मिलेगा।
ज्ञानवापी मुद्दे पर दिया बड़ा बयान
बीएचयू के व्याकरण विभाग में कार्यशाला के उद्घाटन के दौरान उन्होंने ज्ञानवापी विवाद पर भी अपनी बात रखी। उन्होंने कहा, “हम ज्ञानवापी लेकर रहेंगे। मुगलों के नाम से जुड़े सभी स्थानों के नाम बदले जाएंगे।”
Varanasi में सात दिनों तक चलेगी कार्यशाला
यह व्याकरण प्रबोध कार्यशाला सात दिनों तक चलेगी और इसमें जन सन्धि विषय पर विशेष चर्चा होगी। उद्घाटन सत्र में विभागाध्यक्ष प्रो. रमाकांत पांडेय और अन्य शिक्षकों ने जगद्गुरु रामभद्राचार्य को अभिनंदन पत्र समर्पित किया।
इस अवसर पर उज्जैन विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति रमेशचंद्र पंडा, सोमनाथ संस्कृत विश्वविद्यालय (गुजरात) के प्रो. विनय कुमार पाण्डे और प्रो. सुभाष पाण्डे भी उपस्थित रहे। इस इस कार्यशाला में विद्वानों द्वारा संस्कृत व्याकरण और शास्त्रों पर गहन चर्चा होगी।

