- जितेंद्र श्रीवास्तव
Sweets Market: धनतेरस से दीपोत्सव शुरू हो गया। यह अलग बात है कि खरीदारी तो पहले से ही शुरू हो गयी थी। घर भर के लोगों के लिए कपड़े, दोस्तों और रिश्तेदारों के लिए उपहार और मिठाइयां आदि-आदि। लेकिन इस साल दिवाली के दौरान होने वाली मिठाई की खरीदारी के पैटर्न में बदलाव हुआ है। पिछले साल जहां खरीदारी में चॉकलेट्स ने बाजी मारी थी, इस साल काजू कतली या काजू बर्फी या सोन पापड़ी की डिमांड सबसे ज्यादा नजर आया।
खोआ, छेना, घी और चीनी की ताशनी। मिठाई का मूल आधार [Sweets Market] इसे ही माना जाता है। लेकिन काशी के कारीगरों ने लोगों का स्वाद बदलने के लिए नये-नये प्रयोग भी शुरू कर दिये हैं। इसके तहत सूरन वाली मिठाई का के्रज लोगों में बढ़ा है तो बहुरानी लड्डू का भी जलवा है। सुधा पाइस, आरेंज लड्डू, लीची, मेवा बॉटी का तो क्या कहने? देखते ही खाने को जी ललचाएं।
सभी स्वाद में जहां बेजोड़ होती है वहीं इनके खाने से सेहत पर भी असर नहीं पड़ता। दीपावली पर खोआ [Sweets Market] में अधिकांशत: मिलावट होने से इन मिठाइयों का के्रज बढ़ा है। काशी को सब्जी वाली मिठाइयों का जनक भी कहा जाता है। क्योंकि सब्जी वाली मिठाइयां का चलन काशी से शुरू हुआ और देश-विदेश तक इसकी डिमांड हुई।
Highlights
‘तमसो मां ज्योतिर्गमय’ का हर्षोल्लास धनतेरस से दीपावली तक देखते ही बनता है। यह उल्लास तब और बढ़ जाता है जब अतिथि के स्वागत में तरह-तरह के मिष्ठान [Sweets Market] परोसे जाते हैं। मिठाइयों की विविधता का कम से कम काशी में तो सानी नहीं था और न आज है। पहले कभी देशी घी, देशी चीनी और गंगाजल का ही प्रयोग होता था। अब मिठाइयों में नाना प्रकार के प्रयोग हो रहे हैं।
वैसे तो चौखम्भा स्थित एक मिष्ठान निर्माता को मेवों और फलों की मिठाइयों के पहली बार निर्माण का श्रेय है। लेकिन कचौड़ी गली स्थित एक मिष्ठान निर्माता ने शहर को पहली बार परवल, अरुई, पालक के अलावा संतरा, चुकंदर, सूरन निर्मित मिठाइयों का स्वाद चखाया।
बाजार में मेवा+चीनी निर्मित ‘सुधा पाइस’, काजू+चीनी निर्मित ‘आरेंज लड्डू’, पिश्ता+बादाम निर्मित ‘लीची’, उड़द दाल+मेवा+देशी घी निर्मित ‘पिन्नी’, मेवा मखाना+मैदा+चीनी निर्मित ‘मेवा बॉटी’, सूरन-देशी घी-चीनी निर्मित ‘सूरन लड्डू’ ही नहीं परवल, पालक, कद्दू आदि निर्मित मिठाइयां खूब लुभा रही है। ‘बहुरानी लड्डू’ में गुड़ के अलावा मखाना, काजू, पिश्ता बादाम, गरी का बुरादा, पोश्तादाना का मिश्रण होता है। लोग इसे काफी पसंद भी कर रहे हैं। इसे डिमांड पर तैयार किया जाता है।
कारोबारियों की माने तो बनारसीपन की मिठास के चलते दीपावली पर मुंबई, रांची, भागलपुर, कोलकाता, दिल्ली, बंगलुरू, चेन्नई, नागपुर, बीकानेर जैसे शहरों के अलावा अमेरिका, स्विजरलैंड, ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, सउदी अरब समेत कई देशों में डिमांड के आधार पर ये मिठाईयां [Sweets Market] भेजी जाती है।
Sweets Market: काजू कतली ने चॉकलेट्स को दिया धोबी पछाड़
आजकल गिफ्ट बांटने का चलन [Sweets Market] कुछ ज्यादा ही है। लोग वैसी मिठाई खरीद रहे हैं, जिनकी शेल्फ लाइफ ज्यादा हो। जल्द खराब नहीं हो। अब तो बड़ी-बड़ी कंपनियां न सिर्फ सोन पापड़ी बना रही हैं बल्कि पंजीरी लड्डू, मोतीचूर लड्डू, काजू कतली, बेसन लड्डू आदि के भी डिब्बे बेच रही हैं। ये मिठाइयां जल्द खराब नहीं होती। डिब्बों में बंद रसगुल्ला, गुलाब जामुन, चमचम आदि तो पहले से ही बिक रहे हैं। इस साल बाजार में चॉकलेट्स की बिक्री को काजू कतली ने धोबी पछाड़ दे दिया है।
सूरन वाली मिठाई की खासियत
गले में खुजली पैदा करने वाले सूरन के ‘जिमीकंद’ लड्डू लोगों में खासा लोकप्रिय है। जिमीकंद से गला कटना तो दूर उसमें सूरन का स्वाद ढूंढना भी कठिन है। इसकी खासियत बिना खाए नहीं समझी जा सकती। सूरन को पहले फिटकरी के पानी में गलाया जाता है। फिर साफ पानी में कई बार धोकर इसका कसैलापन निकाला जाता है। फिर इसे कुटवाया जाता है। इसके बाद लाची, काजू एवं चीनी के मिश्रण के साथ भुनकर तैयार किया जाता है। फिर लड्डू का आकार दिया जाता है।
ये भी है खासी लोकप्रिय मिठाईयां
काजू एप्पल : सेव व काजू का मिश्रण।
पेठा रोल : पेठा, मेवा व खोआ का मिश्रण।
कोहड़ा पाक : कोहड़ा व चीनी का मिश्रण।
अनानास बरफी : कोहड़ा व अनानास का मिश्रण।
पालक काजू : काजू व पालक के रस का मिश्रण।
संतरा बरफी : संतरे का रस, खोआ व मेवा का मिश्रण।
काश्मीरी लड्डू : पपीता, चीनी, खोआ व मेवा का मिश्रण।
परवल रोल : परवल, मेवा, देशी चीनी व खोआ का मिश्रण।
पालक बूंदी : पालक के रस में बेसन और चीनी का मिश्रण।
अंजीर बरफी : अंजीर, काजू, बादाम, पिश्ता व मेवा का मिश्रण।