उस्ताद बिस्म्मिलाह खां की 107वीं जयंती पर कद्रदानों ने फातिहा पढ़कर की कुरानख्वानी
काशी के उस्ताद को याद कर नम हुई आंखें कभी नहीं भूलेंगी शहनाई की सुरीली धुनें क़द्रदानों ने पेश किया ...
काशी के उस्ताद को याद कर नम हुई आंखें कभी नहीं भूलेंगी शहनाई की सुरीली धुनें क़द्रदानों ने पेश किया ...
उस्ताद बिस्मिल्लाह खान-जिन्होंने काशी के मंदिर में अपनी शहनाई से एकता का सुर छेड़ा कभी गंगा तट पर सूर्य की ...
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