चाहे कुछ भी हो जाए इंसान की इंसानियत कभी नहीं जानी चाहिए यह सीख आज काशी के युवाओं ने लोगों की प्यास बुझाते (High Temperature) हुए दी। जहां सरकार की व्यवस्था हुई ठप्प वहीं देश के भविष्य के युवाओं ने बढ़ाया कदम। प्रश्न यह भी उठता है कि कैसा है यह स्मार्ट सिटी जहां भीषण गर्मी में प्यासों की प्यास बुझाने के लिए नहीं लगवाया गया कोई प्याउ? चिलचिलाती गर्मी (High Temperature) में क्या सभी खरीद सकते हैं पानी की बोतल?


मेहनत करने वाले वो मजदूर, वो टॉली वाले, वो रिक्शा वाले जो दिनभर मेहनत दिहाड़ी करके चंद रूपये कमाते हैं क्या नहीं सोचना चाहिए उन बड़े उद्योगपतियों, सामाजिक संस्थाओं व व्यापारियों को कि इस भीषण गर्मी में प्यासें की प्यास बुझाने के लिए कर दें कोई व्यवस्था?


आज इंसानियत और एक बेहतर परवरिश ने यह साबित कर दिया है कि देश का भविष्य उनके हाथ में है। अगर कोई नहीं सोचेगा उन गरीब मजदूरों, राहगीरों के बारे में तो वह बढ़ाएंगे अपने कदम चाहे जैसे भी। कुछ ऐसा ही दृश्य काशी के युवाओं में देखने को मिला जब अपनी पॉकेट मनी को संजोकर उन्होंने अपनी इच्छाओं को ताक पर रखकर आम नागरिको, गरीबों, राहगीरों व मजूदरों आदि के बारे में सोचा।


High Temperature : स्टूडेंट्स ने दिखाई अपनी नेकी, प्यासों की बुझाई प्यास
45 डिग्री बढ़ते तापमान (High Temperature) में अपनी प्यास बुझाने की तलाश कर रहें लोगों की मदद करते हुए कुछ स्टूडेंट्स के एक ग्रुप ने मिलकर रूहआफजा, पानी और शर्बत बांटा। मां-बाप के सर्पोट और अपने बेहतर सोच के चलते इन छात्रों ने सभी की मदद की और यह अन्य लोगों से भी उनलोगों की मदद के लिए कोई ना कोई व्यवस्था कराने की अपील की।

इसके बारे में बताते हुए छात्र उत्कर्ष माहेश्वरी ने बताया कि हमलोग रूहआफजा बांट रहे हैं। गर्मी (High Temperature) को देखते हुए हमारे मन में आया कि हमलोग किसी के लिए कुछ करें तो अपनी फैमली के सर्पोट और अपनी पॉकेट मनी को जुटाकर हमने यह व्यवस्था की है। और अब तक लगभग 1 हजार लीटर रूहआफजा बांट चुके हैं। वहीं उत्कर्ष ने अन्य लोगों से भी यह अपील भी की कि सभी को दूसरों के बारे में सोचना चाहिए रूहआफजा नहीं तो कुछ भी पानी ही बांटे लेकिन लोगों की प्यास बुझाए क्योंकि प्यासे की प्यास बुझाने से पुण्य व उनका आर्शीवाद मिलेगा।

वहीं रनीत भोला ने कहा कि गर्मी को देखते हुए हमलोग शर्बत बांट रहे हैं। जून (High Temperature) का महीना चल रहा है अभी तक जहां मौसम में बदलाव हो जाना चाहिए था लेकिन अभी भी तापमान 45-46 चल रहा है। शहर में कोई भी प्याउ की व्यवस्था नहीं है तो हमारे फ्रेंड के ग्रुप ने मिलकर यह कार्य किया है क्योंकि किसी भी इंसान की इंसानियत कभी भी नहीं जानी चाहिए।
इसके साथ ही उन्ही में से एक सिद्धार्थ गुप्ता ने बताया कि हमलोग यहां पर शर्बत बांटकर लोगों की प्यास बुझा रहें। हमें लगा कि इतनी गर्मी बढ़ (High Temperature) रहीं है और कई ऐसे लोग हैं जिनके पास पानी खरीदने के पैसे नहीं होते, लोग प्यासे रह जाते है तो ऐसे में हम सभी दोस्तों ने अपने जेब खर्च के पैसे को जुटाकर यह कार्य किया है।

सोचने वाली बात यह है कि जब इतनी बड़ी और नेकी की बात इन युवाओं के मन में आ सकती है और कमाई का कोई साधन ना होने के बाद भी वह अपने चंद पॉकेट मनी के रूपयों से यह कार्य कर सकते हैं तो अन्य लोग क्यों नहीं। क्या नहीं सोचना चाहिए उन बड़े उद्योगपतियों, सामाजिक संस्थाओं व व्यापारियों को कि इस भीषण गर्मी में प्यासें की प्यास बुझाने के लिए कर दें कोई व्यवस्था? आज इंसानियत और एक बेहतर परवरिश ने यह साबित कर दिया है कि देश का भविष्य उनके हाथ में है। अगर कोई नहीं सोचेगा उन गरीब मजदूरों, राहगीरों के बारे में तो वह बढ़ाएंगे अपने कदम चाहे जैसे भी।

