भगवान विष्णु के कच्छप अवतार लेने के पीछे प्रमुख उद्देश्य माँ लक्ष्मी को पुनः प्राप्त करना था
भगवान विष्णु का द्वितीय अवतार कूर्म अवतार/ कच्छप अवतार/ कछुआ अवतार के नाम से जाना जाता है।कच्छप अवतार उन्होंने देवताओं-दानवों के द्वारा समुंद्र मंथन के समय मंदार पर्वत का भार अपनी पीठ पर उठाने के उद्देश्य से लिया था। इसी समुंद्र मंथन से चौदह बहुमूल्य रत्नों की प्राप्ति हुई थी जिससे विश्व का कल्याण हुआ था। आज हम भगवान विष्णु के द्वारा कूर्म अवतार लेने के पीछे के रहस्य तथा उद्देश्य को समझेंगे।

भगवान विष्णु के कच्छप अवतार का उद्देश्य
भगवान विष्णु के द्वारा कूर्म अवतार लेने के कई उद्देश्य थे, जिनमें से प्रमुख निम्न हैं:
1. माँ लक्ष्मी को प्राप्त करना
विष्णु पुराण के अनुसार भगवान विष्णु के लिए समुंद्र मंथन का प्रमुख उद्देश्य माँ लक्ष्मी को पुनः प्राप्त करना था। सृष्टि में प्रलय आने के बाद भगवान विष्णु का कार्य अत्यधिक बढ़ गया था तथा उन्हें पुनः सृष्टि का संचालन करना था। जब वे सृष्टि के उद्धार में व्यस्त थे तब माँ लक्ष्मी उनसे क्रुद्ध होकर क्षीर सागर की गहराइयों में समा गयी थी। इस कारण पृथ्वी पर वैभव, धन, संपदा विलुप्त हो गयी थी तथा देवता इत्यादि भी श्रीहीन हो गए थे। इसलिये माँ लक्ष्मी को पुनः प्राप्त करने के उद्देश्य से भगवान विष्णु ने कूर्म अवतार लिया था। समुंद्र मंथन में निकले 14 रत्नों में से से एक माँ लक्ष्मी भी थी।
2. बहुमूल्य रत्नों को प्राप्त करना
महाप्रलय के पश्चात पृथ्वी से कई बहुमूल्य रत्न तथा औषधियां समुंद्र की गहराइयों में समा गयी थी जिन्हें प्राप्त करना पृथ्वी के हित में था। इन औषधियों तथा रत्नों के द्वारा पृथ्वी का उद्धार संभव नही था। इनमें से कुछ औषधियां व रत्न जैसे कि कल्प वृक्ष, पारिजात, कामधेनु इत्यादि थे। इसके अलावा चंद्रमा भी इसी समुंद्र मंथन के दौरान निकला था। इसलिये इन सभी बहुमूल्य रत्नों को प्राप्त करने के उद्देश्य से भगवान विष्णु का कछुआ अवतार लेना अति-आवश्यक था।
3. अच्छाई व बुराई का मिलन
इस अवतार को लेने के पीछे भगवान विष्णु का एक और गुप्त उद्देश्य था और वह यह समझाना था कि अच्छाई के बिना बुराई नही हो सकती तथा बुराई के बिना अच्छाई नही। समुंद्र मंथन का कार्य ना केवल देवता अकेले कर सकते थे तथा ना ही दैत्य किंतु यह कार्य विश्व कल्याण के लिए होना अति-आवश्यक था। इसलिये उन्होंने देवताओं तथा दानवों को अलग-अलग लालच देकर यह कार्य करवाया।
इसके द्वारा उन्होंने यह शिक्षा दी कि किस प्रकार बुराई का भी सकारात्मक काम में सहयोग लिया जा सकता है, यह हम पर ही निर्भर करता है। हमारे मस्तिष्क में अच्छे व बुरे दोनों तरह के विचार आते है, इसलिये यह हम पर निर्भर करता है कि हम कैसे उन बुरे विचारों को सही दिशा में मोड़ते हैं।
कच्छप अवतार का वर्तमान के संदर्भ में उदाहरण
इसका सर्वश्रेष्ठ उदाहरण हम वर्तमान के संदर्भ में परमाणु ऊर्जा के तौर पर देख सकते है। परमाणु ऊर्जा एक शक्तिशाली ऊर्जा हैं लेकिन यह विश्व तथा मानव सभ्यता पर निर्भर करता है कि वह इस ऊर्जा का सदुपयोग करती है या दुरुपयोग। परमाणु ऊर्जा की सहायता से हम विश्व कल्याण के लिए कई महत्वपूर्ण औषधियों इत्यादि का निर्माण कर सकते हैं या इसका दुरुपयोग करके हम परमाणु बम भी बना सकते है।
उसी प्रकार कुछ भी कार्य करने से पहले हमें अपने मस्तिष्क तथा विचारों का भी मंथन करना चाहिए। चूँकि हमारा मस्तिष्क अनंत विचारों को समेटने की शक्ति रखता है तथा उनका मंथन करके यह हमें कई तरह के उपाय सुझाता है। अब यह हम पर निर्भर करता हैं कि हम किन विचारों को महत्ता देते हैं तथा किस प्रकार उसका सदुपयोग करते है।
इस प्रकार भगवान विष्णु ने अपने कूर्म अवतार की सहायता से मानव सभ्यता को कई संदेश देने का प्रयास किया तथा सोच विचार करके ही कोई निर्णय लेने को कहा
Anupama Dubey