भगवान विष्णु के गंडभेरुंड अवतार लेने की संपूर्ण कथा
भगवान विष्णु के द्वारा गंडभेरुंड अवतार लेने की कथा नरसिंह अवतार से जुड़ी हुई है। यह अवतार भगवान विष्णु का अति भयानक रूप था जो उन्होंने नरसिंह अवतार के बाद लिया था।
इस अवतार में उन्होंने दो मुख वाले पक्षी का रूप धारण किया था जिसका वर्णन कई ऐतिहासिक धर्म स्थलों पर मूर्तियों के रूप में मिलता है। आज हम भगवान विष्णु के गंडभेरुंड अवतार लेने की संपूर्ण कथा के बारे में जानेंगे।

भगवान विष्णु के गंडभेरुंड अवतार लेने की कथा
भगवान विष्णु के नरसिंह अवतार का रोद्र रूप
दैत्य हिरण्यकश्यप का वध करने तथा अपने भक्त प्रह्लाद की रक्षा करने के लिए जब भगवान विष्णु ने नरसिंह अवतार लिया था तो वह अत्यंत भयानक रूप था जिसका आधा शरीर सिंह का तो आधा शरीर मानव का था। हिरण्यकश्यप का वध करने के बाद भी भगवान नरसिंह का क्रोध शांत नही हुआ था। वे फुंफकार मारते हुए इधर-उधर घूम रहे थे। यह देखकर तीनों लोकों में भय व्याप्त हो गया। तब सभी देवता तथा दैत्य भगवान शिव से सहायता मांगने गए।
भगवान शिव का शरभ अवतार
जब भगवान शिव ने नरसिंह अवतार का रूद्र रूप देखा तो उसे शांत करने के उद्देश्य से उन्होंने उससे भी भयानक रूप धारण किया जिसे शरभेश्वर या शरभ अवतार कहा जाता है। यह अवतार सिंह, मनुष्य, भैरव तथा वीरभद्र का मिलाजुला रूप था जिसके भयानक पंजे, चोंच तथा दो गरुड़ पंख थे। भगवान शिव ने शरभ अवतार की सहायता से नरसिंह अवतार को अपने पंजो में जकड़ लिया तथा आकाश में उड़ गए।
उन्होंने चोंच मारके नरसिंह अवतार को घायल कर दिया तथा उनके शरीर को अत्यधिक क्षति पहुंचाई। भगवान विष्णु का नरसिंह अवतार पहले से ही क्रोध की अग्नि में जल रहा था और यह देखकर उन्हें और ज्यादा क्रोध आ गया। इसके पश्चात उन्होंने इससे भी भयानक अवतार का रूप ले लिया।
भगवान विष्णु का गंडभेरुंड अवतार
जब शरभ अवतार नरसिंह अवतार पर आक्रमण करके उसे नुकसान पहुंचा रहा था तब भगवान नरसिंह ने उससे भी बड़े तथा भयानक अवतार को धारण किया जो दो मुख वाला पक्षी था। इस अवतार को गंडभेरुंड अवतार कहा गया। यह अति शक्तिशाली तथा भीमकाय अवतार था।
मान्यताओं के अनुसार शरभ तथा गंडभेरुंड अवतार के बीच 18 दिनों तक भीषण युद्ध हुआ जिसमें अंत में शरभ अवतार मारा गया तथा पुनः भगवान शिव में समा गया। उसके पश्चात भगवान विष्णु के रूप में गंडभेरुंड अवतार का क्रोध शांत हो गया तथा वह भी श्रीहरि में समा गया।
गंडभेरुंड अवतार के ऊपर विवाद
अलग-अलग पुराणों तथा शास्त्रों में अलग-अलग कथाएं लिखी हुई है। एक के अनुसार हिरण्यकश्यप का वध करने के पश्चात भगवान नरसिंह प्रह्लाद के द्वारा शांत हो गए थे तथा पुनः श्रीहरि में समा गए थे। यह मान्यता सबसे ज्यादा प्रसिद्ध हैं जो शरभ तथा गंडभेरुंड अवतार लेने की कथा को नकारती हैं।
अन्य मान्यता के अनुसार भगवान शिव के शरभ अवतार ने नरसिंह अवतार का वध कर दिया था तथा उसके पश्चात अपने शिव रूप में समा गए थे। एक अन्य कथा के अनुसार माँ देवी के उग्र रूप प्रत्यंगिरा ने शरभ तथा गंड भेरुंड के बीच हुए युद्ध को शांत करवाया था।
Anupama Dubey