- तेरहवीं परम्परा का सामूहिक रूप से करेंगे बहिष्कार
- किसी के निधन पर भोज शोभायमान नहीं
संजय दूबे
मिर्जापुर। व्यक्ति के निधन के बाद उसकी आत्मा की शांति के लिए तेरहवीं संस्कार या मृत्यु भोज की प्रथा चली आ रही है। लोग इस प्रथा को भली भांति निभाते हैं, लेकिन अब काफी लोग इस प्रथा से विरत हो रहे हैं। इसकी बजाय अब लोग दिवंगत आत्मा की शांति के लिए शांति पाठ करते है। ऐसा ही नारायणपुर विकास खंड में एक गांव सिकियां जयरामपुर है। इस गांव के यादव समाज के लोग आम सभा कर तेरहवीं संस्कार व मृत्युभोज नहीं करने का फैसला लिया है। इस प्रथा को समाप्त करने के लिए गांव के यादव समाज के लोगों ने मंत्रणा कर अपनी सहमति जारी किया है। उनका मानना है कि एक दुखित परिवार किसी के निधन पर भोज कैसे करा सकता है। भोज कार्यक्रम निधन पर शोभायमान नहीं होता है। इसलिए हम लोगों ने इस प्रथा को समाप्त करने का निर्णय लिया है।

ग्रामीणों ने कहा कि इस अभियान के द्वारा लोगों को भी जागरूक किया जाएगा। दरअसल सिकिया गांव में दिवंगत रामदुलार पुत्र पनारू का 21 दिसम्बर को शोक दिवस था। लेकिन समाज की जागरूकता मुहिम में सम्मिलित परिवार द्वारा तेरहवीं संस्कार की बजाय श्रद्धांजलि सभा करने का निर्णय लिया गया। तमाम लोग इस परंपरा को सराहनीय बता रहे है। उनके मुताबिक किसी परिवारिक सदस्य के निधन पर परिवार शोकाकुल होता है। इस दौरान कई घरों से भोजन दिया जाता है इसलिए उस द्रवित परिवार द्वारा भोज कराने की कुप्रभा समाप्त होनी चाहिए। गांव के बुजुर्गों ने कहा कि इस परम्परा का बहिष्कार कर इसके खिलाफ अभियान भी चलाएंगे। ये सामाजिक जागरूकता की पहल है। जिसे आगे बढ़ाया जाएगा।
इस दौरान नंदलाल यादव, नागेश्वर यादव, प्रमोद यादव, माधो यादव, मिठाईलाल, पूर्व प्रधान कल्पू, दयाराम यादव, जवाहिर यादव, रामलखन यादव, रामेश्वर यादव, शिवकुमार यादव, गुंगई यादव, भोला यादव, रामू यादव, राधेश्याम यादव, नखडू यादव, मंगल यादव, मनोज यादव, जोगिंदर, बच्चूलाल यादव एवं मदन यादव उपस्थित रहे।