- दिव्यांगजनों को सकारात्मक उद्देश्य के साथ नृत्य सीखाने का कार्य कर रही
- स्पेशल चाइल्ड व अभिभावकों के चेहरे की खुशी मेरे लिए सबसे बड़ा अवार्ड
- 126 घंटा 5 मिनट कथक कर गिनीज बुक में नाम दर्ज कराने वाली कथक नृत्यांगना से खास मुलाकात
राधेश्याम कमल
वाराणसी। 126 घंटे 5 मिनट तक कथक नृत्य करके विश्व कीर्तिमान बनाने वाली बनारस की सोनी चौरसिया अपने नृत्य के जरिये दिव्यांग बच्चों के चेहरे पर मुस्कान लाने की कोशिश कर रही हैं। वे दिव्यांगजनों को सकारात्मक उद्देश्य के साथ नृत्य की शिक्षा देने का कार्य कर रही हैं। उनका कहना है कि यह कार्य करके उन्हें जो संतुष्टि मिलती है वह शायद मेरे लिए किसी पुरस्कार या सम्मान या डिग्री से भी बहुत ऊपर है। बनारस की सोनी चौरसिया ने अपने स्कूली जीवन में ही कुछ अलग करके दिखा दिया था। वर्ष 2008-09 में रवीन्द्रपुरी स्थित गोपीराधा बालिका इंटर कालेज में अंतरविद्यालय जिला स्तरीय सांस्कृतिक प्रतियोगिता में सोनी चौरसिया ने डांस आन व्हील्स का पहला प्रदर्शन किया था। हाई स्कूल की छात्रा को रोलर स्केटिंग पहन कर नृत्य करते देख कर हर कोई अच्चम्भित था। इसके बाद सोनी चौरसिया का नृत्य के प्रति जुनून बढ़ता ही गया। कोच राजेश डोगरा के मागदर्शन में सोनी चौरसिया ने कई कठिन मंजिलों को पार किया।

सोनी चौरसिया बुलेट मोटरसाइकिल से बनारस से लद्दाख तक गई हैं। 18 हजार 380 फीट ऊंचाई पर बुलेट चला कर यात्रा कर चुकी हैं। सोनी यश भारती सम्मान से सम्मानित सोनी चौरसिया को न जाने कितने पुरस्कारों से नवाजा गया। सोनी डांस को थैरेपी के रूप में स्पेशल चाइल्ड के लिए सीखाने का कार्य करती है। सोनी की रूचि नृत्य के साथ ही अभिनय में भी है। वे स्वामी विवेकानंद सीरियल में भी काम कर चुकी हैं। जो अभी रिलीज नहीं हुई है। बनारस के बीबीहटिया निवासिनी सोनी चौरसिया से जनसंदेश टाइम्स ने उनके आवास पर खास मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने कई संस्मरणों को शेयर किया।
2003 में डांस ऑन व्हील्स पर कथक नृत्य की शुरूआत की
कथक नृत्यांगना सोनी चौरसिया बताती हैं कि 13 जुलाई 2003 में उन्होंंने आर्य महिला डिग्री कॉलेज के सभागार में रोलर स्केटिंग पर डांस आॅन व्हील्स पर कथक नृत्य की शुरूआत की। इसके बाद स्टेज परफारमेंस चलता रहा। 7 नवम्बर 2003 में डा. राजेन्द्रप्रसाद घाट पर गंगा महोत्सव में परफारमेंस दिया। 2004 में वरुणा महोत्सव के बाद इसी वर्ष बांग्ला देश की राजधानी ढाका जाकर रोलर स्केटिंग पर नृत्य किया। केन्द्र सरकार व प्रदेश सरकार की ओर से आयोजित संस्कृति विभाग की कई कार्यक्रमों में भागीदारी की।

सर्वप्रथम 24 घंटा लगातार कथक कर लिम्का बुक में रेकार्ड बनाया
सोनी चौरसिया बताती हैं कि 14 से 15 अप्रैल 2010 में आर्य महिला डिग्री कालेज में रोलर स्केट पर लगातार 24 घंटे तक कथक नृत्य की प्रस्तुति कर लिम्का बुक में नाम दर्ज कराया। इसके बाद 2015 में आर्य महिला डिग्री कालेज में लगातार 87 घंटे 18 मिनट तक पारम्परिक कथक नृत्य कर लिम्का बुक आफ वर्ल्ड रिकार्ड में विश्व कीर्तिमान बनाया।
126 घंटा 5 मिनट तक कथक कर विश्व कीर्तिमान बनाया
सोनी चौरसिया बताती है कि 4 से 9 अप्रैल 2016 में रोहनिया स्थित एक स्कूल में लगातार 126 घंटा 5 मिनट तक बिना स्केट के कथक नृत्य करके त्रिचुर (केरला) की हेमलता कंमडलु के 123 घंटा 20 मिनट के लगातार नृत्य का रेकार्ड को पीछे छोड़ कर विश्व कीर्तिमान स्थापित किया।
रोलर स्केट से 5 हजार किमी की कश्मीर से कन्याकुमारी तक की यात्रा की
वे बताती हैं कि 27 सितम्बर से तीन अक्टूबर 2021 में रोलर स्केट पर वाराणसी से लखनऊ तक की लगभग 325 किमी की दूरी तय की। 27 सितम्बर 2022 में कश्मीर से कन्याकुमारी तक ढाई इंच के पहिये रोलर स्केट पर लगभग 5 हजार 11 किमी की दूरी तय की। जिसमें 13 राज्य, 100 शहर, 10 हजार गांवों को 90 दिनों में यात्रा की। 25 दिसम्बर 2022 में यह यात्रा समाप्त हुई। इस यात्रा में 20 सदस्यीय दल का नेतृत्व सोनी ने किया। इस दल में 8 महिलाएं भी थीं।
ननिहाल में बीता सोनी का बचपन
सोनी चौरसिया बताती हैं कि उनका पूरा बचपन चेतगंज स्थित उनकी नानी देवी चौरसिया के घर पर बीता। जब घर में मम्मी ने पुत्र को जन्म दिया तो उसका किसी कारणवश निधन हो गया। इसके बाद मेरा जन्म हुआ। लोगों को लगा कि मैं उसे मार कर पैदा हुई हूं। इसीलिए लोग मुझे प्यार नहीं करते थे। यह सब देख कर मेरे नाना बच्चेलाल चौरसिया मुझे अपने घर ले गये। वे मुझे सोनी नहीं सोनू कह कर बुलाते थे। नाना के निधन के बाद तक हमने आठवीं तक पढ़ाई की। इसके बाद हरिश्चन्द्र बालिका इंटर कालेज में पढ़ी। बाद में हम अपने घर बीबीहटिया अपने परिवार में आ गये। घर में मां मधु चौरसिया व पिता श्याम चौरसिया तथा भाई-बहन सभी लोग हैं।
जीवन में रहा अभाव लेकिन पता ही नहीं चला
सोनी चौरसिया बताती हैं कि जीवन में अभाव बहुत रहा लेकिन जो था उसका प्रभाव बहुत तगड़ा था कि अभाव का पता ही नहीं चला। अगर हम उसी सोच में रह जाते तो शायद इतना कुछ कर नहीं पाते। आज की युवा पीढ़ी पूरी तरह से मोबाइल, टीवी, गेम्स में व्यस्त हैं लेकिन हम इससे बहुत दूर रहे। वे बताती है कि एक व्यक्ति में बहुत सारी प्रतिभाएं हो सकती है। किसी एक प्रतिभा को लेकर उसे जज नहीं करना चाहिए। मैं रोलर स्केट की खिलाड़ी हूं। इसमें हमने अन्तर्राष्ट्रीय स्तर तक खेला और ढाका में रजत पदक हासिल किया। अगर मैं सिर्फ कथक डांसर होती तो इतना लंबा टारगेट 126 घंटा 5 मिनट का नृत्य नहीं कर पाती।
दोनों गुरुओं के संयुक्त प्रयास की उपज हूं
मेरे कथक गुरु पं. ओम प्रकाश मिश्र (पं. बिरजू महराज के सगे भांजे) लखनऊ घराने के हैं। जबकि स्केटिंग गुरु राजेश डोगरा हैं। इन दोनों गुरुओं के संयुक्त प्रयास की उपज हूं। क्योंकि रोलर स्केटिंग पाश्चात्य संस्कृति का खेल है और कथक उत्तर भारतीय शास्त्रीय नृत्य है। पाश्चात्य संस्कृति का खेल को अपनाते हुए भी हमने अपनी संस्कृति में ढाला। गुरुओं के सहयोग से एक नई विधा डांस आन व्हील्स का आगाज हुआ। यह प्रयोग वैसा ही था जैसे पहले पुराने जमाने में नर्तक तलवार या थाली पर नृत्य करते थे।
गर्मियों में कई बार आर-पार कर चुकी हैं गंगा
सोनी चौरसिया बताती हैं कि मेरी ऊर्जा का जो स्त्रोत है कि मैं गर्मियों में गंगा को आर-पार करती हूं। कई बार गंगा ऐसा कर चुकी हूं। गंगा पार बाली में दौड़ लगाती हूं। नेपाली मंदिर ललिताघाट स्थित नेपाली शिव मंदिर में जाकर साधना करने के बाद घर लौटती हूं। साधना के लिए हमने कभी एलोपैथिक दवा का प्रयोग नहीं किया। स्टेमना बढ़ाने के लिए मेथीदाना, दालचीनी, ग्रीनलीव आदि का प्रयोग करती हूं।