यूपी नगर निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित कर लिया है। कोर्ट अब 27 दिसंबर को अपना फैसला सुनाएगी। जिससे यह कयास लगाए जा रहे हैं कि अब यह चुनाव आगे के लिए टल सकते हैं।
हाईकोर्ट रूम में जज के पहुँचने के साथ ही सुबह 11:15 पर सुनवाई शूरू हुई और शाम 3:45 पर फैसला आया। याचिकाकर्ता के वकील ने सबसे पहले अपना पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि अन्य पिछड़ा वर्ग आरक्षण के लिए एक डेडिकेटेड कमीशन बनाया जाए। इसी की मांग हो रही है, जो राजनीतिक पिछड़ेपन की रिपोर्ट दे।उसी पर अन्य पिछड़ा वर्ग का आरक्षण तय किया जाए। एडवोकेट पी एल मिश्रा बहस कर रहे थे। उन्होंने सुरेश महाजन बनाम मध्य प्रदेश सरकार 2021 केस में सुप्रीम कोर्ट का आदेश विस्तार से पढ़ा।
याचिका में कहा गया था कि सुप्रीम कोर्ट ने सुरेश महाजन केस में निर्णय में स्पष्ट आदेश दिया था कि नगर निकाय चुनावों में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) आरक्षण से पहले ट्रिपल टेस्ट कराया जाएगा। अगर तिहरा परीक्षण की शर्त पूरी नहीं की जाती है तो अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के अलावा बाकी सभी सीटों को सामान्य सीट घोषित करते हुए चुनाव कराया जाना चाहिए।
महिला आरक्षण को आरक्षण श्रेणी में मानने के लिए बोला। जबकि याचिकाकर्ता के वकील ने महिला आरक्षण को 50% आरक्षण से बाहर रखा है। सरकारी वकील ने महिला आरक्षण को हॉरिजेंटल आरक्षण (क्षैतिज आरक्षण) बताया। सरकारी वकील ने माना कि राजनीतिक आरक्षण के लिए कोई आयोग नहीं बनाया गया है।कोर्ट ने पॉलिटिकल बैकवर्ड रिजर्वेशन और सोशल बैकवर्ड रिज़र्वेशन को अलग अलग माना।
उत्तर प्रदेश सरकार की आपत्ति
यूपी सरकार ने अपनी आपत्ति में कहा था कि इस काम से नाव अधिसूचना में देरी होगी। यह भी कहा गया कि 5 दिसंबर की अधिसूचना का एक मसौदा है, इस पर असंतुष्ट पक्ष आपत्ति दाखिल कर सकते हैं। हाईकोर्ट ने योगी आदित्यनाथ सरकार के तर्क से असंतुष्ट होकर चुनाव अधिसूचना के साथ ही 5 दिसंबर के ड्राफ्ट नोटिफिकेशन पर भी रोक लगा दी थी।
यूपी नगर निकाय चुनाव की तारीखों का फैसला अब 27 दिसंबर को आएगा। वहीँ, यह कयास लगाये जा रहे हैं कि यह चुनाव अभी टल सकता है। वर्तमान हालात को देखते हुए लोग अब यह मानने लगे हैं कि चुनाव के लिए लम्बे समय प्रतीक्षा करनी होगी। वहीँ देश और विदेश में कोरोना मरीजों की रफ़्तार बढ़ रही है। सरकार एडवाईजरी जारी कर रही है। ऐसे में कोरोना के मद्देनजर चुनाव कराना संभव नहीं है। इसी कारण लोगों में चुनाव की तारीखों को जानने के लिए जिज्ञासा और बढ़ गई है।