- सरकार सुरक्षित जगहों पर कराएगी शिफ्ट
- पीड़ितों को 6 महीने तक मिलेंगे 4 हजार रुपए प्रतिमाह
उत्तराखंड में प्रकृति अक्सर अपना प्रकोप दिखाती रहती है। कहते हैं कि प्रकृति के नियमों की अनदेखी भगवान भी नहीं करते। इंसान तो फिर भी इंसान हैं। भगवान केदारनाथ की भूमि उतराखंड में कभी भयंकर विनाशकारी बाढ़, तो कभी भूस्खलन ने लोगों का जीना दूभर कर दिया है। लगातार प्रकृति को नुकसान पहुंचाकर चल रहे विकास कार्यों से प्रकृति बुरी तरह प्रभावित रही है।
देहरादून। उत्तराखंड के जोशी मठ में जमीन धंस रही है। यहां 500 से ज्यादा घरों में जमीन धंसने से दरारे आ गई हैं। इसके बावजूद हाइडल प्रोजेक्ट की सुरंग और चार धाम ऑल वेदर रोड (हेलंग-मारवाड़ी बाईपास) का काम रोका नहीं गया है। सरकार स्थिति को भांपते हुए इन कार्यों पर तत्काल रोक लगा दी थी। जिसके बाद कागजों पर तो काम बांध हो गया, लेकिन बड़ी-बड़ी मशीनें लगातार पहाड़ों की खुदाई कर रही हैं।

इधर, जोशीमठ में लगातार पानी का रिसाव हो रहा है। हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं। 50 हजार से ज्यादा आबादी वाले शहर के लोग दिन किसी तरह काट लेते हैं, रात बीताना इनके लिए बड़ा मुस्किल हो जाता है। पहाड़ों पर हो रही बर्फबारी से ठंड ने भी अपना सितम ढाना शूरू कर दिया है। ऐसे में यहां के नागरिकों के लिए समय बड़ा मुस्किल होता जा रहा है। लोग प्रचंड ठंड में अपने घरों से बाहर रहने को मजबूर हैं। कब कोई अनहोनी घटना हो जाए, कब किसी का घर ढह जाए, ये कोई नहीं जानता। सबसे ज्यादा डर जोशीमठ के रविग्राम, गांधीनगर और सुनील वार्डों में है। यह शहर पूरे 4,677 वर्ग किमी में फैला है।
स्थिति का जायजा लेने के लिए उत्तराखंड के सीएम पुष्कर धामी के शनिवार को जोशी मठ जाने की संभावनाएं हैं। सीएम धामी ने शुक्रवार को हाई लेवल मीटिंग में डेंजर जोन को तत्काल खाली कराने और प्रभावित परिवारों के लिए सुरक्षित स्थानों पर पुनर्वास केंद्र बनाने का आदेश दिया था। वहीँ खतरनाक मकान में रहे रहे 600 परिवारों को तत्काल शिफ्ट कराने के आदेश दिए थे।

सरकार ने उन परिवारों को किराए के मकान में जाने को कहा है, जिनके घर रहने लायक नहीं हैं या क्षतिग्रस्त हो गए हैं। सरकार उन्हें किराये के तौर पर हर महीने 4 हजार रुपए देगी। यह राशि 6 अगले महीने तक CM रिलीफ फंड से मुहैया कराई जाएगी।