Varanasi: के अन्नपूर्णा मंदिर में मां अन्नपूर्णा का 17 दिवसीय महाव्रत सोमवार, 10 नवंबर से शुरू हो गया है। यह महाव्रत अगहन माह के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि से शुरू होकर 17वें दिन तक चलेगा। वही लोग मंदिर के कपाट खुलते ही उनकी पूजा अर्चना करने लिए पहुचने लगे।ऐसे में मां अन्नपूर्णा का 17 दिनों का व्रत श्री संवत कृष्ण पक्ष पंचमी आज से प्रारम्भ हो गई गया है। जिसमे महिलाएं 17 दिनों तक व्रत करती है।
आपको बता दें कि व्रत के पहले दिन भक्तों को 17 गांठ का धागा दिया गया है , जिसे महिलाएं बाएं हाथ में और पुरुष दाहिने हाथ में धारण करेंगे। इसके साथ ही इस महाव्रत के दौरान 17 परिक्रमा और 17 दीप जलाने का विधान है।

मां अन्नपूर्णा का यह महाव्रत वाराणसी (Varanasi) की धार्मिक आस्था और सांस्कृतिक विरासत का महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह व्रत भक्तों को दैविक, भौतिक और आध्यात्मिक सुख प्रदान करता है वही 17 दिनों तक भक्त नियमित रूप से मां अन्नपूर्णा की पूजा करेंगे और कथा सुनेंगे। वही 17 साल, 17 महीने और 17 दिनों के व्रत के पहले दिन श्रद्धालुओं ने अन्नपूर्णा मंदिर के महंत शंकर पुरी के हाथों से पूजन के लिए 17 गांठ का धागा प्राप्त किया।

Varanasi भक्तों में गांठ का धागा किया गया वितरण
वही मंदिर के महंत्त संकर पूरी ने बताया कि काशी (Varanasi) का सबसे प्राचीन मंदिर अन्नापुराना मंदिर है, जिसे आज पंचमी के दिन सुबह खोला गया है और भक्तों द्वारा इसमें पूजा अर्चना की जा रही है।आज के दिन की विशेष बात यह है कि आज के दिन से ही माता अन्नपूर्ण का व्रत शुरू होता है ऐसे में आज भक्तगढ़ अपनी मनोकामना के लिए व्रत करते है। और हम लोगों ने श्रदालुओं लिए गांठ का धागा सुबह से ही वित्ररण किया गया है। क्योंकी यह व्रत 17 दिन का होता है, और यह धागा भी 17वे दिन के लिए मान्य होता है।
भक्त इसमें 17 दूध व 17 चावल चढ़ाते है साथ ही 17 प्रकार का को भोग लगाते है इसके बाद छठ के दिन 26 नवम्बर को माता का श्रींगार किया जाता है। वही अगले दिन को धान का श्रींगार किया जाता है वही भक्तों में प्रशाद को वितरण किया जायेगा।इसके साथ ही महाव्रत का समापन अगहन माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी को होगा, जब मां अन्नपूर्णा का धान की बालियों से भव्य श्रृंगार किया जाएगा।

