Varanasi चौबेपुर: स्वर्वेद महामंदिर धाम, उमरहा की धरा बुधवार को आध्यात्मिकता और वैदिक उर्जा से ऐसी आलोकित हुई कि मानो स्वर्ग स्वयं धरती पर उतर आया हो। 25,000 यज्ञ-कुण्डों से उठती अग्नि, सामूहिक वैदिक मंत्रोच्चार और हजारों दम्पत्तियों द्वारा एक साथ दी गई आहुतियों ने काशी में भक्ति, श्रद्धा और सनातन गौरव का ऐतिहासिक दृश्य रच दिया। पावन स्थल पर उमड़ा श्रद्धालुओं का महासागर काशी के वैदिक इतिहास में एक अनुपम अध्याय जोड़ गया।

यज्ञ मनुष्य को ले जाता है विश्व–कल्याण की भावना तक
महायज्ञ (Varanasi) का नेतृत्व कर रहे सन्त प्रवर विज्ञान देव जी महाराज ने विशाल जनसमुदाय को संबोधित करते हुए कहा कि “यज्ञ त्याग, पवित्रता और ऊर्ध्वगति का मार्ग है। यह केवल अग्नि में सामग्रियों की आहुति नहीं, बल्कि मनुष्य के भीतर छिपे अहंकार, लोभ, क्लेश और अशुद्धियों को समर्पित करने की प्रक्रिया है। यज्ञ मनुष्य को ‘मैं और मेरा’ की सीमा से उठाकर विश्व-कल्याण की भावना तक ले जाता है।”

ग्लोबल वॉर्मिंग जैसे गंभीर विषय पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि “यज्ञ का धुआँ प्रदूषण नहीं, औषधीय जड़ी-बूटियों से बने धूम्र का स्वरूप है, जो वायुमंडल को शुद्ध करता है और रोगों का हरण करता है। वैज्ञानिकों को यज्ञ की इस शक्ति का गहन अध्ययन करना चाहिए।”

25,000 वेदियाँ, लाखों दीपित संकल्प
धाम परिसर (Varanasi) में स्थापित 25,000 यज्ञ-कुण्डों के सामने लाखों दम्पत्तियों ने भौतिक समृद्धि और आध्यात्मिक कल्याण हेतु आहुतियाँ समर्पित कीं। वैदिक मंत्रों का कंपन जब एक साथ गूँजा तो पूरा परिसर देवलोक-सा अलौकिक प्रतीत होने लगा।



यज्ञोत्तर दर्शन और आशीर्वाद के लिए सद्गुरु देव, सन्त प्रवर विज्ञान देव जी महाराज तथा आचार्य स्वतंत्र देव जी महाराज के चरणों में भक्तों का विशाल सैलाब उमड़ पड़ा।उमरहा में प्रज्ज्वलित यज्ञ की दिव्यता केवल मंडप तक सीमित न रही। वैदिक ध्वनियाँ, धूप-धुएँ की पवित्र सुगंध और श्रद्धा की तरंगें पूरे काशी (Varanasi) के वातावरण में शांति व सकारात्मकता का संचार करती रहीं।

