Varanasi: काशी में हर वर्ष रंगभरी एकादशी के अवसर पर आयोजित होने वाली गौरा के गौना की परंपरागत पालकी शोभायात्रा इस बार विवादों में घिर गई। पूर्व महंत आवास टेढ़ीनीम से निकलने वाली इस भव्य यात्रा के समय और स्वरूप में अचानक किए गए बदलावों ने काशीवासियों और श्रद्धालुओं में असंतोष बढ़ा दिया। प्रशासन की ओर से जारी निर्देशों के कारण इस बार पालकी को ढककर ले जाने की स्थिति उत्पन्न हो गई, जिससे भक्तों की धार्मिक भावनाएं आहत हुईं।
यात्रा पर प्रशासन का हस्तक्षेप, जारी हुआ नोटिस
इस शोभायात्रा को लेकर पूर्व महंत आवास और मंदिर प्रशासन के बीच टकराव बढ़ता गया। महंत आवास की ओर से पहले ही 3 मार्च को मंदिर प्रशासन और अन्य संबंधित विभागों को निमंत्रण पत्र भेज दिया गया था। परंपरानुसार, 7 मार्च से महंत आवास में लोकाचार शुरू हो चुके थे। लेकिन जब 10 मार्च को पालकी यात्रा निकालने की तैयारियां की जा रही थीं, तब प्रशासन ने धारा 168 बी के तहत एक नोटिस जारी कर यात्रा को रोकने का प्रयास किया।

पूर्व महंत डॉ. कुलपति तिवारी के पुत्र पं. वाचस्पति तिवारी ने प्रशासन पर षड्यंत्र रचने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि नोटिस में प्रशासन ने उनके दिवंगत पिता के निधन के बाद इस परंपरा को जारी न रखने का आदेश दिया और यात्रा में शामिल होने वाले भक्तों को ‘अराजकतावादी’ करार दिया। इस फैसले से काशीवासियों और बाबा विश्वनाथ के श्रद्धालुओं में भारी नाराजगी फैल गई। विरोध बढ़ने पर मंदिर प्रशासन को अपने निर्णय पर पुनर्विचार करना पड़ा, लेकिन इसके बावजूद शोभायात्रा में कई बदलाव किए गए।
परंपरा में बदलाव का आरोप, श्रद्धालुओं की नाराजगी
पं. वाचस्पति तिवारी ने मंदिर प्रशासन पर परंपरा से छेड़छाड़ करने का आरोप लगाया। उनका कहना है कि इस वर्ष प्रशासन ने पालकी के पारंपरिक मार्ग और समय में परिवर्तन कर दिया, जिससे श्रद्धालुओं में असंतोष फैल गया। इसके अलावा, प्रशासन ने यह निर्देश दिया कि प्रतिमा को केवल मंदिर परिसर के एक विशेष स्थान पर रखकर ही विधि-विधान पूरे किए जाएं।
परंपरा के अनुसार, महंत आवास से निकली प्रतिमा को गर्भगृह में विराजित कर सप्तर्षि आरती कराई जाती थी। लेकिन प्रशासन ने इस प्रक्रिया में बदलाव कर महंत आवास की परंपराओं को नजरअंदाज कर दिया। इस मुद्दे पर मंदिर प्रशासन, काशी के जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों के बीच बैठक भी हुई, लेकिन कोई ठोस समाधान नहीं निकला।
पालकी को ढककर क्यों ले जाया गया?
श्रद्धालुओं की आस्था से जुड़ी इस शोभायात्रा में इस बार पालकी को ढककर ले जाने की नौबत आ गई। मंदिर प्रशासन ने निर्देश दिया कि प्रतिमा को गर्भगृह के अलावा कहीं और नहीं रखा जा सकता। पं. वाचस्पति तिवारी ने आरोप लगाया कि मंदिर प्रशासन ने परंपरागत प्रतिमा को गर्भगृह में स्थापित करने की अनुमति नहीं दी, बल्कि दूसरी प्रतिमा वहां स्थापित कर दी। इसी कारण पालकी को ढककर ले जाना पड़ा, जिससे श्रद्धालुओं में गहरा असंतोष व्याप्त हो गया।
शंकराचार्य चौक पर श्रद्धालुओं में भ्रम, पालकी को जमीन पर रखा गया
जब पालकी शोभायात्रा मंदिर के शंकराचार्य चौक पहुंची, तो श्रद्धालुओं में असमंजस की स्थिति उत्पन्न हो गई। मंदिर प्रशासन ने दावा किया कि परंपरागत प्रतिमा गर्भगृह में स्थापित कर दी गई है, लेकिन मंदिर परिसर पहुंचने पर महादेव की पालकी को जमीन पर रखवा दिया गया, जिससे भक्तों की धार्मिक भावनाएं आहत हुईं।
Highlights
परंपरा की अनदेखी का आरोप, प्रशासन पर सवाल
काशीवासियों का कहना है कि महंत आवास से निकली पारंपरिक प्रतिमा को गर्भगृह में विराजित नहीं किया गया, बल्कि प्रशासन ने दूसरी प्रतिमा वहां स्थापित कर दी। जब पालकी को गर्भगृह तक ले जाने की बारी आई, तो मंदिर प्रशासन ने सुरक्षा कर्मियों की तैनाती कर इसे रोकने का प्रयास किया।