Varanasi: वाराणसी में गंगा का जलस्तर लगातार गिरता जा रहा है, जिससे नदी के बीचों-बीच रेतीले टीले उभरने लगे हैं। जल प्रवाह की कमी के कारण न केवल प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है, बल्कि जल-जीवों का अस्तित्व भी खतरे में पड़ गया है। इतना ही नहीं जिन 45 करोड़ लोगों का जीवन गंगा पर निर्भर करता है उनके जीवन पर संकट मंडराने लगा है।
Highlights
- भीषण गर्मी पड़ने से पहले ही सूखने लगी गंगा
- लगातार जलस्तर गिरने से लोगों को सताने लगी चिंता
- जलस्तर घटने से खतरे में जलीय जीवों का जीवन
- जल प्रवाह की कमी से बढ़ता है प्रदुषण का स्तर
- 45 करोड़ लोगों का जीवन गंगा पर करता है निर्भर
- पर्यावरण वैज्ञानिक प्रो. बीडी त्रिपाठी ने दी जानकारी
ऐसे में इसके पीछे का करण क्या है? इसके बारे में जानकारी देते हुए पर्यावरण वैज्ञानिक प्रो. बीडी त्रिपाठी ने कहा कि गंगा का पानी (Varanasi) लगातार कम होते जा रहा है। यह स्थिति निरंतर 2 सालों से बनी हुई है। उन्होंने कहा कि सिर्फ गंगा में पानी ही कम नहीं हो रहा है, पानी कम होने के वजह से पानी का फ्लो भी कम हो रहा, गहरे कम हो रहा, टीले नजर आ रहे हैं और ऐसे में जल-जीव जो हमारे हैं उनका जीना मुश्किल हो जायेगा और साथ-साथ प्रदुषण का स्तर भी बढेगा।


क्लीन गंगा के साथ अब करना होगा सेव गंगा
उन्होंने आगे कहा कि क्लीन गंगा के साथ-साथ हमें सेव गंगा की बात करनी होगी क्योंकि अगर गंगा का पानी नहीं रहा तो 45 करोड़ लोग (Varanasi) जिनका जीवन गंगा पर निर्भर करता है उनके जीवन को बचाना मुश्किल हो जायेगा। ऐसे में धर्म जाति और राजनीती सबसे बढ़कर हमें क्लीन गंगा के जगह अब सेव गंगा का अभियान चलाना होगा।

गंगा का पानी बढ़ना बेहद आवश्यक
गंगा (Varanasi) की सफाई जरूरी और पानी का फ्लो कम होना ऐसे में इसका क्या प्रभाव पड़ेगा….इस सवाल के जवाब में पर्यावरण वैज्ञानिक प्रो. बीडी त्रिपाठी ने बताया कि गंगा के पानी का फ्लो जब बढ़ता है तब गंदगी अपने आप बह जाती है। प्रदुषण कम हो जाता है। ऐसे में गंगा का पानी बढ़ना बहुत आवश्यक है तो हमें उन योजनाओं को लाना होगा जिससे पानी का स्तर बढे।

Varanasi: रोजाना नजर आ रहे नए-नए रेतीले टीले
महाकुंभ के दौरान गंगा में बहुत पानी छोड़ा गया ऐसे में पानी का कम हो जाना इसके पीछे का करण क्या है इसके बारे में बताते हुए प्रो. बीडी त्रिपाठी ने बताया कि गंगा में पानी डालना वो अलग बात है लेकिन अब तो रेती दिख रहा। रोज नए-नए टीले दिख रहे तो यह चिंता का विषय है। बात हम अगर वाराणसी (Varanasi) की करें तो यहाँ अधिकतर जगहों पर मुख्य सोर्स गंगा है तो अगर सोर्स ही कम हो जायेगा तो कैसे काम चलेगा। इसीलिए हमें पेयजल को भी ध्यान में रखते हुए कार्य करना होगा।
Comments 1