Varanasi: पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम मुख्यालय पर राज्य विद्युत परिषद जूनियर इंजीनियर्स संगठन, उत्तर प्रदेश द्वारा निजीकरण के विरोध में महापंचायत और जनजागरण अभियान का आयोजन किया गया। इस महापंचायत में पूर्वांचल के 21 जिलों से हजारों की संख्या में संगठन के सदस्य और पदाधिकारी शामिल हुए। मुख्यालय का गेट बंद होने के कारण जूनियर इंजीनियरों ने गेट के बाहर ही प्रदर्शन किया और प्रबंधन की तानाशाही नीतियों के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।
संगठन के केंद्रीय महासचिव एवं पूर्वांचल अध्यक्ष इंजीनियर बलबीर यादव ने प्रबंधन पर तानाशाही रवैया अपनाने का आरोप लगाया। उन्होंने बताया कि संगठन (Varanasi) ने पहले ही रविवार को अवकाश के दिन महापंचायत और जनजागरण अभियान आयोजित करने की सूचना दी थी, इसके बावजूद प्रबंधन ने कोई आधिकारिक रोक की सूचना नहीं दी। जब विभिन्न जिलों से आए सदस्य मुख्यालय पहुंचे, तो उन्हें गेट के बाहर ही रोक दिया गया, जिससे सदस्यों में भारी आक्रोश फैल गया।
Varanasi: यह युवाओं के सरकारी नौकरी के सपने को तोड़ देगा
गेट बंद होने के बावजूद संगठन ने फुटपाथ पर ही सफलतापूर्वक महापंचायत आयोजित की। इस दौरान नेताओं ने ऊर्जा विभाग के निजीकरण के दुष्प्रभावों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह निर्णय लाखों युवाओं के सरकारी नौकरी के सपने को तोड़ देगा। पूर्वांचल संरक्षक इं. अवधेश मिश्रा ने कहा कि ऊर्जा विभाग सार्वजनिक क्षेत्र (Varanasi) का महत्वपूर्ण अंग है, जहां अन्य सरकारी विभागों की तुलना में अधिक रोजगार के अवसर हैं। निजीकरण से इन अवसरों पर खतरा मंडराने लगेगा।
केन्द्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष इं. अवधेश यादव ने सरकारी सेवाओं के निजीकरण को जनता के अधिकारों का हनन बताया। उन्होंने कहा कि यदि ऊर्जा, शिक्षा, स्वास्थ्य और परिवहन जैसी आवश्यक सेवाओं का निजीकरण (Varanasi) किया गया, तो गरीब और मध्यम वर्ग के लोगों पर भारी आर्थिक बोझ पड़ेगा। केन्द्रीय उपमहासचिव इं. दीपक गुप्ता ने भी इस बात पर चिंता जताई कि निजीकरण के बाद बिजली दरों में अप्रत्याशित वृद्धि हो सकती है, जिससे घरेलू और वाणिज्यिक उपभोक्ताओं पर असर पड़ेगा।
महापंचायत में वक्ताओं ने एकमत होकर निजीकरण का विरोध करते हुए इसे लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ बताया। उन्होंने कहा कि महापंचायत को रोकने का प्रयास प्रबंधन की साजिश थी, जिसे संगठन ने एकजुट होकर नाकाम कर दिया।
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