पितृ विसर्जन के अवसर पर बुधवार को काशी (Varanasi) के गंगा घाटों पर श्राद्धकर्म और तर्पण करने वालों की भारी भीड़ नजर आई। श्रद्धालुओं ने गंगा स्नान करने के साथ अपने पितरों के लिए तर्पण और पिंडदान किया। इसके साथ ही उन्होंने ब्राह्मणों को भोजन कराया और उन्हें दान भी दिया। मान्यता है कि पितृ विसर्जन के दिन और पूरे पितृ पक्ष के दौरान पिंडदान और तर्पण करने से पितरों का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है।
पितृ पक्ष का महत्व
पुरोहित राजकुमार तिवारी के अनुसार, हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का अत्यधिक महत्व है। इस 15 दिनों के समय में पितरों (Varanasi) के लिए तर्पण और पिंडदान करना धार्मिक कर्तव्य माना जाता है। पितृ पक्ष के दौरान गाय और कौआ को भोजन कराना भी शुभ माना गया है। ऐसा विश्वास है कि इस समय पितर धरती पर अपने वंशजों के पास आते हैं और उनसे तर्पण और पिंडदान की अपेक्षा रखते हैं।

Varanasi: तर्पण और पिंडदान की परंपरा
गंगा घाटों (Varanasi) पर श्रद्धालु पिंडदान और तर्पण की विधि का पालन करते हैं। पितरों के लिए तर्पण करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है और उनके आशीर्वाद से परिवार में सुख-समृद्धि आती है। तिवारी जी ने बताया कि ब्राह्मणों को भोजन कराना और दान देना भी इस समय का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह परंपरा महाभारत और रामायण काल से चली आ रही है, जिसका पालन आज भी किया जाता है।
पितरों का आशीर्वाद
पितृ विसर्जन के दिन किए गए तर्पण और पिंडदान से पितरों की आत्मा तृप्त होती है और उनके आशीर्वाद (Varanasi) से परिवार पर खुशहाली बनी रहती है। यही कारण है कि पितृ पक्ष के दौरान इस धार्मिक अनुष्ठान का पालन विशेष रूप से किया जाता है।
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