Varanasi: लगातार बढ़ते गंगा के जलस्तर से सहमे वाराणसी के तटवर्ती इलाकों के निवासियों को आखिरकार कुछ राहत मिली है। गंगा का जलस्तर, जो बीते सप्ताह चेतावनी बिंदु के करीब तक पहुंच गया था, अब धीरे-धीरे घटने लगा है। बुधवार की शाम से शुरू हुआ यह रुझान गुरुवार की सुबह और स्पष्ट नजर आया, जब जलस्तर में एक सेंटीमीटर प्रति घंटे की गिरावट दर्ज की गई।


Varanasi: दो सेंटीमीटर नीचे आया जलस्तर
गंगा का पानी जहां बीते दिनों 70.262 मीटर के चेतावनी स्तर से महज थोड़ा नीचे 68.76 मीटर तक जा पहुंचा था, वहीं गुरुवार सुबह यह घटकर 68.74 मीटर पर दर्ज किया गया। यह गिरावट (Varanasi) भले धीमी हो, लेकिन इससे घाट किनारे बसे हजारों लोगों में राहत की खबर है।


बाढ़ के चलते अभी भी वाराणसी के प्रमुख घाट जलमग्न हैं। वाराणसी के (Varanasi) नमो घाट पर बना ‘नमस्ते स्कल्पचर’ पूरी तरह से पानी की जद में है, और आसपास के मोहल्ले जलभराव से जूझ रहे हैं। गंगा के पलट प्रवाह के कारण वरुणा नदी भी उफान पर है, जिससे निचले इलाकों में पानी भर गया और जनजीवन प्रभावित हुआ।

घाटों पर सैलानियों के पहुंचने का सिलसिला बरकरार
हालांकि बाढ़ के बावजूद घाटों पर सैलानियों के पहुंचने का सिलसिला बरक़रार है। भले ही वह दूर से घाटों के नजारों को देख पा रहे हैं लेकिन फिर भी काशी आए पर्यटकों के अंदर जो घाटों के नजारों को देखने का उल्लास होता है वह जरा भी कम नहीं है। वहीं बाढ़ के हालात को देखते हुए प्रशासन (Varanasi) ने पहले से ही बाढ़ राहत शिविरों की स्थापना कर दी थी। सलारपुर स्थित शिविर में कई प्रभावित परिवारों ने शरण ली है। प्रशासन की ओर से राहत सामग्री, प्राथमिक चिकित्सा, स्वच्छता और सुरक्षित जल आपूर्ति की समुचित व्यवस्था की गई है।

स्थिति पर नजर रखने के लिए जिला प्रशासन पूरी तरह अलर्ट मोड में है। राहत और बचाव दल घाटों और निचले क्षेत्रों में लगातार तैनात हैं। संभावित खतरे को देखते हुए किसी भी आकस्मिक स्थिति से निपटने के लिए नावें, चिकित्सा टीमें और आवश्यक संसाधन भी तैयार रखे गए हैं।

स्थानीय नागरिकों का कहना है कि इस बार गंगा के जलस्तर में जिस तेजी से उफान आया, उसने उन्हें 2013 और 2021 की बाढ़ की घटनाएं याद दिला दीं। हालांकि इस बार समय पर मिली चेतावनी और प्रशासन की सक्रियता ने स्थिति को बिगड़ने से रोक दिया। अब जबकि जलस्तर में कमी आने लगी है, शहरवासियों (Varanasi) को उम्मीद है कि जल्द ही घाटों की चहल-पहल और श्रद्धालुओं की आवाजाही लौटेगी।