Varanasi: कई दिनों की लगातार बढ़ोत्तरी के बाद काशी में फिलहाल मां गंगा का जलस्तर अब स्थिर तो हुआ है, मगर काशी की परेशानी कम होती नहीं दिख रही। बुधवार की शाम 4 बजे गंगा का जलस्तर 72.23 मीटर दर्ज किया गया, जो खतरे के निशान से ऊपर बना हुआ है। शहर के घाटों की सीढ़ियां डूब चुकी हैं और अब पानी सड़कों को पार कर रिहायशी इलाकों में घुस चुका है।

राजघाट, दशाश्वमेध, गोदौलिया, अस्सी और सामने घाट जैसे प्रमुख घाटों का अस्तित्व पानी में समा चुका है। एक मंजिल तक पानी भर जाने से घाट किनारे की बस्तियों (Varanasi) में लोग अपने ही घरों में कैद होकर रह गए हैं या फिर छतों पर शरण लिए हुए हैं। कई परिवार तो सामान समेटकर पलायन कर गए, लेकिन जो नहीं जा पाए, वे अब बाढ़ राहत शिविरों या ऊंची इमारतों में पनाह ले रहे हैं।
गंगा–वरुणा का दोहरा संकट
गंगा के उफान का असर वरुणा नदी पर भी पड़ा है। अब वरुणा के किनारे बसे हजारों घर भी पानी में डूब गए हैं। तटवर्ती और निचले इलाकों जैसे लालपुर-पांडेपुर, रामेष्ट नगर कॉलोनी और वार्ड नंबर 18 की नई बस्ती बुरी तरह प्रभावित हैं। लोग अपने घरों को छोड़कर ऊंचाई की ओर पलायन कर रहे हैं। कई परिवार अभी भी फंसे हुए हैं और प्रशासन से मदद की आस लगाए बैठे हैं।

Varanasi: ग्रामीण इलाकों में तबाही
वाराणसी (Varanasi) के आसपास के ग्रामीण इलाके भी बाढ़ की चपेट में हैं। खेतों में खड़ी फसलें पानी में डूब चुकी हैं। गांवों की गलियों से लेकर आंगनों तक गंगा का पानी फैल गया है। किसानों की मेहनत पर पानी फिर गया, और अब वे भविष्य की चिंता में डूबे हैं।
बाढ़ की भयावहता को देखते हुए प्रशासनिक अमला राहत कार्यों में जुटा है। जिलाधिकारी और अन्य वरिष्ठ अधिकारी लगातार प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर रहे हैं। एनडीआरएफ, जल पुलिस और नगर निगम की टीमें नावों की मदद से लोगों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचा रही हैं।
सावन के पवित्र महीने में जब काशी के घाटों पर रुद्राभिषेक और गंगा स्नान की परंपरा चरम पर होती है, वहीं इस बार मां गंगा (Varanasi) अपने भक्तों की परीक्षा ले रही हैं। बाढ़ ने धार्मिक गतिविधियों को भी प्रभावित किया है। अब घाटों की सीढ़ियां नहीं, बल्कि नावें और पानी ही रास्ता हैं।