Varanasi: भेलूपुर थाना क्षेत्र में 16 मई 2023 को बच्चे के गायब होने की सूचना पर एक नया खुलासा हुआ है। पुलिस जाँच में सामने आया कि यह मामला मानव तस्करी का है। इसे तत्काल को कोर्ट में भेजा गया। जहाँ न्यायाधीश कुलदीप सिंह ने इस मामले पर फैसला सुनाया। अदालत ने दो महिलाओं के साथ ही सात दोषी पुरुष को उम्रकैद की सजा सुनाया और उनपर 15 हजार का जुर्माना भी लगाया है। इन दोषियों में शिखा देवी, सुनीता देवी, संतोष गुप्ता, मनीष जैन, महेश राणा, मुकेश पंडित और महेश राणा शामिल है। वहीं इस मामले में एक नाबालिग को भी 10 साल की सजा और 6 हजार का जुर्माना लगा है।
सजा सुनाते वक्त अदालत ने कहा कि दोषी की उम्र भले ही 15 साल है पर सोच और क्रियाकलाप वयस्कों जैसे ही है। नाबालिग दोषी मंडुवाडीह थानाक्षेत्र के शिवदासपुर (Varanasi) का रहने वाला है। फिलहाल उसे बाल सुधार गृह भेजा गया है। इसके अलावा साक्ष्यों के न मिलने के कारण 9 आरोपियों को बरी कर दिया गया है।
Varanasi: जानिए क्या है पूरा मामला
दरअसल, 16 मई 2023 को सामने घाट लंका निवासी संजय ने भेलूपुर थाने (Varanasi) में तहरीर देकर प्राथमिकी दर्ज कराई थी। उन्होंने पुलिस को बताया था कि वह अपनी पत्नी और चार साल के बेटे के साथ रविंद्रपुरी कॉलोनी के पास डिवाइडर के बीच में मच्छरदानी लगाकर सोया था। सुबह उठा तो, बेटा लापता मिला। पुलिस ने सीसीटीवी के फुटेज को खंगालना शुरू किया तो पता चला कि स्कॉर्पियो सवार कुछ लोग बच्चे को चोरी करके ले जाते हुए दिखे।
लापता के अलावा 3 और बच्चे मिले
पुलिस ने पूरी तह तक जाकर इसी छानबीन शुरू की तो मानव तस्करी का मामला सामने आया। जिसके बाद जांच और मामले की तहकीकात करते हुए पुलिस ने स्कॉर्पियो चालक मंडुवाडीह निवासी संतोष और उसके नाबालिग सहयोगी को गिरफ्तार कर लिया। दोनों की निशानदेही पर पुलिस ने झारखंड में छापा मारा। छापेमारी में पुलिस ने रविंद्रपुरी से लापता बच्चा के अलावा तीन अन्य बच्चों को बरामद कर लिया। फिलहाल सभी बच्चे को भेलूपुर पुलिस (Varanasi) के पास सुरक्षित भेज दिया गया। विवेचना के बाद पुलिस ने 16 लोगों के खिलाफ अदालत में आरोप पत्र भेजा। जिसके बाद दोषी पाए गए सात लोगों को सजा सुनाई गई।
झारखंड के अस्पताल से बनता था फर्जी प्रमाण पत्र
बताते चलें कि मानव तस्करी का जंजाल झारखंड, राजस्थान और यूपी के कई जिलों तक फैला था। संतोष गुप्ता ने रविंद्रपुरी (Varanasi) से जिस बच्चे को उठाया था, उसे दो दिन तक लोहता में सुनीता देवी के यहां रखा गया था। यहीं से उसे झारखंड भेजा गया। जिन बच्चों को उठाया जाता था उनका फर्जी जन्म प्रमाण पत्र झारखंड के कोडरमा स्थित अस्पताल से बनवाया जाता था।
अभियोजन का कहना है कि बच्चों और मानव तस्करी से जुड़े मामले में दोषियों को उम्रकैद की सजा पहली बार दी गयी है। ये मानव तस्करों के लिए एक अच्छा सबक है।

