Varanasi: सोमवार की शाम बनारस में आसमान ने अपना मन बदल लिया। बादल इस अंदाज़ में बरसे जैसे किसी ने उन्हें नगर निगम की सफाई रिपोर्ट पढ़ा दी हो और वह इतना रोए कि ढाई घंटे में 60 मिलीमीटर से ज़्यादा बारिश हो गई। लेकिन इससे ज्यादा बहा तो नगर निगम का “कागजी विकास” जो काशी की गलियों और सडकों में तैरता नजर आया। मानसून की पहली मूसलाधार बारिश शहर में ऐसे आई जैसे इंतज़ार में बैठे लोग सिनेमा हॉल में पहली सीट पर बैठें हों और परदे पर हॉरर मूवी चल पड़ी हो।


बह गई पूरे सिस्टम की पोल
गौदोलिया क्षेत्र जो बनारस का धड़कता दिल कहलाता है, वहां हालत ऐसी थी जैसे किसी ने सड़क के बीच में गंगाजल खोल दिया हो। दुकानें नहीं, नाव चाहिए थीं, और ग्राहक नहीं, गोताखोर। शहर (Varanasi) के कोने-कोने में ऐसा लग रहा था मानो बारिश ने सिर्फ पानी नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम की पोल अपने साथ बहा दी हो।


आवागमन बाधित होने से बढ़ी लोगों की मुश्किलें
तेज बारिश ने नगर निगम प्रशासन के नाले-नालियों की सफाई के दावों की पोल खोल दी। सड़कों और गलियों में कहीं घुटने भर तो कहीं कमर तक पानी भर गया। ऐसे में वाहन चालकों को आवागमन में काफी परेशानी झेलनी पड़ी। खासतौर से दो-पहिया वाहन चालकों को रात में पानी के बीच आवागमन करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ा। 68.5 मिलीमीटर बारिश ने ना केवल मौसम को ठंडक दी, बल्कि नगर निगम और विकास कार्यों की पोल भी खोल दी!

लोग छाता लेकर निकले थे, लेकिन जल्द ही उन्हें एहसास हुआ कि यहां छाता नहीं, नाव चाहिए। स्कूटी और बाइक पर सवार युवक-युवती जब वाहनों को घसीटते हुए आगे बढ़ रहे थे, तो वो स्कूटी नहीं, जिंदगी को धक्का दे रहे थे।

Varanasi: शहर का कोना-कोना हुआ पानी-पानी
बनारस (Varanasi Weather) का चाहे लंका, रविंद्रपुरी, दुर्गाकुंड इलाका हो या चाहे बेनियाबाग, लक्सा, गिरजाघर, कबीरचौरा, पिपलानी कटरा… — हर सड़क, हर इलाके, हर गली और हर मोहोल्ला, यहाँ बसी दुकाने और दुकानों में भरा पानी विकास की डूबती नईया बखूबी दर्शा रहा था।


बाइकों के साइलेंसर में पानी घुस गया, कारें ऐसे रुकीं जैसे ट्रैफिक नहीं, जल समाधि में चली गई हों। जिन सड़कों पर कभी लोग आराम से फुल स्पीड में बाइक और स्कूटी लेकर दौड़ते थे, वहां अब लोग अपनी स्कूटी को धक्का देते हुए ऐसे चल रहे थे। हर दूसरे शख्स की आंखों में वही सवाल — “नगर निगम वाले क्या अभी भी मीटिंग में व्यस्त हैं या अब वीडियो कॉल से हालात देखेंगे?”
तो अगली बार बारिश से पहले चाय नहीं, छोटी नाव, बड़ा हौंसला और ढेर सारा धैर्य तैयार रखिए — क्योंकि जब बनारस में बादल बरसते हैं, तो नगर निगम की तैयारी बह जाती है… बिल्कुल जनता की उम्मीदों की तरह। और ये भी कि अब जब अगली बार बारिश हो, छाता नहीं… प्लास्टिक की नाव और लाइफ जैकेट साथ रखिए। और हां, गूगल मैप नहीं, जलवायु विभाग की ऐप ज़रूर खोलिए — क्योंकि बारिश में विकसित बनारस (Varanasi) की सड़कों पर रास्ता नहीं, जलजमाव की धारा बहती है।