Varanasi News: थाना साइबर क्राइम कमिश्नरेट वाराणसी ने बड़ी सफलता हासिल की है। थाना साइबर क्राइम ने साइबर ठग करने वाले गिरोह का भंडाफोड़ करते हुए तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जो आम लोगों को फर्जी गिरफ्तारी का डर दिखाकर “डिजिटल हाउस अरेस्ट” में डालते थे और फिर करोड़ों रुपये की ठगी की घटना को अंजाम देते थे। पुलिस ने आरोपियों के पास से मोबाइल फोन और नकद बरामद किए है। इस मामले का खुलासा मंगलवार को अपर पुलिस उपायुक्त श्रुति श्रीवास्तव ने किया।
Varanasi News: ये था मामला
उन्होंने बताया कि बीते 11 मई को महमूरगंज स्थित कृष्णा अपार्टमेंट के सुभाष चंद्र शर्मा ने साइबर क्राइम थाना में एक शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें अज्ञात साइबर अपराधियों द्वारा उन्हें डराकर करीब 49.4 लाख रुपये की ठगी करने की बात कही। इस पर मामला दर्ज कर पुलिस ने जांच पड़ताल शुरू किया।

वाराणसी पुलिस आयुक्त मोहित अग्रवाल, पुलिस उपायुक्त अपराध टी.सरवणन, अपर पुलिस उपायुक्त श्रुति श्रीवास्तव और सहायक पुलिस आयुक्त विजय प्रताप सिंह के नेतृत्व में एक टीम (Varanasi News) का गठन किया गया और इंस्पेक्टर विजय कुमार यादव ने अपनी जांच में तेजी लाते हुए इस हाई-प्रोफाइल साइबर फ्रॉड में लिप्त तीन शातिर अपराधियों को गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तार आरोपियों में लखनऊ निवासी गौरव जायसवाल, सीतापुर निवासी ताबिश उर रहमान और असद वकील खान शामिल है और इन पर पहले से ही कई धाराओं के तहत मुकदमे दर्ज हैं।
घटना को ऐसे देते थे अंजाम
पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि वह लालच, डर और धोखाधड़ी का जाल बिछाकर लोगों को अपने झांसे में लेते थे। पहले वाल लोगों को पैसे का लालच देकर उनके नाम से बैंक खाते खुलवाते थे फिर खाताधारकों को मामूली हिस्सा देने के बाद, खातों की पूरी किट (ATM, पासबुक, चेकबुक आदि) अपने पास रख लेते। इसके बाद इन खातों का उपयोग डिजिटल हाउस अरेस्ट जैसे साइबर फ्रॉड में किया जाता।
इतना ही नहीं, वह पीड़ितों को फोन कर फर्जी अधिकारी बनकर कहा जाता कि उनके खिलाफ मामला (Varanasi News) दर्ज है और उन्हें गिरफ्तार किया जा सकता है। ऐसी बातें कहकर उन्हें ‘डिजिटल हाउस अरेस्ट’ में डालकर वीडियो कॉलिंग के माध्यम से डराया जाता और बड़ी रकम अपने बताए गए खातों में ट्रांसफर कराई जाती। रकम को एटीएम से कैश निकालने के बाद उसे विदेशी साइबर अपराधियों को डॉलर में कमीशन काटकर भुगतान कर दिया जाता था।