वाराणसी कमिश्नरेट पुलिस की बड़ी नाकामी सामने आई है। यूपी में एक कहावत बड़ा प्रचलित है, ‘खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे’। इस समय कमिश्नरेट पुलिस का भी यही हाल हो गया है। ताजा वाकया मंगलवार का है, जब लालपुर पांडेपुर थाने की पुलिस टीम गैंगरेप के आरोपियों का मेडिकल कराने दीनदयाल अस्पताल पहुंची थी। इसी बीच आरोपियों पर भीम आर्मी के लोगों ने हमला कर दिया। वहीं बीच पुलिस मूकदर्शक बनी रही। पुलिस हमलावरों को तो तत्काल नहीं रोक पाई, लेकिन इसी दौरान एक सिपाही शिव कुमार ने वहां मौजूद घटना की कवरेज कर रहे मीडियाकर्मी का मोबाइल छीन लिया।
हालांकि इसके बाद डैमेज कंट्रोल करने के लिए पुलिस ने भीम आर्मी के तीन लोगों को हिरासत में लिया और उनसे पूछताछ की। पुलिस की इस करतूत से पत्रकारों में आक्रोश है। पुलिस की नाकामी पर कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं। इस पूरी घटना के दौरान लालपुर पांडेयपुर थानाध्यक्ष भी मौजूद रहे, लेकिन वह भी तमाशबीन बने रहे।

एक ओर जहां रेप काण्ड के बाद पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं। वहीं मीडियाकर्मियों से पुलिस के व्यवहार से कई तरह के सवालिया निशान खड़े हो रहे हैं। मीडिया के लोगों का कहना है कि जब पुलिस अपराध कंट्रोल नहीं कर पा रही तो पत्रकारों को कंट्रोल करने में जुट गई।

वहीं इस मामले में भीम आर्मी आजाद समाज पार्टी के पूर्व जिलाध्यक्ष लव कुश साहनी ने बताया कि प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र में इस तरह की घटनाक निंदनीय है। यह बनारस को बदनाम करने की एक साजिश है। इसे आजाद समाज पार्टी बर्दाश्त नहीं करेगी। इसी संदर्भ में हम आज विरोध करने आए थे। प्रशासन ने हमारे साथ बर्बरता की है। किसी तरह हम बचकर आए हैं। दलित बेटी के साथ इस तरह का कृत्य पार्टी बर्दाश्त नहीं करेगी।