Varanasi Ropeway: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट और देश के दूसरे शहरी रोपवे प्रोजेक्ट को लेकर फिलहाल निर्माण कार्य थमता नजर आ रहा है। वजह है गोदौलिया चौराहे के पास पिलर नंबर 29 की खुदाई के दौरान सामने आया शाही नाला (घोड़ा नाला), जिसकी 25 फीट गहराई पर स्थित दीवार मशीन की जद में आते ही क्षतिग्रस्त हो गई। इस अप्रत्याशित अवरोध ने पूरे प्रोजेक्ट पर फिलहाल रोक लगवा दी है।
लखनऊ से पहुंची इंजीनियरिंग टीम, मौके का निरीक्षण
शाही नाले की मरम्मत अब पारंपरिक तरीके से नहीं, बल्कि उन्नत रोबोटिक कैमरा तकनीक से की जाएगी। लखनऊ जल निगम के चीफ इंजीनियर संजय कुमार गौतम स्वयं वाराणसी पहुंचे और गोदौलिया (Varanasi Ropeway) स्थित स्थल का निरीक्षण कर अधिकारियों और इंजीनियरों को दिशा-निर्देश दिए। उनका कहना है कि यह नाला 100 साल से भी ज्यादा पुराना है और इसकी संरचना बेहद कमजोर हो चुकी है।
Varanasi Ropeway: नाले में रोबोटिक कैमरे भेजे जाएंगे
चीफ इंजीनियर के मुताबिक, घोड़ा नाले के अंदर कुछ स्थान इतने खतरनाक हैं कि वहां मानव प्रवेश संभव नहीं है। ऐसे में केवल रोबोटिक कैमरे (Varanasi Ropeway) ही वहां पहुंच पाएंगे, जो तस्वीरें और डेटा एकत्र करेंगे। इन्हीं आंकड़ों के आधार पर मरम्मत की रणनीति तय की जाएगी। अनुमान है कि इस प्रक्रिया में कम से कम 40 से 50 दिन लग सकते हैं।

मरम्मत से पहले होगी गैस रिलीज और चैंबर की खोज
सुरक्षा उपायों को ध्यान में रखते हुए, मरम्मत से पहले नाले के सभी चैंबर्स को खोजकर खोला जाएगा ताकि अगर भीतर जहरीली गैसें हों तो उन्हें सुरक्षित रूप से बाहर निकाला जा सके। इसके बाद क्षतिग्रस्त दीवारों की मरम्मत होगी, लेकिन नाले का फ्लो किसी भी स्थिति में नहीं रोका जाएगा।
क्यों थमा था काम: जानिए पूरी घटना
सोमवार को जब पिलर की खोदाई चल रही थी, उसी दौरान पाइलिंग मशीन (Varanasi Ropeway) का ड्रम अचानक नीचे धंस गया और गड्ढे से पानी ऊपर आने लगा। पहले तो वहां मौजूद अधिकारी भी कुछ समझ नहीं पाए, लेकिन जल्द ही स्पष्ट हुआ कि 25 फीट नीचे शाही नाला बह रहा था, जिसकी दीवार टूट चुकी थी। इसके चलते आस-पास स्थित 6 इमारतों को खतरा उत्पन्न हो गया। प्रशासन ने तत्क्षण प्रभाव से निर्माण कार्य को रुकवा दिया।
नगर निगम पर उठे सवाल
नेशनल हाईवे लॉजिस्टिक्स मैनेजमेंट लिमिटेड (NHLML), जो इस रोपवे प्रोजेक्ट को बना रही है, ने नगर निगम और जलकल विभाग पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि यदि शाही नाले की मौजूदगी की जानकारी पहले से होती, तो पिलर लगाने के लिए यह स्थान ही नहीं चुना जाता। अधिकारियों का कहना है कि जलकल विभाग के पास ही यह जानकारी नहीं है कि शाही नाला शहर (Varanasi Ropeway) में किन-किन मार्गों से होकर गुजरता है।
इंजीनियरिंग टीम अब नाले की संरचना और क्षतिग्रस्त हिस्सों का गहन अध्ययन कर रही है। जब तक समाधान नहीं निकलता, तब तक रोपवे निर्माण (Varanasi Ropeway) कार्य पूरी तरह से बंद रहेगा। अधिकारियों ने यह भी कहा कि शाही नाले के ऊपर स्थित दुकानें और मकान भारी मशीनों के कंपन से प्रभावित हो सकती हैं, जिससे भवनों के ध्वस्त होने का खतरा बना रहता है।