Varanasi: गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर की वर्षा मंगल की परंपरा को जीवंत रखने के लिए वाराणसी के राजघाट स्थित वसंत महिला महाविद्यालय में ‘वर्षा मंगल एवं कजरी महोत्सव’ कार्यक्रम का आयोजन किया गया। महाविद्यालय की प्राचार्य प्रो. अलका सिंह द्वारा अतिथियों का स्वागत अंगवस्त्रम् एवं पौधा प्रदान कर किया गया। कार्यक्रम में कॉलेज की प्राचार्या के साथ प्रोफेसरों व अन्य छात्राओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।

वर्षा मंगल कार्यक्रम (Varanasi) में बतौर मुख्य अतिथि डॉ रवि कुमार सिंह संरक्षक वन विभाग, स्वाति डी.एफ.ओ. उपस्थित रहे। इस अवसर पर डॉ.सुनील चौधरी बी. एच.यू एवं महाविद्यालय के प्रबंधक एस.एन.दूबे मौजूद रहे।

60 छात्राओं का समूह नृत्य रहा आकर्षण का केंद्र
कार्यक्रम की शुरुआत 60 छात्राओं के समूह नृत्य से हुई, छात्राए नृत्य करते हुए पूरे महाविद्यालय परिसर का भ्रमण किया। कार्यक्रम में एक अनोखा सांस्कृतिक दृश्य देखने को मिला, जब छात्राओं (Varanasi) ने लाल और सफेद रंग की साड़ियों में सुसज्जित होकर बंगाली गीत पर एक पारंपरिक नृत्य प्रस्तुत किया। ढोलक की थाप पर थिरकती छात्राओं का यह आयोजन न केवल सौंदर्य और भावनाओं से परिपूर्ण था, बल्कि इसमें प्रकृति, मां गंगा, पेड़ों और पंचतत्वों के संरक्षण का भी गहरा संदेश निहित था।

पंचतत्वों को समर्पित रहा नृत्य
कार्यक्रम की मुख्य झलक रही — पंचतत्वों को समर्पित नृत्य प्रस्तुति, जिसमें पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश के प्रतीकों को भावनात्मक अभिव्यक्ति के माध्यम से मंच पर उतारा गया। छात्राओं ने धूप, नैवेद्य और पुष्पों की सुगंध के साथ नृत्य की शुरुआत की, जो शुद्धता और श्रद्धा का प्रतीक बना।

माँ एनी बेसेंट के नाम पर भी लगाया गया पेड़
इस नृत्य में विशेष दृश्य तब नजर आया, जब उनमें से एक छात्रा ने अपने हाथों में एक गगरी में एक छोटे से पेड़ को संजो रखा था। गगरी में रखा छोटा सा वृक्ष उनके नृत्य का हिस्सा बना और इसके माध्यम से उन्होंने पेड़-पौधों के संरक्षण और पर्यावरण संवर्धन का संदेश दिया। इसके बाद, सभी ने मिलकर वृक्षारोपण किया। सरकार की पहल पर पारिजात का वृक्ष माँ एनी बेसेंट (Varanasi) के नाम पर भी लगाया गया। कार्यक्रम में प्रकृति के पंचतत्व का प्रतिनिधित्व कलश के साथ सृष्टि , ललिता विश्वकर्मा (पृथ्वी), सृष्टि यादव (वायु), रिशु(जल) और सलोनी(अग्नि) ने किया।

इस मौके पर मुख्य अतिथि रवि कुमार सिंह ने कहा कि पानी के बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती और पेड़ हमें ऑक्सीजन देते है, ऐसे में हमें उसके महत्व को समझना चाहिए। हमें सिर्फ पेड़ लगाना नहीं उसका ध्यान भी देना चाहिए और पानी को संरक्षित करना चाहिए। इसके साथ ही जिस प्रकार से आज बसंता कॉलेज में यह आयोजन किया गया वह बेहद सराहनीय है।

कार्यक्रम (Varanasi) में जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय की पूर्व कुलपति प्रोफेसर कल्पलता पांडेय व शबनम खातून ,काशी कला कस्तूरी संस्था की निदेशक महाविद्यालय की पुरातन छात्रा उपस्थित रही। वर्षा मंगल कार्यक्रम की अगली कड़ी में कजरी महोत्सव का आयोजन किया गया।

कजरी के गीतों ने सभी को झुमाया
जिसमें संगीत विभाग कि डॉ . जया शाही का कजरी गायन सितार पर डॉ.अमनदीप कौर, प्रो. संजय वर्मा और हनुमान प्रसाद गुप्ता ने अपने सहयोगियों के साथ कजरी के गीतों की मनमोहक प्रस्तुति दी। एक तरफ तबले की थाप और दूसरी तरफ सितार की धुन ने परिसर (Varanasi) में मौजूद सभी शिक्षक व शिक्षिकाओं को झूम दिया। सावन के साथ मनमोहक प्रस्तुति के साथ पिया मेहंदी लियाए दा गाने पर तालीयो की गड़गड़ाहट से पूरा परिसर गूंज उठा।

बसंता महिला महाविद्यालय राजघाट (Varanasi) की प्रधानाचार्य डॉ. अलका सिंह ने बताया कि यहाँ मनाया जा रहा वर्षा मंगला रंविन्द्र नाथ टैगोर की पद्धति है, जो कि यूपी में हमारा पहला ऐसा कॉलेज है, जहाँ आयोजित किया जाता है। इस आयोजन में हम छात्राओं को पांच तत्वों के बारे में बताते हैं और पेड़ों और पानी के महत्व और उसे संरक्षित करने के लिए उन्हें जागरूक करते हैं।

उन्होंने आगे कहा कि बच्चों द्वारा प्रस्तुत नृत्य कॉलेज के मुख्य गेट से शुरू होकर लाइब्रेरी से होते हुए पुरे कॉलेज कैंपस में एक राउंड लगाते हुए वापस ओपन क्लास तक आया। जिसके बाद हमने वृक्षारोपण किया, जो छात्राओं को यह बताता है कि पौधों को लगाना ही नहीं उसका ध्यान रखना भी हमारे जीवन में बहुत आवश्यक है।

Varanasi: वरिष्ठजनों की रही गरिमामयी उपस्थिति
कार्यक्रम (Varanasi) में मुख्य रूप से डॉ.पूनम सिंह पूर्व प्राचार्या केंद्रीय विद्यालय बी.एच.यू., मनीषा सिंह केंद्रीय विद्यालय कैंट वाराणसी, आलोक सिंह एवं डॉ. अजीत शांडिल्य डिप्टी रजिस्ट्रार काशी हिंदू विश्वविद्यालय आदि सभी सम्मानित सदस्यों की व महाविद्यालय के समस्त शिक्षकगण एवं विद्यार्थियों की गरिमामयी उपस्थिति रही। कार्यक्रम का कुशल संचालन डॉ. विभा सिंह एवं व डॉ. किरण तिवारी ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ. रश्मि ने दिया। वर्षा मंगल कार्यक्रम की प्रभारी डॉ. श्वेता एवं सांस्कृतिक समिति की प्रभारी संयोजक प्रो. परवीन सुल्ताना व उनके सहयोगियों के कुशल निर्देशन में कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। आयोजन के दौरान महाविद्यालय के सभी शिक्षक एवं शिक्षिकाओं तथा छात्राओं समस्त स्टाफ़ की उपस्थिति रही।

वाकई में काशी के वरुणा और गंगा के पावन संगम तट पर स्थित वसंत महिला महाविद्यालय में ‘वर्षा मंगल’ के आयोजन से संपूर्ण वातावरण टैगोरमय हो गया। गुरुदेव की स्मृतियां और उनके गीत सर्वत्र गुंजायमान होने लगे।