Varanasi: ई-रिक्शा चालकों के हित और काशीवासियों व यहाँ आने वाले श्रद्धालुओं की समस्याओं को ध्यान में रखते हुए ई-रिक्शा वाहनों पर क्युआर कोड और स्टीकर लगाया जा रहा है। सभी ई-रिक्शा पर अलग-अलग रंग के स्टीकर लगाये जा रहे है जो उनके अधिकृत रूट को बतायेंगे। ऐसे में काशीवासियों को जाम की समस्या से छुटकारा मिलेगा और जिन रूटों पर लोगों को ई-रिक्शा मिलने में दिक्कतें होती है, अब उसका भी निवारण हो जायेगा।
बेतरतीब वाहनों के संचालन की समस्या दूर
इसके साथ ही ई-रिक्शा चालकों की आमदनी भी बढ़ेगी। वहीं बेतरतीब वाहनों के संचालन के चलते शहर में तमाम समस्याएं उत्पन्न हो रही उसका भी निवारण होगा। इस अभियान का शुभारंभ आज खुद पुलिस कमिश्नर मोहित अग्रवाल और वाराणसी (Varanasi) जिलाधिकारी एस. राजलिंगम ने किया। उन्होंने ई-रिक्शा पर क्यूआर कोड और स्टीकर लगाये। वहीं इसके साथ ही उसे फोन पर स्कैन करके अधिकारीयों को इसकी जानकारी भी दी।

इसके बारे में बताते हुए पुलिस कमिश्नर मोहित अग्रवाल ने बताया कि पहले ई-रिक्शा की संख्या 15 से 20 हजार थी लेकिन अब वह बढ़कर 30 हजार के करीब पहुंच गयी है। जहाँ एक तरफ जनता की सुविधा के लिए इसे बनाया गया था आज वह उनके जान को आ गयी है।
varanasi के तीनों जोन में 5-5 रूट
ऐसे में भीड़ व जाम और अन्य समस्याओं को देखते हुए ई-रिक्शा (Varanasi) का रूट निर्धारित किया गया है। पुरे जनपद को तीन जोने में बांटा गया था और इन तीनों जोन में ई-रिक्शा के लिए 5-5 रूट बनाये गये हैं। सभी ई-रिक्शा पर अलग-अलग कलर के स्टीकर लगाये गये हैं जो उनके रूट को बतायेंगे। ऐसे में सभी लोगों को हर रूट पर आसानी से अपना सफ़र तय करने और जाम की समस्या से निजात मिलेगा।
नाबलिकों के ई-रिक्शा चलाने पर रोक
पुलिस कमिश्नर (Varanasi) ने आगे कहा कि ई-रिक्शा पर लगाये गये स्टीकर और क्यूआर कोड के माध्यम से उनका रजिस्ट्रेशन, लाइसेंस और फिटनेस सभी चीजों को चेक किया जा सकता हैं। ऐसे में जो नाबालिक आजकल ई-रिक्शा चलाने लगे हैं उनपर भी रोक लगेगी। इसके साथ ही क्यूआर कोड के माध्यम से ई-रिक्शा किस रूट पर चलने के लिए अधिकृत हैं इसका भी पता लगाया जा सकता है।

यह कोई प्रतिबन्ध नहीं, बल्कि है एक सॉल्यूशन
वहीं जिलाधिकारी एस. राजलिंगम ने कहा कि काशी (Varanasi) में रोजाना लाखों लाख श्रद्धालु आते हैं। ऐसे में यहाँ ई-रिक्शा की संख्या में भी काफी इजाफा हुआ है। ऐसे में लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। चाहे वो स्कुल जाने वाले बाचे हो या ऑफिस जाने वे कर्मचारी सभी को परेशानी होती है। ऐसे में इन तमाम समस्याओं से निजात दिलाने के लिए यह क्यूआर कोड और स्टीकर का अभियान लाया गया है। जो जोन वाइज डिवाइड किया गया है। उन्होंने बताया कि यह कोई प्रतिबन्ध नहीं, यह एक सॉल्यूशन है। इससे किसी को कोई दिक्कत नहीं होगी।