Waqf Law: सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ संशोधन कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर गुरुवार को अहम सुनवाई करते हुए कानून की वैधता पर रोक लगाने से इनकार कर दिया, लेकिन साथ ही केंद्र और राज्य सरकारों को निर्देश दिया कि अगली सुनवाई तक वक्फ बोर्ड या वक्फ काउंसिल में कोई नई नियुक्ति न की जाए। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में जस्टिस केवी विश्वनाथन और जस्टिस संजय कुमार की पीठ ने यह स्पष्ट किया कि वर्तमान स्थिति आगामी एक सप्ताह तक बनी रहेगी। इस दौरान वक्फ संपत्तियों की स्थिति में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा।
सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट से जवाब दाखिल करने के लिए एक सप्ताह का समय मांगा, जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया। कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि केंद्र के जवाब के बाद याचिकाकर्ता पक्ष को पांच दिनों के भीतर अपनी प्रतिक्रिया दाखिल करनी होगी।
“लाखों लोगों से बातचीत के बाद बना है कानून” – केंद्र का पक्ष
तुषार मेहता ने वक्फ संशोधन कानून का बचाव करते हुए अदालत से कहा कि संसद द्वारा पारित किसी कानून को स्थगित करना असाधारण कदम होगा और इसे कठोर हस्तक्षेप माना जाएगा। उन्होंने कहा कि यह कानून व्यापक परामर्श के बाद तैयार किया गया है और देश के कई हिस्सों में ऐसी स्थिति है जहां पूरे गांवों पर वक्फ बोर्ड का दावा है। उन्होंने चेताया कि यदि कोर्ट कुछ धाराओं को देखकर कानून पर रोक लगाता है, तो इससे आम नागरिकों के अधिकारों पर भी असर पड़ सकता है।
संपत्ति की यथास्थिति बरकरार रखने का आदेश
कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि एक सप्ताह तक वक्फ घोषित या पंजीकृत संपत्तियों को ‘डिनोटिफाई’ न किया जाए, अर्थात उनकी कानूनी स्थिति में कोई बदलाव न हो। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह निर्देश सभी राज्य सरकारों के लिए भी बाध्यकारी होगा।
वक्फ बोर्ड (Waqf Law) में गैर-मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति पर सवाल
सुनवाई के दौरान यह मुद्दा भी उठा कि संशोधित कानून में वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिमों को शामिल करने का प्रावधान किया गया है, जिस पर याचिकाकर्ताओं ने आपत्ति दर्ज की। यह तर्क दिया गया कि यह वक्फ की धार्मिक प्रकृति के विरुद्ध है।
याचिकाओं की संख्या सीमित करने का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि फिलहाल केवल 5 प्रमुख याचिकाओं पर ही सुनवाई की जाएगी। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि 100 से अधिक याचिकाओं की सुनवाई संभव नहीं है। उन्होंने याचिकाकर्ताओं से आग्रह किया कि एक दिन के भीतर तय करें कि वे किन पांच याचिकाओं पर दलील देना चाहते हैं, शेष याचिकाओं को निस्तारित या सहायक आवेदन के रूप में माना जाएगा।
नोडल वकील तय करने का निर्देश
कोर्ट ने दोनों पक्षों को यह भी निर्देश दिया कि वे अपनी ओर से एक-एक नोडल वकील नामित करें और दलीलें प्रस्तुत करने वाले अधिवक्ताओं की सूची कोर्ट को सौंपें। इसके अलावा, वर्ष 1995 और 2013 के वक्फ अधिनियमों को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई इन याचिकाओं से अलग रखी जाएगी।
Highlights
अब इस मामले की अगली सुनवाई 5 मई, 2025 को होगी, जिसमें कोर्ट केंद्र और राज्यों के जवाबों और याचिकाकर्ताओं की प्रतिक्रिया को सुनकर आगे की कार्रवाई तय करेगा।